वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस: डिजिटल लैंगिक समता पर मुख्य ज़ोर

रवांडा की ये महिला कम्प्यूटर विशेषज्ञ (Coder) बचत और वित्तीय स्वाधीनता को बढ़ावा देने वाले ऐप्स (Apps) बनाती हैं.
© UNICEF/Mary Gelman
रवांडा की ये महिला कम्प्यूटर विशेषज्ञ (Coder) बचत और वित्तीय स्वाधीनता को बढ़ावा देने वाले ऐप्स (Apps) बनाती हैं.

अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस: डिजिटल लैंगिक समता पर मुख्य ज़ोर

महिलाएँ

संयुक्त राष्ट्र महासभा, बुधवार को नीले रंग में सराबोर हो गई जब क़रीब 1800 लोग अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस पर मनाने के लिए एकत्र हुए. वर्ष 2023 में इस दिवस पर अधिक समावेशी व परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकी और डिजिटल शिक्षा की आवश्यकता पर अधिक ज़ोर है.

यूएन महासभा में मौजूद अनेक प्रतिभागियों ने, प्रौद्योगिकी क्षेत्र में काम करने वाले महिलाओं के सम्मान में, विभिन्न रंगों के कपड़ें पहने जिनमें नीले रंग की विभिन्न छाप नज़र आ रही थे. प्रौद्योगिकी एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें काम करने वाले लोगों में ज़्यादा संख्या पुरुषों की है और महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम है.

Tweet URL

यूएन महासभा के अध्यक्ष कसाबा कोरोसी ने अपने उदघाटन भाषण में कहा, “मैं इस कक्ष में इतनी भीड़ और इतनी ऊर्जा से भरपूर माहौल कम ही देखता हूँ."

"ये उन आदर्श लक्ष्यों का स्पष्ट संकेत है जिनका हम आज जश्न मना रहे हैं और जिनका यहाँ प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.”

प्रौद्योगिकी रोज़गारों’ में बढ़ोत्तरी

महासभा अध्यक्ष ने प्रौद्योगिकी और नवाचार क्षेत्रों में और ज़्यादा लैंगिक समावेश की पुकारों में अपनी आवाज़ मिलाते हुए, टिकाऊ विकास लक्ष्यों (SDGs) के साथ इसके सम्बन्ध को रेखांकित किया, जो 2030 तक एक न्यायसंगत और समान भविष्य के लिए ब्लूप्रिंट उपलब्ध कराते हैं.

उन्होंने कहा कि सदी के मध्य तक, 75 प्रतिशत रोज़गार और कामकाज, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) क्षेत्र में होंगे.

अलबत्ता, आज दुनिया भर में 20 विशालतम वैश्विक प्रौद्योगिकी कम्पनियों के कार्यबल में, महिलाओं की संख्या केवल 30 प्रतिशत है.

विशाल क्षमता व सम्भावना

कसाबा कोरोसी ने लैंगिक समानता से सम्बन्धित टिकाऊ विकास लक्ष्य – 5 की प्राप्ति और आधी मानवता की कम प्रयुक्त क्षमता व सम्भावना का लाभ उठाने के लिए, वैश्विक प्रयास सघन करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया.

उन्होंने कहा, “कुछ मूल्यांकनों के अनुसार, डिजिटल दुनिया से महिलाओं को दूर रखे जाने से, पिछले दशक में, निम्न और मध्यम आय वाले देशों के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) को, एक ट्रिलियन डॉलर की रक़म का नुक़सान हुआ.”

“उससे भी ज़्यादा बदतर बात ये है कि अगर महिलाओं व हाशिए पर रहने वाले समूहों को, प्रौद्योगिकी तक समुचित पहुँच नहीं दी जाती है, तो हम हमारे सामने दरपेश अनेक चुनौतियों के समाधान निकालने में, अपार अतिरिक्त क्षमताओं का लाभ उठाने से वंचित रह जाएंगे.”

वादे और जोखिम

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इस कार्यक्रम के लिए अपनी टिप्पणी में कहा कि प्रौद्योगिकी, दुनिया भर में महिलाओं और लड़कियों की ज़िन्दगियों को बेहतर बना सकती है. महासचिव के ये विचार, उनके स्टाफ़ प्रमुख कर्टेने रैट्रे ने प्रस्तुत किए.

उन्होंने कहा कि ये बेहतरी शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और वित्तीय सेवाओं तक विस्तारित हो सकती है, और कारोबार व उद्यमिता के लिए भी नए रास्ते खोल सकती है.

बाधा उन्मूलन

यूएन प्रमुख ने ऐसी बाधाओं को दूर करने की पुकार लगाई जिन्होंने महिलाओं व लड़कियों ऑफ़लाइन रखा हुआ है, जिनमें ऐसी दकियानूसी सोच व परम्पराएँ भी शामिल हैं जो उन्हें विज्ञान व गणित की शिक्षा हासिल करने से हतोत्साहित करती हैं.

