हिरोशिमा की परमाणु त्रासदी पूर्व जीवन की यादें ताज़ा करती तस्वीरें
संयुक्त राष्ट्र ने जापान में, हिरोशिमा परमाणु त्रासदी से जीवित बचे लोगों की तस्वीरों को रंगीन बनाने की जापान की एक पहल की सराहना करते हुए, उसे परमाणु हथियार रहित दुनिया का निर्माण करने व शान्ति स्थापना की बातचीत में नई जान फूँकने का एक तरीक़ा क़रार दिया है. ये तस्वीरें युद्ध से पहले के समय में ली गई थीं.
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, हिरोशिमा और नागासाकी परमाणु बम विस्फोटों में जीवित बचे कुछ ही लोग अब उन दुखभरी यादों को साझा करने के लिए जीवित हैं.
अंजू निवाता हिरोशिमा में जन्मी और पली-बढ़ी एक युवा जापानी शान्ति कार्यकर्ता हैं. यह जानते हुए कि वो, हिरोशिमा परमाणु बम से बचे हुए लोगों यानि ‘हिबाकुशा’ से बात करने में सक्षम अन्तिम पीढ़ी का हिस्सा हैं – अंजू निवाता ने "रिबूटिंग मेमोरीज़" नामक एक परियोजना शुरू की. इसके तहत, युद्ध से पहले शहर में ली गई उन तस्वीरों को रंगीन किया गया, जिनमें जीवित बचे लोगों और बमबारी में खोए हुए परिवार एवं स्थान नज़र आते हैं.
अंजू निवाता ने, जीवित बचे लोगों से काली-सफ़ेद तस्वीरें उधार लेकर, सॉफ़्टवेयर एवं साक्षात्कार के ज़रिए उन्हें रंगीन व जीवन्त करने की कोशिश की हैं. वो कहती हैं, "काली-सफ़ेद तस्वीरें हमें बेजान, स्थिर और थमे हुए समय का बोध कराती हैं."
"लेकिन इन तस्वीरों को रंगीन करने पर, बमबारी से पहले के शान्तिपूर्ण जीवन का थमा हुआ समय और यादें जीवन्त होकर साँस लेने लगती हैं. इसमें काफ़ी समय लगता है, लेकिन रंगीन तस्वीरों को देखकर हिबाकुशा की ख़ुशी से मुझे हमेशा प्रोत्साहन मिलता है.”
उनके प्रयासों का हिबाकुशा ने गर्मजोशी से स्वागत किया है. हिबाकुशा ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के वर्षों में, दुनिया भर के लोगों को परमाणु हथियारों के विनाशकारी प्रभाव समझाने में एक बड़ी भूमिका निभाई थी.
तोकुसो हमाई दो साल के थे, जब बमबारी से पहले उन्हें हिरोशिमा से बचाकर बाहर निकाल लिया गया था. उनके परिवार के सभी सदस्यों की मौत हो गई थी. तोकुसो हमाई, अंजू निवाता की परियोजना के हिस्से के रूप में, उनके साथ हिरोशिमा के नकाजिमा ज़िले में उस नाई की दुकान की जगह पर गए, जिसे उनके पिता चलाते थे.
आज, दुकान के सभी अवशेष और इसके आसपास की इमारतें ग़ायब हो चुकी हैं, और उस दुख़द घटना व मारे गए लोगों की स्मृति में बनाए गए शान्ति पार्क के नीचे दब चुके हैं.
उस स्थान पर खड़े होकर, रंगीन तस्वीरों को देखते हुए, तोकुसो हमाई की युद्ध-पूर्व हिरोशिमा की यादें ताज़ा हो गईं.
उन्होंने कहा, "भूला हुआ सबकुछ मुझे याद आ रहा है. अगर तस्वीरें काली-सफ़ेद होतीं, तो शायद ऐसा नहीं होता. सबसे पहले मुझे जो याद आया, वो है देवदारों के वृक्षों का एक हरा-भरा इलाक़ा. याद आया कि मैं देवदार की कलियों को, एक खिलौना बन्दूक की गोलियाँ बनाने के लिए एकत्र किया करता था.”
