एचआईवी/एड्स पीड़ितों के ख़िलाफ़ भेदभावपूर्ण क़ानून निरस्त करने की पुकार
एड्स की समाप्ति के लिए प्रयासरत संयुक्त राष्ट्र संगठन UNAIDS की प्रमुख विनी ब्यानयीमा बुधवार को, 'शून्य सहिष्णुता दिवस' के अवसर पर कहा है कि एचआईवी/एड्स से पीड़ित लोगों के ख़िलाफ़ भेदभावपूर्ण क़ानूनों को रद्द करने से, लोगों की जान बचाने और महामारी का अन्त करने के प्रयासों में मदद मिलेगी.
यूएनएड्स की कार्यकारी निदेशक विनी ब्यानयीमा ने कहा, "आज भी एड्स से होने वाली मौतें का एकमात्र कारण समाज में व्याप्त असमानताएँ हैं, और ये सभी कारक मिलकर इसका जोखिम और भी बढ़ा देते हैं. इसका अपराधीकरण करने वाले क़ानून, लोगों को जीवन रक्षक उपचार से दूर करते हैं, इसलिए इन्हें तुरन्त हटाए जाने की आवश्यकता है."
1 मार्च को मनाए जाने वाले, शून्य भेदभाव दिवस का उद्देश्य है कि लोगों को समावेश, करुणा, शान्ति एवं बदलाव के इस आन्दोलन के बारे में जागरूक किया जा सके.
वर्ष 2023 का विषय – ‘Save Lives: Decriminalize’ - भेदभावपूर्ण और दंडात्मक क़ानूनों को हटाए जाने से, स्वास्थ्य एवं जीवन पर सकारात्मक असर की ओर इशारा करता है.
क़ानूनी बाधाएँ दूर करना
उन्होंने कहा कि दुनिया, सभी क्षेत्रों में हाल के सुधारों और उपलब्धियों के बावजूद, वर्ष 2021 में निर्धारित लक्ष्यों तक पहुँचने के लिए रास्ते पर नहीं है: जिनका मक़सद यह सुनिश्चित करना था कि 10 प्रतिशत से कम देशों में ही ऐसा दंडात्मक क़ानूनी और नीतिगत वातावरण रह जाए, जो एचआईवी सेवाओं तक पहुँचने में बाधाएँ पैदा करता है.
एड्स की समाप्ति के लिए प्रयासरत, संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने जानकारी दी है कि 2021 में 134 देशों में एचआईवी जोखिम, ग़ैर-प्रकटीकरण या संचरण को आपराधिक बना दिया गया है.
153 देशों में, सैक्स का कम से कम एक पहलू अवैध है. UNAIDS ने कहा कि सहमति से समलैंगिक यौन गतिविधियाँ, 67 देशों में क़ानून के ख़िलाफ़ हैं, और 20 देशों में ट्रांसजैंडर व्यक्तियों को अपराधी ठहराया और/या उनपर मुक़दमा चलाया गया है.
इसके अलावा, 48 देशों में आज भी एचआईवी पीड़ितों को प्रवेश करने की मनाही है, जबकि 53 देशों में उन्हें विवाह प्रमाणपत्र प्राप्त करने से लेकर, व्यवसाय करने जैसी अनेक गतिविधियों के लिए, अनिवार्य एचआईवी परीक्षण की आवश्यकता पड़ती है. 106 देशों में किशोरों को एचआईवी परीक्षण के लिए माता-पिता की सहमति आवश्यक है.
विनी ब्यानयीमा ने कहा कि इस तरह के क़ानून और प्रतिबन्ध, अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानदंडों का उल्लंघन हैं और पहले से ही हाशिए पर खड़ी आबादी को कलंकित करते हुए, भेदभाव पूर्ण हैं.
सामाजिक अन्याय की समाप्ति
उन्होंने कहा, "राष्ट्रीय स्तर पर, लोगों को एचआईवी की रोकथाम और उपचार से दूर रखने वाले, आपराधिक क़ानूनों को निरस्त करना ज़रूरी है."
उन्होंने कहा कि उप-सहारा अफ़्रीका में किए गए शोध से पता चलता है कि पुरुषों के साथ यौन सम्बन्ध रखने वाले पुरुषों में एचआईवी का प्रसार उन देशों में पाँच गुना अधिक था, जो समान लैंगिक यौन गतिविधियों को आपराधिक मानते हैं.
वहीं, एचआईवी का प्रसार उन देशों में 12 गुना अधिक बढ़ गया, जहाँ हाल ही में आपराधिक मुक़दमे किए गए थे.
इसी तरह, यौन गतिविधियों के अपराधीकरण से, यौनकर्मियों को एचआईवी होने का जोखिम और ग्राहकों, पुलिस व अन्य पक्षों द्वारा की जाने वाली हिंसा के लिए उनकी कमज़ोरी बढ़ जाती है.
उन्होंने कहा, "एचआईवी एक बीमारी है, लेकिन उससे अधिक यह एक सामाजिक अन्याय है. यह समाज में व्याप्त असमानताओं से प्रेरित है. ये ऐसी चीज़ नहीं है जो समाज में आम सहमति के बिना सम्भव हो सके. इसलिए हमें हर किसी को एकजुट करने ज़रूरत है.”
सबूतों से पता चलता है कि नशीली दवाओं के व्यक्तिगत उपयोग और उन्हें अपने पास रखने का ग़ैर-आपराधीकरण करने से, उन लोगों के बीच एचआईवी के मामले काफ़ी कम हो सकती है, जो इंजेक्शन के ज़रिए ड्रग का सेवन हैं. इससे निपटने के लिए, नुक़सान कम करने वाली सेवाओं तक अधिक पहुँच सुनिश्चित करने के प्रयास अधिक बेहतर होंगे.
उन्होंने कहा, "अगर हम 2030 तक एड्स के सार्वजनिक स्वास्थ्य ख़तरे को समाप्त करना चाहते हैं, तो क़ानून में सुधार बेहद महत्वपूर्ण है."
यथार्थवादी लक्ष्य
उन्होंने न्यायिक सफलता की कहानियों का उदाहरण देते हुए समझाया कि लक्ष्य महत्वाकांक्षी हैं, लेकिन असम्भव नहीं.
2022 में, बेल्जियम और ऑस्ट्रेलिया ने यौन गतिविधियों को आपराधिक बनाने वाले क़ानूनों को निरस्त कर दिया, ज़िम्बाब्वे ने एचआईवी जोखिम, ग़ैर-प्रकटीकरण व संचरण को आपराधिकरण की श्रेणी से हटा दिया, और मध्य अफ़्रीकी गणराज्य ने एचआईवी सम्बन्धित आपराधिक क़ानूनों का दायरा घटा दिया.
उन्होंने अन्य उदाहरणों की ओर इशारा करते हुए कहा कि एंटीगुआ व बारबुडा, सेंट किट्स व नेविस, सिंगापुर व बारबाडोस में, समलैंगिक यौन गतिविधि को अपराध मानने वाले पुराने औपनिवेशिक क़ानूनों को निरस्त कर दिया गया है.
कुवैत में ट्रांसजैंडर व्यक्तियों को लक्षित करने वाला एक क़ानून निरस्त कर दिया गया, जबकि न्यूज़ीलैंड में एचआईवी सम्बन्धित यात्रा प्रतिबन्ध हटा दिए गए हैं.