संकट में सपने: बच्चों के पोस्टकार्ड, विश्व नेताओं के नाम

संयुक्त राष्ट्र के एक नए अभियान में, अगली पीढ़ी और उनकी महत्वाकांक्षाओं को उजागर करते हुए, दुनिया के कुछ सबसे संकटग्रस्त हिस्सों से भेजे गए पोस्टकार्डों पर उकेरे चित्रों व शब्दों के ज़रिए, यह दिखाने की कोशिश की गई है कि संकट में भी सपने पनपते हैं.
बुर्कीना फ़ासो की अलीमा, एक पुलिस अधिकारी बनना चाहती हैं, माली की आवा, नर्स बनने का सपना देखती है, और इक्वाडोर की 11 वर्षीय मारिया गैब्रिएला, पशु चिकित्सा स्कूल जाने की उम्मीद रखती हैं.
हालाँकि उनकी सुरक्षा के लिए, यहाँ उनके असली नाम नहीं दिए गए हैं - लेकिन उनके सपने बिल्कुल असली हैं. वर्तमान में, अलीमा, आवा और मारिया गैब्रिएला जैसे सपने देखने वाले 22 करोड़ 20 लाख युवजन, युद्ध, आपदा और विस्थापन की भयावहता का सामना कर रहे हैं. वे शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं, लेकिन संघर्ष, जलवायु के झटके, या आसपास व्याप्त अस्थिरता जैसी चुनौतियाँ, उनकी उत्सुकता व सरल सी इच्छा पूर्ण होने में रुकावटें पैदा कर रही हैं: स्कूल जाने और शिक्षा पाने की छोटी सी इच्छा.
पोस्टकार्ड-आकार में उनके भविष्य के सपनों की ये झलक, एक ऐसी स्पष्ट तस्वीर पेश करती है, जिसकी क़ीमत हज़ारों शब्दों से कहीं अधिक है. आपात स्थिति और दीर्घकालिक संकटों में शिक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक कोष ‘शिक्षा प्रतीक्षा नहीं कर सकती’ (Education Cannot Wait) के तहत, उनके सपनों को क़रीब से देखने-समझने के लिए, हाल ही में ‘पोस्टकार्ड्स फ्रॉम द एज’ अभियान शुरु किया गया.
काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC) के 14 वर्षीय लुकास ने अपने पोस्टकार्ड में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) को एक सन्देश भेजा: "मैं विश्व नेताओं और यूएनएचसीआर से हम शरणार्थी बच्चों के बारे में सोचने व हमें अपनी शइक्षा पूरी करने के लिए धन मुहैया कराने का आग्रह करता हूँ."
अरबों डॉलर मूल्य का संयुक्त राष्ट्र वैश्विक शिक्षा कोष, प्रगति को बढ़ावा देने और अलग-अलग दृष्टिकोणों को ख़त्म करके, एक साझा दृष्टिकोण अपनाने के लिए, सरकारों, सार्वजनिक एवं निजी दाताओं, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, नागरिक समाज संगठनों व अन्य मानवीय एवं विकास सहायता भागीदारों के साथ मिलकर काम कर रहा है.
UNHCR व संयुक्त राष्ट्र वैश्विक कोष की सहायता से, लुकास, अपने डॉक्टर बनने का सपने पूरा करने के लिए स्कूल में वापस दाख़िला ले पाए हैं. मार्च 2022 तक, संयुक्त राष्ट्र का वैश्विक शिक्षा कोष, 69 लाख बच्चों और किशोरों तक पहुँच बना चुका है.
अभी तक, इस अभियान को 60 से अधिक पत्र, चित्र और वीडियो प्राप्त हुए हैं, और अब भी 20 से अधिक संकटग्रस्त देशों में, संयुक्त राष्ट्र द्वारा वित्त पोषित कार्यक्रमों से समर्थित लड़कियों और लड़कों से प्रतिदिन सन्देश आ रहे हैं.
मेडागास्कर की 11 वर्षीय ओलिवा सहित 60 से अधिक बच्चों ने अपने सपने, संयुक्त राष्ट्र वैश्विक शिक्षा कोष के साथ साझा किए. ओलिवा ने लिखा, "शिक्षा ही सफल होने का एकमात्र तरीक़ा है."
वैश्विक कोष की निदेशक यासमीन शेरिफ़ ने कहा, "हमें दुनियाभर के इन बच्चों की बात सुननी चाहिए. उनकी बातें सुनने योग्य हैं."
