विश्व तपेदिक दिवस: जानलेवा बीमारी के उन्मूलन पर केन्द्रित पहल को मज़बूती

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने ‘विश्व तपेदिक दिवस’ के अवसर पर इस संक्रामक, जानलेवा बीमारी का वर्ष 2030 तक उन्मूलन करने पर लक्षित अपनी एक महत्वपूर्ण पहल का विस्तार किए जाने की भी घोषणा की है, जो पाँच वर्ष पहले शुरू की गई थी.
टीबी बीमारी मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करती है, मगर इसकी रोकथाम और उपचार सम्भव है और मरीज़ पूर्णत: ठीक हो सकते हैं.
वर्ष 2000 के बाद से, वैश्विक स्तर पर मौतों में लगभग 40 फ़ीसदी की गिरावट आई है, लेकिन अब भी हर साल इस बीमारी से 16 लाख लोगों की मौत होती है और लाखों अन्य लोग प्रभावित होते हैं.
WHO महानिदेशक की इस महत्वपूर्ण पहल (WHO DG’s Flagship Initiative) वर्ष 2018 में शुरू की गई, जिसके ज़रिए टीबी उन्मूलन पर शोध कार्य को आगे बढ़ाने और स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभता सुनिश्चित करने के प्रयासों में तेज़ी लाई जा रही है.
अब इस पहल की अवधि का विस्तार करते हुए इसे 2027 तक के लिए बढ़ा दिया गया है.
इसका उद्देश्य, टीबी के साथ जीवन गुज़ार रहे लोगों को त्वरित निदान और कम अवधि के मौखिक उपचार के ज़रिए, गुणवत्तापूर्ण देखभाल प्रदान करना है.
स्वास्थ्य एजेंसी ने टीबी से बचाव उपायों के लिए निवेश की अहमियत को रेखांकित किया है, विशेष रूप से नई वैक्सीन विकसित किए जाने में, और साथ ही टीबी वैक्सीन गतिशीलता परिषद स्थापित किए जाने का प्रस्ताव दिया है.
फ़िलहाल, टीबी की रोकथाम के लिए मौजूद एकमात्र वैक्सीन लगभग एक सदी पुरानी है, जोकि युवाओं और वयस्कों के लिए पर्याप्त रक्षा कवच नहीं है, जिनमें टीबी संचारण के अधिकतर मामले सामने आते हैं.
यूएन एजेंसी (WHO) के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रोस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि हमें उपलब्ध उपकरणों को और अधिक लोगों तक पहुँचाने की आवश्यकता है लोकिन साथ ही नए साधनों की भी ज़रूरत है.
“टीबी के उपचार में इस्तेमाल की जाने वाली कुछ दवाओं का प्रभाव, दवा प्रतिरोध में वृद्धि की वजह से कम हो रहा है.”
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी की इस पहल के ज़रिए तपेदिक बीमारी के प्रमुख कारकों, जैसेकि निर्धनता, अल्पपोषण, मधुमेह, एचआईवी, तम्बाकू व शराब सेवन, और रहन-सहन व कामकाज की ख़राब परिस्थितियों से निपटने के लिए कार्रवाई और जवाबदेही को बढ़ावा दिए जाने का लक्ष्य रखा गया है.
कुछ मामलों में टीबी के इलाज में दवाएँ बेअसर हो जाती हैं, जोकि एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या है.
इसके मद्देनज़र, WHO और साझेदार संगठनों ने देशों की सरकारों से दवा-प्रतिरोधी टीबी के लिए तत्काल नए, मौखिक उपचार के लिए नियम तैयार किए जाने की प्रक्रिया में तेज़ी लाए जाने का आहवान किया है.
संयुक्त राष्ट्र महासभा में सितम्बर 2023 में टीबी पर एक उच्च-स्तरीय बैठक आयोजित की जाएगी.
डॉक्टर टैड्रोस ने कहा कि टीबी के विरुद्ध लड़ाई में यदि नेतागण निवेश करने के लिए वास्तविक और स्थाई संकल्प लेते हैं तो यह बदलाव लाने वाला एक मोड़ साबित हो सकता है.