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भांग को क़ानूनी स्वीकृति से स्वास्थ्य जोखिमों की अनदेखी

पिछले 24 वर्षों में कैनेबिस (भांग) की प्रबलता में चार गुना बढ़ोत्तरी हुई है.
Unsplash/Wesley Gibbs
पिछले 24 वर्षों में कैनेबिस (भांग) की प्रबलता में चार गुना बढ़ोत्तरी हुई है.

भांग को क़ानूनी स्वीकृति से स्वास्थ्य जोखिमों की अनदेखी

क़ानून और अपराध रोकथाम

अन्तरराष्ट्रीय नारकोटिक्स नियंत्रण बोर्ड (INCB) ने अपनी नई रिपोर्ट में सचेत किया है कि कुछ देशों की सरकारों ने, कैनेबिस (भांग) के ग़ैर-चिकित्सा प्रयोग को जो क़ानूनी मान्यता दी है, उससे उसकी खपत बढ़ी है. मगर, इस ड्रग का सेवन करने वाले लोगों को इससे होने वाले गम्भीर स्वास्थ्य ख़तरों के बारे में जानकारी नहीं दी गई है.  

आईएनसीबी ने गुरूवार को अपनी वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए चेतावनी जारी की है कि मौजूदा रुझानों की वजह से, मनोरंजन के लिए भांग का सेवन करने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है और मनोरोग व्याधियाँ भी उत्पन्न हुई हैं.  

साथ ही, 1961 में नारकोटिक्स ड्रग पर संयुक्त राष्ट्र सन्धि का भी उल्लंघन हुआ है.

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नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, जिन न्याय-अधिकार क्षेत्रों में भांग को क़ानूनी मान्यता दी गई है, वहाँ आँकड़े दर्शाते हैं कि इससे सम्बन्धित स्वास्थ्य समस्याएँ भी बढ़ी हैं.  

उन्होंने इस क्रम में 2000 से 2018 की अवधि का उदाहरण दिया, जब भांग पर निर्भरता या उसका सेवन छोड़ने के कारण, विश्व भर में स्वास्थ्य केन्द्रों पर भर्ती होने के मामलों में आठ गुना वृद्धि हुई.

“भांग-सम्बन्धी मनोरोग व्याधियों के मामले, विश्व भर में चार गुना बढ़े हैं.”

आईएनसीबी ने वर्ष 2022 में कोकीन उत्पादन व तस्करी में आए उछाल को भी रेखांकित किया है, और उन रसायनों में भी, जिनकी हेरोइन, कोकीन और अन्य ड्रग्स को बनाने में ज़रूरत होती है.

“उच्च स्तर की शुद्धता (कोकीन) अब अपेक्षाकृत सस्ते दामों पर उपलब्ध है.” बताया गया है कि उन इलाक़ों में आपराधिक गतिविधियों में भी बढ़ोत्तरी हुई है, जहाँ कोका झाड़ियाँ उगाई जाती हैं.

योरोप में प्रसंस्करण केन्द्र

आईएनसीबी ने एक अन्य चिन्ताजनक रुझान को साझा करते हुए बताया कि तस्करों ने योरोप में ज़्यादा संख्या में कोकीन प्रसंस्करण (processing) केन्द्र स्थापित किए हैं.

वर्ष 2022 में, विश्व भर में कोकीन प्रसंस्करण की 15 प्रयोगशालाओं का पता चला, जिनमें से छह योरोप में थीं.

आईएनसीबी ने अफ़ीम वाली दवाओं के आवश्यकता से अधिक सेवन की महामारी (opioid overdose epidemic) से निपटने के लिए वैश्विक कार्रवाई की पुकार लगाई है, और चेतावनी जारी की है कि फ़ेंटानिल और अन्य ख़तरनाक अफ़ीम दवाओं की तस्करी बढ़कर, अब 'Oceania' क्षेत्र तक पहुँच रही है.

