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सीरिया: एक लाख 'ग़ायब' लोगों को खोजने के लिए नए उपायों की ज़रूरत

जर्मनी हवाई अड्डे पर, एक सीरियाई किशोर अपने परिवार से वापस मिलते हुए.
© UNHCR/Chris Melzer
जर्मनी हवाई अड्डे पर, एक सीरियाई किशोर अपने परिवार से वापस मिलते हुए.

सीरिया: एक लाख 'ग़ायब' लोगों को खोजने के लिए नए उपायों की ज़रूरत

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारियों ने यूएन महासभा में सीरिया में मानवाधिकारों की स्थिति पर चर्चा करते हुए कहा है कि लापता सीरियाई लोगों का पता लगाकर उनके परिवारों को राहत प्रदान करने के लिए एक नई संस्था स्थापित की जानी होगी. 

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि सीरिया में विनाशकारी गृहयुद्ध अपने 13वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है. स्थानीय लोग वहाँ फ़रवरी में आए विनाशकारी भूकम्प से उबरने के लिए संघर्ष कर रहे है.

इन हालात में, देशवासियों को अपने प्रियजनों का सच जानकर "सुक़ून हासिल करने" का पूरा अधिकार है.

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एक लाख सीरियाई लापता

यूएन प्रमुख ने कहा, "अनुमान है कि एक लाख सीरियाई लोगों का अता-पता या उनकी नियति के बारे में कोई जानकारी नहीं है.

"देश के हर हिस्से से, विभिन्न वर्गों से, लोगों के प्रियजन लापता हैं, जिनमें परिवार के वो सदस्य शामिल हैं, जिन्हें जबरन ग़ायब कर दिया गया, उनका अपहरण कर लिया गया, उन पर अत्याचार किए गए या फिर उन्हें मनमाने ढंग से हिरासत में ले लिया गया."

उन्होंने सीरियाई परिवारों, पीड़ितों और बचकर आए लोगों के संगठनों एवं अन्य नागरिक समाज समूहों के साहसिक कार्यों की सराहना करते हुए महासभा से आगे कार्रवाई के लिए, एक नई अन्तरराष्ट्रीय संस्था स्थापित किए जाने की अपील की.

महासचिव गुटेरेश ने सदस्य देशों से क़दम उठाने और सीरिया सरकार व सभी संघर्षरत पक्षों से सहयोग करने की अपील करते हुए कहा, "इस गम्भीर व दर्दनाक स्थिति के समाधान हेतु. हमें दृढ़ संकल्प और तात्कालिकता के साथ कार्य करना होगा."

उन्होंने कहा, "सीरियाई लोगों के घाव भरने और स्थाई शान्ति हासिल करने के लिए इस बाधा को दूर करना आवश्यक है. अन्तरराष्ट्रीय समुदाय का नैतिक दायित्व है कि वह उनकी पीड़ा कम करने में मदद करे."

प्रस्तावित प्रणाली

मानवाधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त वॉल्कर टर्क ने प्रस्तावित नई प्रणाली की विस्तृत जानकारी देते हुए इस अपील को अपना समर्थन प्रदान किया. साथ ही उन्होंने, रेड क्रॉस की अन्तरराष्ट्रीय समिति से लेकर सीरियाई संगठनों तक, प्रमुख हितधारकों के साथ परामर्श के निष्कर्षों को साझा किया.

इसके लिए जिन से विचार-विमर्श किया गया, उन्होंने तथा अन्य सदस्य देशों ने इस बात पर सहमति जताई थी कि मौजूदा प्रयासों को सुव्यवस्थित करने के लिए एक नई, समर्पित संस्था को काम सौंपा जाना चाहिए.

इस प्रणाली में, पीड़ितों और जीवित बचे लोगों पर ध्यान केन्द्रित करते हुए, लैंगिक सम्वेदनशीलता पर ज़ोर दिया जाएगा, समावेशिता सुनिश्चित की जाएगी, व बिना भेदभाव के काम किया जाएगा. हितधारक परामर्श का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह मानते हुए ही तलाश की जाएगी कि लापता व्यक्ति जीवित है और उसे मदद की तत्काल आवश्यकता है.

उन्होंने कहा, "सीरिया में लापता लोगों का संकट बहुत विकराल रूप ले चुका है. छोटे बच्चों से लेकर बुज़र्ग पुरुषों और महिलाओं तक, हज़ारों लोगों का लापता होना, कड़ी कार्रवाई की मांग करता है. देश भर में पड़ोसियों और गाँवों के इस साझा दर्द को सम्बोधित किया जाना चाहिए. इसके बिना सुलह की कोई भी कोशिश व्यर्थ रहेगी.”

विभाजित समुदायों को जोड़ना

उन्होंने कई अतिरिक्त मानदंडों का प्रस्ताव देते हुए कहा कि इस प्रणाली को वहाँ स्थापित किया जाना चाहिए, जहाँ बचे हुए लोग व परिवार सुरक्षित महसूस करते हों. इसे पूरी तरह से मानवाधिकारों पर आधारित होना चाहिए एवं इसमें पारदर्शिता व अनुकूलन क्षमता सुनिश्चित की जानी चाहिए.

उन्होंने कहा, "परिवारों, समुदायों और समग्र रूप से समाज के लिए, इन मूलभूत मुद्दों पर प्रगति के बिना, सीरिया में स्थाई शान्ति हासिल करना असम्भव होगा. विभक्त समुदायों के बीच विश्वास बहाल करना इस दिशा में आवश्यक क़दम हो सकता है. सीरिया के लोगों के लिए इससे कम कुछ भी करना, बेमानी होगा.”