'निजेर: भविष्य के स्कूलों के लिए साझेदारियों में निहित हे शक्ति'

संयुक्त राष्ट्र उपमहासचिव आमिना मोहम्मद ने कहा है कि भूसे व तिनकों से बनाए गए स्कूलों को, आपसी सहयोग और नवाचारी समाधानों के ज़रिए, टैक्नॉलॉजी से सुसज्जित कक्षाओं में बदल कर, उन्हें भविष्य की ज़रूरतों के लिए तैयार किया जा सकता है.
यूएन उपप्रमुख ने बुधवार को निजेर की राजधानी नियामे में जिस राष्ट्रीय त्रासदी स्थल पर ये उदगार व्यक्त किए, वह अब एक आशा पुंज के रूप में उभरी है.
आमिना मोहम्मद ने नियामे के बाहरी इलाक़े में स्थित इकॉल पेई बा नामक स्कूल का दौरा किया, जोकि लगभग दो साल पहले, भूस में आग लगने की वजह से पूरी तरह जल गया था.
No matter what it takes, we must continue investing in education for young minds and their futures. https://t.co/e8NXXTBOVr
AminaJMohammed
यहाँ झुलसा देने वाली गर्मी में बिजली के तार में समस्या की वजह से हुई इस घटना ,में 21 बच्चों की मौत हो गई थी, जिनमें 9 लड़के और 12 लड़कियाँ थीं.
यूएन उपप्रमुख ने कहा कि स्कूल के अहाते में लगाए गए पेड़, इन युवा बच्चों की स्मृति के सम्मान में हैं.
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने इस स्कूल का पुनर्निर्माण किया है और 21 नई कक्षालय तैयार किए गए हैं. इसके अलावा, नज़दीक में ही स्थित एक अन्य स्कूल में पाँच कक्षाओं की मरम्मत की गई है.
यूएन उपमहासचिव ने बताया कि स्कूल फिर से खड़ा करने और नई कक्षाओं का निर्माण करने के लिए, सरकार, स्थानीय समुदाय, संयुक्त राष्ट्र और अन्य साझेदारों ने साथ मिलकर काम किया.
इसके तहत, ज़रूरी फ़र्नीचर, पाठ्य सामग्री और घटना से प्रभावित हुए शिक्षकों, परिवारों और छात्रों के लिए मनोसामाजिक समर्थन सुनिश्चित किया गया.
इकॉल पेई बा को फिर से एक हज़ार 800 बच्चों के लिए खोला गया है, जिससे आसपास के स्कूलों में भीड़ में कमी लाना सम्भव हुआ है.
उपमहासचिव ने कहा कि वृहद यूएन (One UN) दृष्टिकोण और इस आपदा के बाद सरकार की महत्वाकांक्षी सोच के तालमेल से नवाचारी समाधान अपनाए गए है.
इस क्रम में, एक डिजिटल सामुदायिक केन्द्र भी स्थापित किया गया, जिससे छात्रों व समुदायों को प्रासंगिक ज्ञान अर्जित करने और डिजिटल कौशल निखारने में मदद मिली है.
“इनमें कार्यालय स्वचालन, कम्पयूटर ग्राफ़िक्स, सोशल मीडिया प्रबन्धन, साइबर सुरक्षा, कम्पयूटर देखरेख और 3डी प्रिंटिंग है.”
यह केन्द्र पिछले वर्ष यूएन विकास कार्यक्रम, यूएन बाल कोष ने सूचना समाज के लिए राष्ट्रीय एजेंसी के साथ साझेदारी में स्थापित किया था.
यूएन उपप्रमुख ने कहा कि निजेर सरकार ने सभी स्कूलों में चरणबद्ध ढंग से ऐसे नवाचारी समाधानों को प्रयोग में लाना शुरू किया है, जोकि एक ऐसी प्रेरणास्पद दूरददृष्टि है, जिसके लिए संसाधनों और साझीदारों के समर्थन की आवश्यकता होगी.
आमिना मोहम्मद ने इन अहम फ़ैसलों के ज़रिए बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के लिए संकल्प दर्शाए जाने की सराहना की है, जिसके अन्तर्गत कुल राष्ट्रीय बजट का 20 फ़ीसदी शिक्षा के लिए तय किया गया है.
उन्होंने सचेत किया कि देश में अब भी भूसे और तिनकों से बनाए गए लगभग 36 हज़ार स्कूल मौजूद हैं, और उन सभी में बड़ा बदलाव लाने की चुनौती को, किसी एक साझीदार के ज़रिए हल नहीं किया जा सकता है.
यूए उपमहासचिव ने कहा कि इकॉल पेई बा स्कूल एक मॉडल है, जो दर्शाता है कि मुख्य हितधारकों के एक साथ आकर, सरकार के साथ मिलकर प्रयास करने से, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के लिए सुरक्षित माहौल किस तरह तैयार किया जा सकता है, ताकि उन्हें भविष्य के लिए संवारा जा सके.
संयुक्त राष्ट्र ने केवल इन दो स्कूलों में कक्षाओं के पुनर्निर्माण में ही मदद नहीं की. इसके अलावा, 900 बेंच, छात्रों के लिए मेज़ें, शिक्षकों के लिए 50 से अधिक मेज़ें और 30 ब्लैकबोर्ड भी प्रदान किए गए हैं.
उन्होंने कहा कि बुनियादी ढाँचे या उपकरण मुहैया कराए जाने से आगे बढ़कर, एक समग्र दृष्टिकोष विकसित किया जाना होगा, ताकि शिक्षा लक्ष्य प्राप्त किए जा सकें.
“इसके लिए ज़्यादा बेहतर पाठ्यक्रम, परिष्कृत कौशल के साथ पर्याप्त शिक्षकों, स्कूली आहार समेत पोषण व स्वास्थ्य सेवा की आवश्यकता होगी.”
यूएन उपमहासचिव ने कहा कि एकीकृत व दक्षतापूर्ण सुदृढ़ता और निर्धनता में कमी लाने पर केन्द्रित कार्यक्रमों का स्तर बढ़ाए जाने की भी ज़रूरत होगी.
उनके अनुसार यह सुनिश्चित किया जाना होगा कि नाज़ुक हालात से प्रभावित क्षेत्रों में, छात्रों की पीढ़ी शिक्षा के दायरे से दूर ना होने पाए.