उन्होंने कहा कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) क्षेत्र में, महिलाओं का नेतृत्व बढ़ाया जाना होगा, जबकि इंटरनैट को महिलाओं व लड़कियों के लिए सुरक्षित बनाना होगा. ध्यान रहे कि ऑनलाइन मंचों पर नफ़रत, दुर्व्यवहार, अपशब्द प्रयोग और उत्पीड़न की प्रथम शिकार महिलाएँ और लड़कियाँ हैं.

महिलाओं को वरीयता

अन्तरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) की महासचिव डोरीन बोग्डेन-मार्टिन, 2023 के अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस समारोह को सम्बोधित करते हुए.
UN Photo/Manuel Elias

यूएन प्रमुख ने इस सुखद समाचार की तरफ़ भी ध्यान आकर्षित किया कि महिलाएँ, प्रौद्योगिकी को ज़्यादा सुरक्षित, ज़्यादा सुलभ, ज़्यादा समावेशी और बेहतर नियमित बनाने के लिए, अग्रिम मोर्च पर हैं.

सितम्बर 2022 में, डोरीन बोग्डैन-मार्टिन. सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों (ICTs) के लिए संयुक्त राष्ट्र की विशेषीकृत एजेंसी की प्रमुख निर्वाचित हुई थीं, जोकि अन्तरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) के 58 वर्ष के इतिहास में, पहली महिला महासचिव बनीं.

डोरीन बोग्डैन-मार्टिन ने इस कार्यक्रम में अपने सम्बोधन में कहा, “समय बदल रहा है.”

यह कहते हुए उन्होंने कुछ उदाहरण भी पेश किए कि युवा महिलाएँ, STEM का प्रयोग, किस तरह दृष्टिबाधित लोगों तक शिक्षा पहुँचाने और आदिवासी जन को जलवायु परिवर्तन का मुक़ाबला करने में कर रही हैं.

डोरीन बोग्डैन-मार्टिन ने सार्वभौमिक कनैक्टिविटी प्राप्ति की दिशा में वैश्विक सक्रियता पर भी ताज़ा जानकारी दी. उन्होंने कहा कि आईटीयू के नेतृत्व वाले इस गठबन्धन ने “डिजिटल लैंगिक समता” के लिए, 17 अरब डॉलर से भी ज़्यादा रक़म एकत्र की है.

उन्होंने कहा, “हमारे पास एक अनोखा अवसर उपलब्ध है... ये सुनिश्चित करने का, कि लैंगिक समानता हमारे जीवनकाल में ही हो जाए, और उसके लिए 300 वर्ष का समय ना लगे.”

डोरीन बोग्डैन-मार्टिन ने कहा कि डिजिटल प्रौद्योगिकी, इसमें मदद का रास्ता खोल सकती है. “हर जगह डिजिटल लैंगिक समता हासिल नहीं करने के लिए, अब और बहाने स्वीकार नहीं किए जा सकते.”

उन्होंने देशों को STEM विषयों में शिक्षा प्राप्ति के लिए और ज़्यादा लड़कियों को मौक़े दिए जाने की चुनौती दी, ताकि डिजिटल प्रौद्योगिकियों और अवसरों तक समान पहुँच सुनिश्चित की जा सके, और “डिजिटल मेज़ पर और ज़्यादा महिलाओं को जगह मिले. हर एक संगठन में लैंगिक समता एक अनिवार्यता बन जाए.”

‘डिजिटल अधिकार महिलाधिकार हैं’

यूएन वीमैन संस्था की कार्यकारी निदेशक सीमा बहाउस, 2023 के अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस समारोह में, अपने विचार रखते हुए (8 मार्च 2023).
UN Photo/Manuel Elias

यूएन वीमैन की कार्यकारी निदेशक सीमा बहाउस के लिए, प्रौद्योगिकी और नवाचार, ऐसे क्रान्तिकारी परिवर्तक हैं जिनके विशाल सम्भावित लाभ हैं.

उन्होंने कहा, “अगर प्रौद्योगिकी और नवाचार का बुद्धिमानी के साथ प्रयोग किया जाए तो वो हमें टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्राप्ति और एक ज़्यादा शान्तिपूर्ण विश्व के लिए, सही रास्ते पर ला सकते हैं.”

उन्होंने आगाह करने के अन्दाज़ में कहा, “उनका दुरुपयोग, हमारे प्रयासों को भटका सकता है. ये सही रास्ता चुनने का मामला है.”

सीमा बहाउस ने कहा कि प्रौद्योगिकी द्वारा उपलब्ध अवसरों का फ़ायदा उठाने और सम्भावित हानियों से बचने के लिए, देशों की सरकारों, सिविल सोसायटी, और निजी क्षेत्र की संयुक्त कार्रवाई की दरकार है.

उन्होंने कहा, “आइए, हम ये बात प्रमुखता से उजागर करें कि डिजिटल अधिकार, महिलाधिकार हैं.” उनके इस वाक्य पर विशाल महासभा कक्ष, तालियों से गूंज उठा.

“हमें सस्थाओं और प्रौद्योगिकी, नवाचार व शिक्षा के इर्दगिर्द व्याप्त दकियानूसी सोच और विचारों को दुरुस्त करना होगा, जो महिलाओं को नाकाम बनाते हैं...”