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रूस: आईसीसी ने किया राष्ट्रपति पुतिन की गिरफ़्तारी का वॉरंट जारी

अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय, नैदरलैंड्स की राजधानी, द हेग में स्थित है.
UN Photo/Rick Bajornas
अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय, नैदरलैंड्स की राजधानी, द हेग में स्थित है.

रूस: आईसीसी ने किया राष्ट्रपति पुतिन की गिरफ़्तारी का वॉरंट जारी

क़ानून और अपराध रोकथाम

संयुक्त राष्ट्र समर्थित अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) के 'मुक़दमा पूर्व चैम्बर' ने यूक्रेन में तथाकथित युद्धापराधों के मामलों में, शुक्रवार को रूसी महासंघ के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन की गिरफ़्तारी का वॉरंट जारी किया है. आईसीसी प्रमुख ने बताया है कि यह वॉरंट, यूक्रेन में रूस के नियंत्रण वाले इलाक़ों से बच्चों को ग़ैरक़ानूनी ढंग से हस्तान्तरित किए जाने और देश से बाहर निकालने के आरोपों से सम्बन्धित है.

अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के अध्यक्ष पियोट्र होफ़मांस्की ने अपने वक्तव्य में शुक्रवार को कहा, “इस वॉरंट के मसौदे को पीड़ितों की सुरक्षा के लिए गोपनीय रखा गया है.”

“इसके बावजूद, न्यायाधीशों ने न्याय के हित में और भविष्य में अपराधों की रोकथाम के इरादे से, यह वॉरंट जारी होने की बात सार्वजनिक किए जाने का निर्णय लिया है.”

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आईसीसी प्री-ट्रायल चैम्बर-II ने बाल अधिकारों के लिए रूसी कमिश्नर मारिया ल्वोवा-बेलोवा की गिरफ़्तारी के लिए भी वॉरंट जारी किया है.

यूएन-समर्थित अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय (ICC) के अनुसार, रूसी राष्ट्रपति और उनके कार्यालय में कमिश्नर, यूक्रेन में क़ाबिज़ इलाक़ों से कथित रूप से बच्चों को ग़ैरक़ानूनी ढंग से हस्तान्तरित और देश निकाला दिए जाने के युद्धापराध के लिए ज़िम्मेदार हैं.  

‘आपराधिक ज़िम्मेदारी’

आईसीसी ने बताया है कि इन अपराधों को कथित रूप से यूक्रेन के क़ाबिज़ इलाक़ों में, 24 फ़रवरी 2022 के बाद से अंजाम दिया गया है.

न्यायालय का कहना है कि यह मानने के लिए तार्किक आधार हैं कि रूसी राष्ट्रपति और कमिश्नर, इन अपराधों के लिए व्यक्तिगत रूप से ज़िम्मेदार हैं.

अदालत को ऐसे तार्किक आधार मिले हैं, जिनके अनुसार राष्ट्रपति पुतिन ने इन कृत्यों को सीधे, अन्य लोगों व पक्षों के साथ साझा तौर पर, या दूसरों के ज़रिए अंजाम दिया है.

बताया गया है कि ये सभी आरोप, रोम संविदा के अनुरूप हैं. रूस और यूक्रेन इस संविदा का पक्ष नहीं हैं, जिसके आधार पर वर्ष 1998 में अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय स्थापित किया गया था.

जवाबदेही पर ज़ोर

आईसीसी के मुख्य अभियोजक करीम ख़ान ने कहा कि कथित अपराधों के लिए ज़िम्मेदारों की जवाबदेही तय की जानी होगी, और बच्चों को उनके परिवारों व समुदायों को लौटाया जाना होगा.

“हम बच्चों के साथ ऐसा बर्ताव किए जाने की अनुमति नहीं दे सकते हैं, मानो वे युद्ध में जीती गई कोई वस्तु हों.”

“मेरे कार्यालय द्वारा चिन्हित घटनाओं में कम से कम सैकड़ों बच्चों को देश निकाला दिया जाना है, जिन्हें अनाथालयों और बाल देखभाल केन्द्रों से ले जाया गया. हमारा आरोप है कि इनमें से अधिकतर बच्चों को, फिर रूसी महासंघ में गोद लेने के लिए भेजा जा चुका है.”

राष्ट्रपति पुतिन द्वारा जारी किए गए आधिकारिक आदेश के बाद रूस में क़ानून बदला गया, ताकि इन बच्चों को जल्द रूसी नागरिकता प्रदान की जा सके. इससे, रूसी परिवारों द्वारा उन्हें गोद लिए जाने का रास्ता आसान बनाना सम्भव हुआ.

मुख्य अभियोजक करीम ख़ान ने बताया कि देश से बाहर भेजे जाने की इन घटनाओं के दौरान, यूक्रेनी बच्चों को चौथी जिनीवा सन्धि के तहत संरक्षण प्राप्त था.

पीड़ितों की सुरक्षा

प्री-ट्रायल चैम्बर ने पहले इन वॉरंटों को प्रकाशित ना करने का निर्णय लिया था, ताकि भुक्तभोगियों और गवाहों की रक्षा के साथ-साथ ऐसे घटनाओं की जाँच भी सुनिश्चित की जा सके.

मगर, यह माना गया कि मौजूदा हालात में ऐसे आचरण अब भी कथित तौर पर जारी हैं, और इन वॉरंटों की सार्वजनिक जागरूकता से ऐसे अपराधों की रोकथाम करने में मदद मिल सकती है.

इसके मद्देनज़र, चैम्बर ने न्याय के हित में इन वॉरंट की मौजूदगी, संदिग्धों के नाम, सम्बन्धित अपराधों समेत अन्य जानकारी को सार्वजनिक करने का निर्णय लिया.

संयुक्त राष्ट्र प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने न्यूयॉर्क में शुक्रवार को पत्रकार वार्ता के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा कि आईसीसी और संयुक्त राष्ट्र, दो अलग-अलग संस्थान हैं, और दोनों के शासनादेश (Mandate) भी अलग हैं.

अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC)

अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय एक स्वतंत्र, स्थाई न्यायिक संस्था है. यह रोम संविदा के अनुरूप स्थापित किया गया था, जिस पर इटली की राजधानी रोम में एक सम्मेलन के दौरान, 17 जुलाई 1998 को हस्ताक्षर हुए थे.

न्यायालय द्वारा 1 जुलाई 2002 के बाद से अंजाम दिए गए सबसे गम्भीर अन्तरराष्ट्रीय अपराधों की जाँच की जा सकती है. यह वो दिन है जब रोम संविदा लागू की गई थी.

कोर्ट का न्याय अधिकार क्षेत्र जनसंहार के अपराधों, मानवता के विरुद्ध अपराधों, युद्धपराधों और आक्रामकता के अपराधों तक सीमित है. आईसीसी ने पिछले 20 वर्षों के दौरान अन्तरराष्ट्रीय न्याय के लिए अनेक महत्वपूर्ण मुक़दमों की सुनवाई और निपटान किया है.

इस क्रम में, बाल सैनिकों की भर्ती, सांस्कृतिक विरासत की बर्बादी, यौन हिंसा और मासूम लोगों पर हमले किए जाने के अपराधों पर अदालती कार्यवाही की गई.