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पहले ‘विश्व समुद्री घास दिवस’ पर संरक्षण उपायों पर ज़ोर

हरित क्षेत्र, जलवायु परिवर्तन के ख़िलाफ़ बहुत प्रभावी प्रकृति आधारित समाधान हैं.
© Unsplash/Benjamin L. Jones
हरित क्षेत्र, जलवायु परिवर्तन के ख़िलाफ़ बहुत प्रभावी प्रकृति आधारित समाधान हैं.

पहले ‘विश्व समुद्री घास दिवस’ पर संरक्षण उपायों पर ज़ोर

एसडीजी

संयुक्त राष्ट्र ने पहली बार मनाए जा रहे ‘विश्व समुद्री घास दिवस’ के अवसर पर ध्यान दिलाया है कि पृथ्वी पर विस्तृत दायरे में फैले और इन बेहद अहम समुद्री पारिस्थितिकी तंत्रों की रक्षा के लिए, और अधिक क़दम उठाए जाने की आवश्यकता है.

समुद्री घास से तात्पर्य समुद्री जल में फलने-फूलने वाले उन पौधों से हैं, जिन्हें उष्णकटिबन्धीय क्षेत्रों से लेकर आर्कटिक सर्किल तक, उथले जल में पाया जाता है.

एक अनुमान के अनुसार, ये महासागरीय तल में तीन लाख वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैले हैं.

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ये प्रवाल भित्तियों (coral reefs) जैसे रंग-बिरंगे, या मैनग्रोव जंगलों जैसे रहस्यमयी तो नहीं होते हैं, लेकिन मनुष्यों और समुद्री जीवन के लिए विविध प्रकार के लाभ सुनिश्चित करते हैं.

समुद्री घास के मैदान, जिन्हें अक्सर एक प्रकार के नीले जंगल के रूप में भी जाना जाता है, वे हज़ारों प्रजातियों की मछलियों, समुद्री घोड़ों, कछुओं और अन्य समुद्री जानवरों के लिए भोजन व आश्रय प्रदान करते हैं.

साथ ही, ये विशाल स्तर पर मछलियों को भी पोषित करते हैं.

इसके अलावा, समुद्री प्रजातियों से इतर, बत्तख़ और कलहंस (geese) समेत कुछ अन्य प्राणी भी उन पर निर्भर करते हैं, चूँकि पतझड़ के मौसम के दौरान अपने प्रवासन के लिए वे समुद्री घास चरते हैं.

समुद्री घास से जल गुणवत्ता भी बेहतर होती है और वे पोषक तत्वों और प्रदूषकों को सोख लेते हैं, जिससे समुद्री भोजन में दूषण में कमी आती है.

समुद्री पारिस्थितिकी तंत्रों के हिस्से के तौर पर, समुद्री घास में कुल महासागरीय कार्बन के 18 प्रतिशत का भंडारण करने की क्षमता है.

प्रकृति के साथ समरसता

इनसे तरंग ऊर्जा में भी गिरावट आती है, जोकि इन्हें तटीय इलाक़ों की रक्षा के लिए पहली पंक्ति में लाकर खड़ा करती है.

इससे तटीय समुदायों के लिए बाढ़ और तूफ़ान के जोखिम में कमी आती है.

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) में समुद्री और ताज़े जल शाखा की प्रमुख लेटिसिया कार्वाल्हो ने बताया कि समुद्री घास पारिस्थितिकी तंत्र, सक्रिय प्रकृति का एक आदर्श उदाहरण है.

“यहाँ पर्यावास और नाज़ुक जीवन का ताना-बाना, एक दूसरे से आदर्श समरसता के साथ आपस में गुँथे हुए हैं.”

विलुप्ति का जोखिम

विशेषज्ञों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन शमन (mitigation) में योगदान और उनकी अहमियत के बावजूद, समुद्री घास के मैदानों पर ख़तरा बढ़ रहा है.

यूएन पर्यावरण एजेंसी का कहना है कि हर 30 मिनट में एक फ़ुटबॉल के मैदान के आकार की समुद्री घास विलुप्त हो रही है, और हर साल सात प्रतिशत इन घास के मैदानों के खोने का अनुमान है.

इनकी एक बड़ी वजह, महासागरीय जल में बढ़ती अम्लता, तटीय इलाक़ों में विकास और जलवायु परिवर्तन के कारण महासागरों के तापमान में वृद्धि होना है.

टिकाऊ विकास

विश्व समुद्री घास दिवस के ज़रिए, इन महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्रों के लिए बढ़ते ख़तरों के प्रति जागरूकता फैलाने का प्रयास किया गया है.

साथ ही, उनके संरक्षण को भी बढ़ावा दिया जाएगा, जिसे टिकाऊ विकास लक्ष्यों और जलवायु परिवर्तन पर पैरिस समझौते को साकार करने के इरादे से अहम माना गया है.

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मई 2022 में एक प्रस्ताव पारित करके, हर वर्ष इसे एक मार्च को मनाए जाने की घोषणा की थी.

यूएन विशेषज्ञ लेटिसिया कार्वाल्हो ने बताया कि समुद्री घास के संरक्षण, बहाली और सतत प्रबन्धन के लिए सामयिक, महत्वाकांक्षी और समन्वित कार्रवाई को प्राथमिकता दी जानी होगी.

उन्होंने कहा कि देशों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि प्रकृति के साथ हज़ारों सालों से सामंजस्य बनाकर रहने वाले स्थानीय समुदायों तक भी इनका लाभ पहुँचे.