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म्याँमार: सैन्य तख़्तापलट का लोगों पर विनाशकारी असर, पीड़ा रोके जाने का आग्रह

म्याँमार के यंगून में एक महिला अपने अस्थाई घर में अपने बच्चे के साथ.
© UNICEF/Nyan Zay Htet
म्याँमार के यंगून में एक महिला अपने अस्थाई घर में अपने बच्चे के साथ.

म्याँमार: सैन्य तख़्तापलट का लोगों पर विनाशकारी असर, पीड़ा रोके जाने का आग्रह

शान्ति और सुरक्षा

म्याँमार के लिए संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत नोएलीन हेज़र ने गुरूवार को यूएन महासभा की एक बैठक को सम्बोधित करते हुए सचेत किया कि क्रूरतापूर्ण सैन्य तख़्तापलट के परिणामस्वरूप उभरी हिंसा, देश में चिन्ताजनक स्तर पर अब भी जारी है और लोग कठिन हालात में जीवन गुज़ार रहे हैं.

यूएन दूत ने क्षोभ प्रकट करते हुए कहा कि म्याँमार में फ़रवरी 2021 को हुए सैन्य तख़्तापलट का, देश और स्थानीय जनता पर विनाशकारी असर हुआ है.

उन्होंने अपने लिए शासनादेश (mandate) की अवधि बढ़ाए जाने के प्रस्ताव के नवीनीकरण पर सदस्य देशों का आभार प्रकट किया, और कहा कि म्याँमार के नेतृत्व में सभी हितधारकों को साथ लेकर प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाना होगा.

नोएलीन हेज़र के अनुसार, इस प्रक्रिया में आम जनता की आकांक्षाओं को परिलक्षित किया जाना होगा और पीड़ा व मौत के चक्र पर विराम लगाया जाना होगा.

विशेष दूत ने बताया कि 1 फ़रवरी को सैन्य नेतृत्व ने देश में आपातकाल की अवधि बढ़ाई है और बल प्रयोग भी गहनता से किया जा रहा है.

हवाई बमबारी की जा रही है, आमजन के घर जलाए गए हैं और सत्ता पर पकड़ बनाए रखने के लिए मानवाधिकार उल्लंघन के गम्भीर मामलों को अंजाम दिया गया है.  

बताया गया है कि म्याँमार की 47 टाउनशिप में मार्शल लॉ लागू है और मौजूदा नेतृत्व के वफ़ादार नागरिकों को ताक़त प्रदान की जा रही है और उन्हें बन्दूकें रखने की भी अनुमति दी गई है.

विद्रोही लड़ाकों के साथ बर्बरतापूर्ण ढंग से हिंसा की गई है, सिर धड़ से अलग किए जाने और शवों को क्षति-विक्षत किए जाने के मामले दर्ज किए गए हैं, और जातीय इलाक़ों में हिंसा में तेज़ी आई है.

“हमें अभी जानकारी प्राप्त हुई है कि इस सप्ताहान्त, सेना ने दक्षिणी शान प्रान्त में स्थित एक मठ में 28 आम नागरिकों को जान से मार दिया है.”

कड़ा प्रतिरोध

विशेष दूत हेज़र के अनुसार, क्रूर दमन के बावजूद, देश में व्यापक स्तर पर प्रतिरोध जारी है और इसके लिए हर सम्भव तरीक़ो का इस्तेमाल किया जा रहा है.

“एक पीढ़ी, विशेष रूप से युवजन, जिसे म्याँमार के अतीत में खुलने का लाभ पहुँचा था, अब उनका मोह भंग हो चुका है, उन्हें कठोर परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है और अनेक का मानना है कि सैन्य नेतृत्व से लड़ाई के लिए हथियार उठाने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है.”

म्याँमार के उन हिस्सों में भी हिंसा फैलने की ख़बर है, जोकि पहले इससे अछूते थे. इन हालात में आम लोगों के जीवन पर जोखिम है, और जीवन रक्षा के लिए मानवीय सहायता अभियान जटिल हो गए हैं.

सामूहिक दंड

विशेष दूत ने बताया कि सैन्य नेतृत्व चार-सूत्री रणनीति पर काम कर रहा है, जिसके ज़रिए, भोजन, धनराशि, सूचना व भर्तियों पर रोक लगाने की कोशिश की जा रही है, और सामूहिक दंड के लिए आम नागरिकों को निशाना बनाया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि विरोधी राष्ट्रीय एकता सरकार, सैन्य बलों की क्रूरता की ओर ध्यान आकृष्ट कर रही है और साथ ही प्रतिरोधी गुटों को भी अमानवीय कृत्य, स्वयं अंजाम देने से बचने के लिए आगाह किया गया है.

मौजूदा हालात में, म्याँमार में विशाल स्तर पर मानवीय राहत आवश्यकताएँ उपजी हैं और एक करोड़ 76 लाख लोगों को मानवीय सहायता की ज़रूरत है.

16 लाख से अधिक लोग देश की सीमाओं के भीतर विस्थापित हुए हैं और 55 हज़ार इमारतें क्षतिग्रस्त हुई हैं.

म्याँमार में 2017 में सैन्य अभियान के दौरान जान बचाने के लिये बड़ी संख्या में रोहिंज्या समुदाय के लोगों ने बांग्लादेश का रुख़ किया. (फ़ाइल)
© UNICEF/Patrick Brown

नोएलीन हेज़र ने ज़ोर देकर कहा कि म्याँमार की जनता के नेतृत्व में देश का भविष्य तय किए जाने की आवश्यकता है, और इसमें सभी आवाज़ों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना होगा, विशेष रूप से महिलाओं, युवजन व अल्पसंख्यकों की.

“रोहिंज्या लोगों के लिए टिकाऊ समाधान को एक शान्तिपूर्ण, समावेशी और लोकतांत्रिक म्याँमार के ढाँचे में समाहित करना होगा.”

रोहिंज्या शरणार्थी

विशेष दूत ने ध्यान दिलाया कि लगभग पाँच वर्ष पहले, लाखों रोहिंज्या शरणार्थियों ने बांग्लादेश की सीमा में प्रवेश करके वहाँ शरण ली थी, और लाखों शरणार्थी अब भी विकट परिस्थितियों में जीवन गुज़ार रहे हैं.

इसी महीने, कॉक्सेस बाज़ार में एक रोहिंज्या शरणार्थी शिविर में व्यापक पैमाने पर भड़की आग से 15 हज़ार लोग प्रभावित हुए हैं.

विश्व खाद्य कार्यक्रम ने सहायता धनराशि की क़िल्लत के कारण शरणार्थियों के लिए रसद में कटौती किए जाने की घोषणा की है.

नोएलीन हेज़र ने सदस्य देशों से रोहिंज्या मानवीय संकट के लिए 2023 साझा कार्रवाई योजना को समर्थन देने का आग्रह किया है, जिसके लिए 87 करोड़ 60 लाख डॉलर की रक़म की अपील की गई है.

उन्होंने कहा कि म्याँमार में त्रासदी और गहरी अनिश्चितता के बावजूद, देश में अभूतपूर्व एकजुटता उभरी है और यूएन महासभा को देश की जनता की इच्छा के समर्थन में, नए सिरे से प्रतिबद्धता व्यक्त करनी होगी.