संयुक्त राष्ट्र के निरस्त्रीकरण मामलों के अवर महासचिव, इज़ूमी नाकामित्सु ने, परमाणु हमलों के परिणामों के बारे में जागरूकता पुनर्जीवित करने के अंजू निवाता के उद्देश्य का, दिल से समर्थन किया. इज़ूमी नाकामित्सु स्वयं भी एक जापानी हैं.
उन्होंने कहा, "निरस्त्रीकरण संयुक्त राष्ट्र के डीएनए का हिस्सा है. हिरोशिमा और नागासाकी के कुछ ही महीनों बाद लन्दन में महासभा का पहला सत्र हुआ. परमाणु बमबारी के झटके ने उस समय दुनिया में हर किसी पर भारी प्रभाव डाला था.
"तब से, यह संयुक्त राष्ट्र के एजेंडे में प्राथमिकता पर रहा है और आज यह बहुत अधिक महत्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि हम दोबारा एक ख़तरनाक दुनिया में जी रहे हैं, जहाँ संघर्ष और तनाव बढ़ते जा रहे हैं. दुनिया के शस्त्रागार में लगभग 13,000 परमाणु हथियार हैं, परमाणु हथियार वाले देशों के बीच सम्बन्ध तनावपूर्ण हैं. इससे अस्तित्वगत ख़तरे पैदा होते हैं, और मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण है कि लोग इसकी कल्पना कर सकें कि इस्तेमाल करने पर इनका क्या प्रभाव हो सकता है.
"मुझे लगता है कि अंजू निवाता की परियोजना का व्यापक प्रभाव पड़ेगा. यदि आप कल्पना कर सकते हैं कि स्थिति कैसी थी, तो यह आपकी कल्पना को स्पष्टता देते हुए, आपके मस्तिष्क और फिर आपके दिल में एक अहसास पैदा करेंगी.”
अंजू निवाता को, दुनिया भर के प्रेरक वक्ताओं से भरे संयुक्त राष्ट्र के ‘’टिकाऊ विकास लक्ष्यों के लिए वैश्विक कार्रवाई उत्सव’ में भाग लेने पर, यह देखने का अवसर मिला कि शान्ति की दिशा में काम करने वाली वह एकमात्र युवा कार्यकर्ता नहीं हैं, बल्कि प्रत्येक कार्यकर्ता, अलग-अलग तरीक़ों के ज़रिए एक ही लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रयासरत हैं.
उन्होंने कहा, "परमाणु बम हमलों में जीवित बचे लोगों के विचारों व यादों का, भविष्य में प्रसार करना और परमाणु हथियार मुक्त दुनिया सुनिश्चित करना ही मेरा मिशन है."
#युवा4निरस्त्रीकरण
- 2019 में, महासभा के एक प्रस्ताव, "युवा, निरस्त्रीकरण, और अप्रसार" ने युवाओं के उस महत्वपूर्ण और सकारात्मक योगदान की दोबारा पुष्टि की, जो युवजन शान्ति और सुरक्षा को बनाए रखने में कर सकते हैं.
- उसी वर्ष, निरस्त्रीकरण मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODA) ने #Youth4Disarmament संचार पहल की शुरुआत की. इसके ज़रिए, जन विनाश के हथियारों एवं पारम्परिक हथियारों के ख़तरों को कम करने के लिए, जागरूकता बढ़ाने व नए तरीक़े विकसित करने में अंजू निवाता जैसे युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया गया.
- यह पहल, भौगोलिक रूप से विविध युवजन को विशेषज्ञों के साथ जोड़ती है, ताकि वे मौजूदा अन्तरराष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों, संयुक्त राष्ट्र के कामकाज और उसमें सक्रिय रूप से भाग लेने के के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकें.