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WHO: नेत्रहीनता व दृष्टिबाधिता से निपटने के लिए सार्वभौमिक नेत्र कवरेज की दरकार

भारत को कोलकाता में, एक 13 वर्षीय लड़का, ब्रेल लिपि पढ़ते हुए.
© UNICEF/Anita Khemka
भारत को कोलकाता में, एक 13 वर्षीय लड़का, ब्रेल लिपि पढ़ते हुए.

WHO: नेत्रहीनता व दृष्टिबाधिता से निपटने के लिए सार्वभौमिक नेत्र कवरेज की दरकार

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दक्षिण-पूर्व एशिया में दृष्टि हानि और दृष्टिबाधिता के बढ़ते अनुपातहीन बोझ से निपटने के लिए, सर्वजन को गुणवत्तापूर्ण, सस्ती, एकीकृत एवं जन-केन्द्रित व्यापक नेत्र देखभाल प्रदान करने के लिए त्वरित कार्रवाई का आहवान किया है.

दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए WHO की क्षेत्रीय निदेशक डॉक्टर पूनम खेत्रपाल सिंह ने 'एकीकृत जन-केन्द्रित नेत्र देखभाल' पर, सदस्य देशों की एक उच्च स्तरीय बैठक का उदघाटन करते हुए कहा, “विश्व स्तर पर दृष्टिबाधिता या नेत्रहीनता के शिकार दो अरब 20 करोड़ लोगों में से लगभग 30 प्रतिशत जन, WHO के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में हैं."

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"यह भारी बोझ अस्वीकार्य है, क्योंकि विश्व भर में व्याप्त दृष्टिबाधिता के लगभग आधे से मामले रोकथाम योग्य थे या उन पर अभी तक ध्यान नहीं दिया गया है.”

उन्होंने कहा कि इसके प्रति सबसे अधिक संवेदनशीलता, छोटे बच्चों और वृद्ध व्यक्तियों में देखी जाती है, जबकि महिलाओं, ग्रामीण आबादी व जातीय अल्पसंख्यक समूहों में दृष्टि हानि होने की सम्भावना सबसे अधिक आँकी गई है, और फिर इन्हें देखभाल मिलने की सम्भावना भी बहुत कम होती है.

इस क्षेत्र में मौजूद समस्त सामाजिक-आर्थिक समूहों के लोगों के बीच, मधुमेह जैसे ग़ैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के कारण भी दृष्टि हानि और दृष्टिबाधिता बढ़ रहे हैं.

2019 में, इस क्षेत्र में 87 करोड़ 60 लाख लोग मधुमेह के शिकार थे.

उनमें से, 30 करोड़ 60 लाख लोगों को डायबिटिक रैटिनोपैथी यानि उच्च रक्त शर्करा के कारण होने वाली आँखों की बीमारी थी.

और 96 लाख लोगों को आँखों की रौशनी ख़त्म हो जाने के ख़तरे वाली रैटिनोपैथी बीमारी थी, जो दरअसल अनुपचारित डायबिटिक रैटिनोपैथी के कारण होने वाली दृष्टिबाधिता या नेत्रहीनता होती है.

सदस्य देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों ने इस तीन दिवसीय उच्च स्तरीय बैठक में, व्यक्तिगत व वर्चुअल रूप से शिरकत की. इन सदस्य देशों के कार्यक्रम प्रबन्धक, 'दक्षिण-पूर्वी एशिया में एकीकृत जन-केन्द्रित नेत्र देखभाल के लिए 2022 - 2030' कार्य योजना' को तात्कालिक लागू करने के उपायों पर विचार-विमर्श करेंगे.

प्रभावी कवरेज पर ज़ोर

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का सहयोगी सगंठन, एलवी प्रसाद नेत्र संस्थान, व्यापक नेत्र स्वास्थ्य सुविधा और दृष्टिबाधिता या नेत्रहीनता की रोकथाम के लिए, इस बैठक का समर्थन कर रहा है.

क्षेत्रीय कार्य योजना के प्रमुख उद्देश्य हैं:

  • देशों को व्याप्त ख़ामियाँ दूर करके प्रभावी कवरेज में 40 प्रतिशत वृद्धि हासिल करने में सक्षम बनाना,
  • मोतियाबिन्द सर्जरी के प्रभावी कवरेज में 30 प्रतिशत की वृद्धि,
  • मधुमेह वाले कम से कम 80 प्रतिशत लोगों की रैटिनोपैथी के लिए नियमित रूप से जाँच सुनिश्चित करना, 
  • और उनमें से कम से कम 80 प्रतिशत मामलों की पहचान करके, 2030 तक आँखों की रौशनी जाने के ख़तरे वाली डायबिटिक रैटिनोपैथी के मामलों का इलाज करना है.

योजना में, 2025 तक क्षेत्र में ‘ट्रैकोमा’ को ख़त्म करने के उपायों की भी रूपरेखा दी गई है. क्षेत्र के दो देशों - नेपाल और म्याँमार - में ‘ट्रैकोमा’ का पूर्ण उन्मूलन हो गया है.

क्षेत्रीय कार्य योजना

आँखों की सर्जरी.
WHO/PAHO

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी की क्षेत्रीय निदेशक ने कहा, "क्षेत्रीय कार्य योजना कार्रवाई योग्य, साक्ष्य आधारित और स्थानीय रूप से अनुकूलनीय रणनीतियों की एक श्रृंखला का विवरण देती है, जिन्हें तत्काल लागू करने की आवश्यकता है."

डॉक्टर पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य साक्षरता बढ़ाने और नेत्र देखभाल सेवाओं की मांग बढ़ाने के लिए, लोगों व समुदायों को जोखिम एवं सेवाओं तक पर्याप्त पहुँच न रखने वाली आबादी पर ध्यान देने व साथ जोड़कर सशक्त बनाने की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा कि आम नेत्र स्वास्थ्य मुद्दों के प्रबन्धन को नियमित स्वास्थ्य सेवाओं में शामिल किया जाना चाहिए और प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल व समुदाय-आधारित सेवाओं को प्राथमिकता देने के लिए वर्तमान देखभाल मॉडल में उचित बदलाव किए जाने चाहिए.

क्षेत्रीय निदेशक ने, नेत्र स्वास्थ्य के लिए कार्यबल मज़बूत करने का आहवान किया और लोगों को आवश्यक दवाएँ, चश्मे, कम दृष्टि सहायता, पुनर्वास एवं सहायक उत्पादों तक पहुँचने में सक्षम बनाने के लिए, वित्तीय जोखिम संरक्षण पर ज़ोर दिया.

विश्व स्वास्थ्य संगठन सदस्य देशों को अपना पूर्ण तकनीकी और परिचालन समर्थन प्रदान करना जारी रखेगा.

डॉक्टर खेत्रपाल सिंह ने कहा कि सार्वभौमिक नेत्र देखभाल के साथ दृष्टि हानि से निपटना, केवल एक स्वास्थ्य का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह ग़रीबी, भुखमरी, शिक्षा, लैंगिक समानता और कामकाज सहित कई टिकाऊ विकास लक्ष्य हासिल करने के लिए भी महत्वपूर्ण है.