इस क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, फ़िजी, वानुआतु, सोलोमोन आईलैंड्स समेत अन्य देश हैं.

वैकल्पिक रसायनों का इस्तेमाल

अमेरिका में ओपिऑइड महामारी और ड्रग के अत्यधिक सेवन का संकट 2022 में बद से बदतर हो गया, जिसकी वजह ग़ैरक़ानूनी उत्पादन और ड्रग तस्करी के मामलों में उछाल को बताया गया है.

रिपोर्ट बताती है कि पिछले एक वर्ष में ग़ैरक़ानूनी ड्रग्स उद्योग ने नए तौर-तरीक़ों का सहारा लिया है, और नियंत्रित पदार्थों के बजाय, वैकल्पिक रसायनों का इस्तेमाल किया है, ताकि वे अन्तरराष्ट्रीय नियंत्रण उपायों से बच सकें.

आईएनसीबी के अनुसार, बड़ी मात्रा में ऐसे रसायन ज़ब्त किए iए हैं, जिनका इस्तेमाल ग़ैरक़ानूनी दवाओं के उत्पादन में पाँच महाद्वीपों में स्थित 67 देशों में किया जाता है.

नियंत्रण बोर्ड ने इसके मद्देनज़र सदस्य देशों के लिए इन पदार्थों की बढ़ती तस्करी के प्रति सचेत रहने की चेतावनी जारी की है, और यह भी ध्यान रखा जान होगा कि अवैध ड्रग्स उद्योग अन्तरराष्ट्रीय नियंत्रण उपायों से बचने के लिए कौन सी तरक़ीबें अपना रहा है.

दुनिया भर में किशोरावस्था के लोगों में मादक पदार्थों का प्रयोग, एक गम्भीर समस्या है.
© UNICEF/Giacomo Pirozzi

जोखिम को समझना ज़रूरी

यूएन आयोग ने भांग के मनोरंजन प्रयोग पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि इस उद्योग के बढ़ते आकार के कारण, ड्रग का इस्तेमाल पहले की तुलना में बढ़ता जा रहा है, विशेषकर युवाओं के लिए इन उत्पादों के विज्ञापन के ज़रिए, जिनमें अक्सर जोखिम को कम आँका जाता है.

“संयुक्त राज्य अमेरिका में, यह दर्शाया गया है कि किशोर और युवा वयस्क, उन संघीय प्रान्तों में भांग का अधिक सेवन करते हैं, जहाँ इसे क़ानूनी स्वीकृति प्राप्त है, उन राज्यों में इसका प्रयोग अब भी कम है जहाँ मनोरंजन के लिए इसका इस्तेमाल अब भी अवैध है.”

इसके अलावा, भांग-आधारित अन्य उत्पादन, जैसेकि ‘edibles’ की आकर्षक पैकेजिंग व प्रचार किया जाता है, जिससे ये रुझान बढा है.

यूएन विशेषज्ञों ने सचेत किया है कि इन तिकड़मों से भांग के इस्तेमाल से होने वाली मुश्किलों को मामूली समझा जाने लगा है, विशेष रूप से युवा आबादी में.

यूएन बोर्ड का कहना है कि दर्द निवारण के लिए इस्तेमाल की जाने वाली अफ़ीम आधारित दवाओं की सुलभता में, देशों के बीच विषमताएँ हैं. अनेक देशों को ऐसी दवाओं की पर्याप्त आपूर्ति के लिए जूझना पड़ता है, जबकि उच्च-आय वाले देशों में ये दवाएँ अपेक्षाकृत आसानी से सुलभ हैं.

इस क्रम में, आईएनसीबी ने देशों के लिए सिफ़ारिशें प्रस्तुत की है, ताकि आवश्यक दवाओं की सुलभता को बेहतर बनाया जा सके, और कोई भी मरीज़ पीछे ना छूटने पाए.