स्वस्थ वन, स्वस्थ ग्रह, स्वस्थ मनुष्य

वनों को अक्सर पृथ्वी के फेफड़े कहा जाता है, क्योंकि वो हानिकारक कार्बन डाइऑक्साइड को सोख़कर, जीवनदायिनी ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं. इसलिए, इस वर्ष 2023 के अन्तरराष्ट्रीय वन दिवस की थीम की तर्ज़ पर, अगर स्वस्थ वनों की तुलना स्वस्थ लोगों से की जाए, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी.
पृथ्वी की 31 प्रतिशत भूमि को आच्छादित करते, और समस्त भूमि-आधारित प्रजातियों के 80 प्रतिशत हिस्से के आवास के रूप में, वन -मानव स्वास्थ्य एवं कल्याण के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं. लेकिन सम्पूर्ण ग्रह पर उनकी क्षति से लोगों के सामने ख़तरा पैदा हो गया है.
यहाँ प्रस्तुत है - वनों और मानव स्वास्थ्य के बीच, सदियों पुराने और लगातार बढ़ते परस्पर सम्बन्धों के बारे में, पाँच ज़रूरी तथ्यों की जानकारी.
वन, पारिस्थितिक तंत्र, जलवायु, वर्षा के रुझानों व सम्बन्धित महत्वपूर्ण घटनाओं को विनियमित करके ग्रह को स्वस्थ रखते हैं और महत्वपूर्ण ऑक्सीजन प्रदान करते हैं, जो मानव अस्तित्व के लिए बहुत ज़रूरी है.
स्वस्थ वन "कार्बन सिंक" के रूप में कार्य करके जलवायु परिवर्तन को नियंत्रण में रखने में मदद करते हैं. यह सालाना लगभग दो अरब टन कार्बन डाइऑक्साइड को सोख़ते हैं - वह गैस जो वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन और तापमान वृद्धि का कारक है.
तेज़ी से बदलती जलवायु अलग-अलग तरीक़ों से लोगों के अस्तित्व को ख़तरे में डाल रही है: चरम मौसम की घटनाओं के कारण मृत्यु और बीमारी में वृद्धि, खाद्य प्रणालियों में व्यवधान व रोगों में बढ़ोत्तरी. सीधे शब्दों में कहें तो स्वस्थ वनों के बिना, दुनिया भर के लोग, विशेष रूप से दुनिया के सबसे कमज़ोर देश, स्वस्थ जीवन जीने के लिए या शायद जीवित रहने के लिए भी संघर्ष करेंगे.
दुनिया भर में हर दिन मास्क से लेकर दवाओं तक में, वन उत्पादों का इस्तेमाल किया जाता है. कम से कम 80 प्रतिशत विकासशील देश और एक चौथाई विकसित देश, पौधों पर आधारित औषधीय दवाओं पर निर्भर हैं.
वनों में लगभग 50 हज़ार पौधों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं जिनका उपयोग स्थानीय समुदायों और बहुराष्ट्रीय दवा कम्पनियों द्वारा औषधीय उद्देश्यों के लिए किया जाता है. सहस्राब्दी से, वनवासी स्वयं इकट्ठे किए उत्पादों का उपयोग करके बीमारियों का इलाज करते रहे है. वहीं, अनेक आम औषधियाँ वन में मौजूद पौधों में निहित हैं, जिनमें मेडागास्कर पेरिविंकल से कैंसर का इलाज करने वाली दवाएँ व सिनचोना के पेड़ों से मलेरिया की दवा, कुनैन शामिल हैं.
कोविड-19 महामारी के लिए संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रिया के हिस्से के रूप में शुरू किए गए One Health दृष्टिकोण के तहत यह स्वीकार किया गया है कि मनुष्यों, जानवरों, पौधों और जंगलों सहित, व्यापक पर्यावरण का स्वास्थ्य, आपस में जुड़ा हुआ है व परस्पर आश्रित है.
वैश्विक स्तर पर लगभग एक अरब लोग पौष्टिक आहार के लिए जड़ी-बूटियों, फलों, मेवों, माँस और कीड़ों जैसे जंगली भोजन पर निर्भर हैं. अनुमान है कि कुछ दूरस्थ उष्णकटिबन्धीय क्षेत्रों में, दैनिक प्रोटीन ज़रूरतों का 60 से 80 प्रतिशत हिस्सा, जंगली जानवरों के उपभोग से पूरा होता है.
अफ़्रीका के 27 देशों के 43 हज़ार परिवारों के बीच किए एक अध्ययन में पाया गया कि वनों के सम्पर्क में आने वाले बच्चों की आहार विविधता, वनों के सम्पर्क में न रहने वाले बच्चों की तुलना में कम से कम 25 प्रतिशत अधिक थी.
औद्योगिक और विकासशील, दोनों देशों समेत, एशिया व अफ़्रीका के 22 देशों में शोधकर्ताओं ने पाया कि स्थानीय समुदायों में, प्रति समुदाय औसतन 120 जंगली खाद्य पदार्थों का उपयोग होता है, और भारत में अनुमानित 5 करोड़ परिवार, जंगलों एवं आसपास पाए जाने वाली झाड़ियों से मिलने वाले फलों से अपने आहार की पूर्ति करते हैं.
वन दुनिया भर में लगभग ढाई अरब लोगों को वस्तुएँ व सेवाएँ, रोज़गार एवं आमदनी प्रदान करते हैं; जोकि वैश्विक आबादी का लगभग एक तिहाई हिस्सा है.
