UNESCO: ऑनलाइन माध्यमों को नियमित करने के लिए दिशा-निर्देशों पर चर्चा

संयुक्त राष्ट्र के शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) ने ऑनलाइन माध्यमों को नियमित करने हेतु, वैश्विक दिशा-निर्देशों के मसौदे पर चर्चा के लिए पहली बार एक सम्मेलन आयोजित किया जो गुरूवार को पेरिस में सम्पन्न हुआ. सम्मेलन में ऑनलाइन माध्यमों पर झूठी जानकारी के फैलाव को देखते हुए, जानकारी प्राप्त करने और सूचना प्राप्ति के अधिकार को बनाए रखने का आहवान किया गया है.
‘Internet For Trust’ नामक इस सम्मेलन में 4 हज़ार 300 से अधिक लोगों ने शिरकत की. यूनेस्को ये दिशा-निर्देश सितम्बर 2023 में जारी करेगा.
When misinformation & disinformation spread, facts are undermined & public trust is no longer there.
This makes it much more difficult for the @UN & its agencies to make the world a better place.
The digital world needs to be regulated: https://t.co/PrIw5FzmYV #InternetForTrust https://t.co/IPsIapdsH0
UNESCO
यह तीन दिवसीय सम्मेलन, सूचना की विश्वसनीयता को बेहतर बनाने और ऑनलाइन मंचों पर मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के लिए, सोशल मीडिया के लिए नियामक समाधान विकसित करने के लिए वैश्विक संवाद में नवीनतम चरण था.
यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्री अज़ूले ने चेतावनी जारी करते हुए कहा, "सच और झूठ के बीच की सीमाओं का धुंधला होना, वैज्ञानिक तथ्यों कों अत्यधिक संगठित तरीक़े से झुठलाना, ग़लत सूचनाएँ और साज़िशें फैलाना, इन चलन मूल रूप से सोशल नेटवर्क पर शुरू नहीं हुआ. मगर, इन पर कोई क़ानूनी नियंत्रण नहीं होने के कारण, ये सब उन मंचों पर, सच्ची ख़बरों से भी कहीं ज़्यादा फलते-फूलते हैं."
ऑड्री अज़ूले ने देशों से एकजुट होकर कार्रवाई करने का आग्रह किया ताकि सूचना एक वैश्विक सामान्य भलाई बनी रहे. साथ ही, "हम इस प्रौद्योगिकी क्रान्ति का केवल पूरा लाभ उठाकर ही, यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि यह मानव अधिकारों, अभिव्यक्ति की आज़ादी और लोकतंत्र को नुक़सान नहीं पहुँचाए."
इस सम्मेलन को, ब्राज़ील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला ड सिल्वा और वर्ष 2021 की नोबेल शान्ति पुरस्कार विजेता, फिलीपींस की पत्रकार मारिया रेस्सा जैसे वक्ताओं ने सम्बोधित किया.
पत्रकार मारिया रेस्सा ने अपने सम्बोधन में कहा, “झूठ, तथ्यों की तुलना में कहीं अधिक तेज़ी से फैलता है. तथ्यों में किसी को ख़ास रुचि नहीं होती. झूठ विशेष रूप से तब फैलते हैं जब उन्हें भय, क्रोध , घृणा से, कबायली सोच – और हम बनाम वो के कट्टर विचारों के साथ मिलाकर पेश किया जाता है. ये बिल्कुल ऐसा है जैसे एक जलती हुई माचिस को भड़का दिया जाए.”
उन्होंने सोशल मीडिया के अलगोरिदम से सतर्क रहने के लिए आगाह किया जो झूठ फैलाने के बदले में लाभ पहुँचाता है क्योंकि आने वाली पीढ़ियों को एक ऐसी दुनिया विरासत में मिलेगी जिसमें, ख़तरनाक तरीक़े से सच्चाई का कोई मूल्य नहीं रहेगा.
उन्होंने कहा, "तथ्यों के बिना, आपके पास सत्य नहीं हो सकता है, सत्य के बिना, आपके पास विश्वास नहीं हो सकता है, और फिर हमारे पास कोई साझा वास्तविकता नहीं होगी.”
लूला नाम से मशहूर ब्राज़ील के राष्ट्रपति ने सम्मेलन के लिए अपने सन्देश में, पिछले महीने अपने देश में लोकतांत्रिक संस्थानों के ख़िलाफ़ हिंसक हमलों का ज़िक्र किया.
उन्होंने कहा, "उस दिन जो हुआ वह एक अभियान का समापन था, जो बहुत पहले शुरू कर दिया गया था, और जिसमें झूठ व ग़लत ख़बरों को गोला-बारूद के रूप में इस्तेमाल किया गया था."
काफ़ी हद तक इस अभियान को ऑनलाइन माध्यमों और सन्देश मंचों के माध्यम से परवान चढ़ाया गया, संगठित और प्रसारित किया गया था. यह वही तरीक़ा था, जो विश्व में अन्य स्थानों पर भी, हिंसा को भड़काने के लिए अपनाया जाता है. इसे रोका जाना होगा.
यू-ट्यूब की एक मशहूर हस्ती फ़ेलिप नैटो भी ब्राज़ीली नागरिक हैं और उन्होंने भी अलगोरिदम द्वारा जबरन मुहैया कराई गई अतिवादी सामग्री के साथ अपने अनुभव बाँटे. मगर उन्होंने साथ ही ज़ोर देकर ये भी कहा कि डिजिटल मंचों को बन्द करना, कोई उद्देश्य नहीं है.
फ़ेलिप नैटो के यू-ट्यूब चैनल को, 4.4 करोड़ से अधिक लोग देखते हैं. उनका कहना है कि यह जवाबदेही, दंड मुक्ति को रोकने, ज़िम्मेदारों को जवाबदेही के चंगुल में लाने के बारे में, और यह कहने के बारे में है कि 'आपको उन ग़लतियों की ज़िम्मेदारी स्वीकार करनी होगी जो आपने की हैं और जो आप करने जा रहे हैं.
UNESCO के अनुसार, वर्तमान में कम से कम 55 देश, नियामक योजनाओं पर काम कर रहे हैं.
हालाँकि, यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्री अज़ूले ने मानवाधिकारों पर आधारित एक सुसंगत, वैश्विक रुख़ अपनाए जाने की हिमायत की है. उनका ये भी कहना है कि अगर नियम-क़ानून अलग-थलग रहकर ही बनाए गए तो उनका नाकाम होना तय है.
ऑड्री अज़ूले ने कहा, “सूचना व्यवधान निश्चित रूप से एक वैश्विक समस्या है, इसलिए हमारी सोच और कार्रवाई भी वैश्विक स्तर पर ही होनी चाहिए.”
यूनेस्को प्रमुख ने सम्मेलन का अन्त, सभी देशों से इंटरनेट को एक ऐसे साधन में तब्दील करने के आग्रह के साथ किया जो वास्तव में जनता की सेवा के लिए हो और जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को सुनिश्चित करने में मदद करे, जिसमें जानकारी मांगने और प्राप्त करने का अधिकार शामिल हो.