महिलाओं के लिए एक न्यायसंगत डिजिटल भविष्य के ‘कोड’ की दरकार

संयुक्त राष्ट्र ने, बुधवार 8 मार्च को अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विषमताओं के विरुद्ध जागरूकता प्रसार के साथ कहा है कि महिलाएँ वास्तविक दुनिया में जिन विषमताओं का सामना करती हैं, वो ऑनलाइन मंचों पर भी मौजूद हैं. इस विश्व संगठन ने सर्वजन के लिए एक न्यायसंगत डिजिटल भविष्य का सपना आगे बढ़ाया है.
हर किसी के जीवन में डिजिटल मौजूदगी की बढ़ोत्तरी के बावजूद, लैंगिक डिजिटल खाई और ज़्यादा बढ़ी है; आज, वैश्विक स्तर पर लगभग 63 प्रतिशत महिलाओं को इंटरनैट तक पहुँच हासिल है, जबकि पुरुषों की संख्या 69 प्रतिशत है.
डिजिटल प्रौद्योगिकी के सभी क्षेत्रों में महिलाओं व लड़कियों का प्रतिनिधित्व कम है, कोडिंग से लेकर सृजन, और नियम व नीतियाँ तैयार करने तक. इस विषमता की भारी-भरकम क़ीमत है: यूएन वीमैन संस्था के अनुसार, डिजिटल क्षेत्र में महिलाओं की ग़ैर-मौजूदगी को ख़त्म कर दिया जाए, यानि उन्हें समान प्रतिनिधित्व मिले तो, निम्न व मध्य आय वाले देशों के सकल घरेलू उत्पाद में, लगभग एक ट्रिलियन डॉलर की रक़म जोड़ी जा सकती है.
साथ ही, महिलाएँ व लड़कियाँ अक्सर इस सैक्टर में तनावपूर्ण वातावरण से भी हतोत्साहित होती हैं; औसतन, महिलाओं को पुरुषों की तुलना में, 21 प्रतिशत कम मेहनताना मिलता है, उनकी प्रोन्नति की दर भी काफ़ी कम होती है, और महिलाओं की लगभग आधी संख्या कामकाज के स्थान पर तनावपूर्ण वातावरण का भी सामना करती हैं.
ये आँकड़े ऑनलाइन वातावरण को बदलने और महिलाओं व लड़कियों के लिए पहुँच का दायरा बढ़ाने की तत्काल ज़रूरत को रेखांकित करते हैं. संयुक्त राष्ट्र इस उद्देश्य के लिए अनेक परियोजनाओं को समर्थन दे रहा है.
यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने महिला दिवस पर अपने वीडियो सन्देश में कहा है कि अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस पर, हम पूरी दुनिया में, जीवन के सभी क्षेत्रों में, महिलाओं और लड़कियों की उपलब्धियों का जश्न मनाते हैं.
“मगर हम उन भारी बाधाओं की भी पहचान करते हैं जिनका वे सामना करती हैं - ढाँचागत अन्याय, हाशिए पर धकेले जाने, और हिंसा से लेकर वो समस्त व्यापक संकट, जो उन्हें सबसे पहले व सबसे बुरी तरह प्रभावित करते हैं, उनकी व्यक्तिगत स्वायत्तता नकारने व उनके शरीर एवं जीवन पर उनके अधिकारों तक.”
उन्होंने कहा कि लिंग आधारित भेदभाव, सभी को हानि पहुँचाता है - महिलाओं, लड़कियों, पुरुषों व लड़कों को. अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस, कार्रवाई की एक पुकार है.
“कार्रवाई - उन महिलाओं के साथ खड़े होने के लिए, जो भारी व्यक्तिगत क़ीमत चुकाकर, अपने मौलिक अधिकारों की मांग कर रही हैं. कार्रवाई - यौन शोषण और दुर्व्यवहार के ख़िलाफ़ सुरक्षा को मज़बूत करने के लिए. और कार्रवाई - महिलाओं की पूर्ण भागेदारी व नेतृत्व में तेज़ी लाने के लिए.”
इस वर्ष महिला दिवस की थीम में, लैंगिक समानता को आगे बढ़ाने के लिए, प्रौद्योगिकी और नवाचार की आवश्यकता पर बल दिया गया है.
यूएन प्रमुख के अनुसार, प्रौद्योगिकी से महिलाओं और लड़कियों के लिए शिक्षा एवं अवसरों का विस्तार हो सकता है. मगर इसका प्रयोग, दुर्वचन व नफ़रत बढ़ाने के लिए भी किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि आज, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित में एक तिहाई कार्यबल महिलाओं का है. और जब नई तकनीकें विकसित करने में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम होता है, तो भेदभाव की शुरुआत वहीं से हो जाती है.
“इसलिए हमें डिजिटल विभाजन ख़त्म करके, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में महिलाओं व लड़कियों के प्रतिनिधित्व को बढ़ाना चाहिए.”
डिजिटल दुनिया से महिलाओं को बाहर रखने से, पिछले एक दशक में, निम्न और मध्यम आय वाले देशों के सकल घरेलू उत्पाद को, अनुमानतः एक ट्रिलियन डॉलर की चपत लगी है – यह एक ऐसी क्षति है जो कार्रवाई के अभाव में वर्ष 2025 तक, 1.5 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ सकती है.
एंतोनियो गुटेरश ने कहा कि महिलाओं में संसाधन निवेश करने से सभी लोगों, समुदायों और देशों का उत्थान होता है.
“आइए, हम हर जगह महिलाओं, लड़कियों, पुरुषों व लड़कों के लिए एक अधिक समावेशी, न्यायपूर्ण और समृद्ध दुनिया बनाने की ख़ातिर, सरकारों, निजी क्षेत्र और नागरिक समाज, एकजुट होकर काम करें.”