मध्य सहेल: हिंसक टकराव में फँसे एक करोड़ बच्चों की ज़िन्दगियों पर जोखिम

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने शुक्रवार को आगाह किया है कि मध्य सहेल क्षेत्र में, ‘बर्बर’ हिंसक टकराव के कारण तीन देशों - बुर्कीना फ़ासो, माली और निजेर में एक करोड़ बच्चों को तत्काल, मानवीय सहायता की आवश्यकता है. यूनीसेफ़ के अनुसार, जलवायु व्यवधान से प्रभावित इस क्षेत्र में सशस्त्र संघर्षों में फँसे ज़रूरतमन्द बच्चों की यह संख्या, वर्ष 2020 की तुलना में दोगुने से भी अधिक है.
यूएन एजेंसी के प्रवक्ता जॉन जेम्स ने कहा, “हिंसक संघर्ष की कोई स्पष्ट सीमा नहीं हो सकती है, ये शीर्ष समाचारों में छा जाने वाली लड़ाइयाँ नहीं हो सकती हैं, मगर धीरे-धीरे, निश्चित रूप से, बच्चों के लिए हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं.”
यूनीसेफ़ ने सचेत किया है कि टकराव बढ़ने के प्रभाव पड़ोसी देशों में नज़र आ रहे हैं, जिससे 40 लाख अन्य बच्चों के लिए जोखिम बढ़ा है. साथ ही, सशस्त्र गुटों और राष्ट्रीय सुरक्षा बलों के बीच टकराव के अग्रिम मोर्चों पर रहने वाले बच्चों के लिए, हिंसा की ज़द में आने का जोखिम बढ़ रहा है.
Millions of children are at risk as armed conflict intensifies across the central Sahel, and insecurity spills over to neighbouring countries in West Africa.
UNICEF is working to provide life-saving services, but urgent support is needed now. Our latest child alert 👇
UNICEF
उदाहरणस्वरूप, बुर्कीना फ़ासो में 2022 के पहले नौ महीनों के दौरान मौत का शिकार होने वाले बच्चों की संख्या, 2021 की इसी अवधि की तुलना में बढ़कर तीन गुना पहुँच गई है.
सशस्त्र गुटों द्वारा बच्चों को भर्ती किया जा रहा है और लड़ाई में हिस्सा लेने या फिर चरमपंथियों को समर्थन प्रदान करने के लिए मजबूर किया जाता है.
बुर्कीना फ़ासो, माली और निजेर में सशस्त्र गुटों ने सीधे तौर पर स्कूलों को निशाना बनाया है और शिक्षा केन्द्रों पर किए गए हमलों में तेज़ी आई है.
यूनीसेफ़ रिपोर्ट बताती है कि बुर्कीना फ़ासो में 20 प्रतिशत से अधिक स्कूलों को, इन हमलों के परिणामस्वरूप बन्द करना पड़ा है.
“इन तीन देशों – माली, बुर्कीना फ़ासो और निजेर – में आठ हज़ार 300 से अधिक स्कूल, अब हिंसा और असुरक्षा की वजह से बन्द हैं.”
यूनीसेफ़ प्रवक्ता ने जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि शिक्षक स्कूल छोड़ कर चले गए हैं, बच्चों को स्कूल जाने में डर लगता है, परिवार विस्थापित हैं, इमारतों पर हमले किए गए हैं, और लोग हिंसा में फँसे हुए हैं.
यूएन एजेंसी का कहना है कि मध्य सहेल क्षेत्र के हालात की आँच में अब अन्य देश भी झुलने लगे हैं और बेनिन, आइवरी कोस्ट, घाना और टोगो के इलाक़े प्रभावित हो रहे हैं.
“बच्चों के पास अति-आवश्यक सेवाओं व संरक्षण की बेहद सीमित सुलभता ही बची है.” इन चार देशों के उत्तरी सीमावर्ती इलाक़ों में हिंसा की 172 घटनाएँ दर्ज की गई हैं, जिनमें हथियारबन्द गुटों द्वारा किए गए हमले भी हैं.
मध्य सहेल क्षेत्र खाद्य और जल क़िल्लत से गम्भीर रूप से प्रभावित है और इन परिस्थितियों में सशस्त्र गुटों की सक्रियता के कारण, आम लोगों के लिए गुज़र-बसर कर पाना और भी कठिन हो गया है.
बताया गया है कि गाँवों व नगरों की नाक़ेबन्दी की गई है और जल केन्द्र दूषित कर दिए गए हैं. 2022 में बुर्कीना फ़ासो में 58 जल केन्द्रों पर हमले किए गए, जोकि पिछले वर्ष की तुलना में तीन गुना वृद्धि को दर्शाते हैं.
एक अनुमान के अनुसार, बुर्कीना फ़ासो, माली, और निजेर के सीमावर्ता इलाक़ो में 20 हज़ार से अधिक लोगों के समक्ष, जून 2023 तक, विनाशकारी स्तर की खाद्य असुरक्षा पैदा होने की आशंका जताई गई है.
यूनीसेफ़ ने सचेत किया है कि जलवायु झटकों के कारण फ़सलों पर असर पड़ रहा है, और वैश्विक औसत की अपेक्षा, सहेल क्षेत्र में तापमान 1.5 गुना तेज़ी से बढ़ रहा है, अनिश्चित वर्षा रुझानों के कारण अक्सर बाढ़ के हालात बन रहे हैं.
चरम मौसम घटनाओं के असर से विस्थापन की घटनाएँ बढ़ रही हैं और इन तीन देशों में फ़िलहाल 27 लाख से अधिक लोग विस्थापित हैं.
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने ज़ोर देकर कहा है कि मध्य सहेल क्षेत्र में संकट से निपटने के लिए पर्याप्त मात्रा में संसाधन उपलब्ध नहीं हैं. यूनीसेफ़ ने वर्ष 2022 के दौरान ज़रूरी धनराशि में से केवल एक-तिहाई का ही प्रबन्ध हो पाया है.
इस साल, यूएन एजेंसी ने मध्य सहेल और पड़ोसी तटीय देशों में मानवीय सहायता अभियान के लिए, 47 करोड़ 38 लाख डॉलर की अपील की है. साथ ही, अति-आवश्यक सामाजिक सेवाओं में दीर्घकालिक दृष्टि से निवेश किया जाएगा.
क्षेत्र में स्थानीय समुदायों व युवजन के साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है, ताकि उनके लिए एक बेहतर भविष्य को आकार दिया जा सके.