वनों और मनुष्यों को स्वस्थ रखना, टिकाऊ विकास एवं 2030 एजेंडा के केन्द्र में भी है. जंगल, टिकाऊ विकास लक्ष्यों (एसडीजी) में प्रगति को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिनमें शामिल हैं:
SDG 3 कल्याण: जंगलों में अच्छा महसूस होता है. अध्ययनों से मालूम होता है कि जंगलों में समय बिताने से प्रतिरक्षा प्रणाली मज़बूत हो सकती है, सकारात्मक भावनाओं को बढ़ाया जा सकता है और तनाव, रक्तचाप, अवसाद, थकान एवं चिन्ता को कम किया जा सकता है. मानव स्वास्थ्य और कल्याण, प्राकृतिक पर्यावरण पर निर्भर करता है, जिससे स्वच्छ हवा, पानी, स्वस्थ मिट्टी तथा भोजन जैसे आवश्यक लाभ मिलते हैं.
SDG 6 जल: मीठा पानी उपलब्ध कराने में वन छलनी की भूमिका निभाते हैं. दुनिया के सुलभ ताज़े पानी का लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा, वन्य जलक्षेत्रों से आता है. नदियों को पानी देकर, जंगल दुनिया के लगभग आधे बड़े शहरों के लिए, पीने के पानी की आपूर्ति करते हैं. जंगलों पर ख़तरे से पानी की कमी हो सकती है और दुनिया भर में लोगों के लिए मौजूद ताज़े पानी के संसाधन, ख़तरे में पड़ सकते हैं, जो आगामी संयुक्त राष्ट्र 2023 जल सम्मेलन में सम्बोधित किए जाने वाले प्रमुख मुद्दों में से हैं.
SDG 13 जलवायु कार्रवाई: जंगल, तूफ़ान और बाढ़ के प्रभावों को कम करते हैं, चरम मौसम की घटनाओं के दौरान मानव स्वास्थ्य एवं सुरक्षा की रक्षा करते हैं. सदियों से संकट के समय जंगल, प्रकृति के सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा जाल के रूप में काम करते रहे हैं. स्थाई रूप से प्रबन्धित और संरक्षित वनों का मतलब है, सर्वजन के लिए बेहतर स्वास्थ्य एवं सुरक्षा.
वनों के व्यापक लाभ सर्वविदित हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें वो सुरक्षा प्राप्त है, जिसके वे हक़दार हैं. पिछले दशक के कुछ वर्षों में आग, कीट-क्षति और वनों की कटाई से 15 करोड़ हैक्टेयर वन की हानि हुई है, जो कि चाड या पेरू जैसे देशों के भूभाग से कहीं अधिक है. ताड़ के तेल, गोमाँस, सोया, इमारत के लिए लकड़ी तथा लुगदी और कागज़ सहित, अकेले कृषि वस्तुओं का उत्पादन, लगभग 70 प्रतिशत उष्णकटिबन्धीय वनों की कटाई का कारण बनता है.
कई सरकारों ने वन-हितैषी नीतियाँ अपनाई हैं, और अन्यों ने जंगलों व पेड़ों में निवेश बढ़ाया है. स्थानीय समुदाय और हितधारक भी इसमें प्रगति कर रहे हैं, कभी-कभी एक बार में एक पेड़ बचाकर. संयुक्त राष्ट्र ने पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली के लिए दशक (2021-2023) की स्थापना की और यूएन एजेंसियाँ, स्थानीय से लेकर वैश्विक हितधारकों तक, सबके साथ साझेदारी का उपयोग करके, जंगलों की बेहतर सुरक्षा के लिए प्रयास कर रही हैं. इनमें पेरू में 30 लाख पेड़ लगाने से लेकर, इंडोनेशिया में अवैध जीवों की तस्करी से रक्षा के लिए युवा महिलाओं को सामुदायिक वन रेंजरों के रूप में काम करने के लिए सशक्त बनाना शामिल है.
2008 में स्थापित, UN-REDD, वनों और जलवायु पर संयुक्त राष्ट्र की प्रमुख ज्ञान एवं सलाहकारी साझेदारी है, जो 65 भागीदार देशों का समर्थन करती है. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूनेप), संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम, और खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) की विशेषज्ञता के आधार पर, इस पहल के तहत, सदस्य देशों ने एक वर्ष के लिए सड़कों से 15 करोड़ कारों को हटाने के बराबर वन उत्सर्जन घटाने में सफलता हासिल की, जिससे शुद्ध हवा में वृद्धि हुई.
संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद (ECOSOC) के अध्यक्ष ने मंगलवार को अन्तरराष्ट्रीय दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि "स्थाई रूप से प्रबन्धित वन, हमारे सामने वर्तमान में मौजूद असंख्य संकटों से स्वस्थ तरीक़े से उबरने में मदद करते हैं और भविष्य के संकटों का सामने करने के लिए हमारी सहनक्षमता मज़बूत करते हैं."
उन्होंने कहा, "आप चाहे स्वास्थ्य को किसी भी तरह परिभाषित करें,, शारीरिक, मानसिक या आध्यात्मिक, सभी में वन अहम भूमिका निभाते हैं."
एक ऐसा सक्षम वातावरण बनाने पर मार्गदर्शन हेतु, जिसमें लोगों को समस्त वनों का लाभ मिल सके, एफ़एओ ने अपनी रिपोर्ट, ‘मानव स्वास्थ्य और कल्याण के लिए वन’ में जंगल एवं मानव स्वास्थ्य के बीच कई महत्वपूर्ण अंतर्संबंधों पर क़रीब से नज़र डालने के साथ-साथ, कई सिफ़ारिशें भी पेश की हैं.