जनवरी के अन्त में शुरू हुआ यह अभियान, विश्व नेताओं और सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के दानदाताओं से 2030 तक, सर्वजन के लिए शिक्षा सुनिश्चित करने के अपने वादे को पूरा करने का आहवान करता है, जैसा कि टिकाऊ विकास के 2030 एजेंडा में उल्लेखित है.
"कोई भी पीछे न छूट जाए" एजेंडे के व्यापक लक्ष्य के अनुरूप, वैश्विक कोष, ज़रूरतमन्द समुदायों को लक्षित करता है, जिसमें 200 देशों और क्षेत्रों में भागीदारों के साथ काम करने वाले अन्तरराष्ट्रीय विकलांगता गठबन्धन (आईडीए) को हाल ही में दिया गया 12 लाख डॉलर का अनुदान भी शामिल है.
इस अनुदान से, आपात स्थिति में समावेशी शिक्षा में तेज़ी लाने के उद्देश्य से, तीन साल लम्बे कार्यक्रम का समर्थन किया जाएगा, जिसमें विकलांग बच्चों सहित स्थानीय समुदायों के कम प्रतिनिधित्व वाले समूह शामिल हैं.
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EduCannotWait
अफ़ग़ानिस्तान के बच्चों के पोस्टकार्डों से उनके स्कूल जाने के सपने सामने आए हैं. 2021 में तालेबान के सत्ता में लौटने के बाद से, नए-नए नियम लागू करके, लड़कियों की शिक्षा पर प्रतिबन्ध लगाए जा रहे हैं और महिलाओं को उनके मानवाधिकारों से वंचित किया जा रहा है.
ज़ेहाब ने अपने पोस्टकार्ड में लिखा, "मैं शिक्षा प्राप्त करना चाहती हूँ और एक मशहूर डॉक्टर बनना चाहती हूँ. लेकिन, मुझे नहीं मालूम कि मेरे सपने पूरा होंगे या नहीं, क्योंकि अफ़ग़ानिस्तान में लड़कियों को स्कूल जाने की अनुमति नहीं है. मैं विश्व नेताओं से हमारी मदद करने और हमें सीखने व अपने भविष्य का नेतृत्व करने का अवसर देने का आहवान करती हूँ.”
हालाँकि यह स्पष्ट नहीं है कि वह शिक्षा जारी रख पाएंगी या नहीं, लेकिन फ़िलहाल वैश्विक कोष और उसके साझीदार ‘स्ट्रीट चाइल्ड’ के समर्थन से, ज़ेहाब और कई अन्य, एक ग़ैर-औपचारिक समुदाय-आधारित शिक्षण कार्यक्रम में भाग ले पा रही हैं.
11 फरवरी को मनाए जाने वाले ‘विज्ञान में महिलाओं और लड़कियों के अन्तरराष्ट्रीय दिवस’ के उपलक्ष्य में, संयुक्त राष्ट्र वैश्विक कोष ने अपने नए वैश्विक चैम्पियन की घोषणा की: अफ़ग़ान बालिका रोबोटिक्स टीम की पूर्व कप्तान, सोमाया फारूक़ी को यह सम्मान मिला, जिन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान पुरानी कारों के पुर्ज़ों से वैंटिलेटर बनाने के अपने अभूतपूर्व कार्य के लिए अन्तरराष्ट्रीय सुर्ख़ियाँ बटोरी थीं.
इस अवसर पर सोमाया फारूक़ी ने कहा कि वो इस नियुक्ति को "दुनिया भर की उन सभी लड़कियों की ओर से स्वीकार कर रहीं है, जो सभी बाधाओं के बावजूद शिक्षा का सपना देखती हैं."
उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा, "ये भविष्य के वैज्ञानिक और कल के नेता हैं." उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान जैसे स्थानों में लड़कियों की शिक्षा के लिए निरन्तर समर्थन जारी रखने का आहवान किया, जहाँ से वो और उनके साथी, 2021 में भागने को मजबूर हुए थे.
उन्होंने चेतावनी दी, "इतने सारे साथी पीछे छूट गए हैं. हमें एकजुट होकर यह सुनिश्चित करने के प्रयास करने चाहिए कि हर जगह लड़कियों को उच्च गुणवत्ता वाली विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित की शिक्षा मिल सके, जिससे सर्वजन के लिए एक बेहतर, अधिक समान दुनिया का हमारा सामूहिक सपना साकार हो सकें."
इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए, Education Cannot Wait के तहत चार साल की रणनैतिक योजना का मसौदा तैयार किया गया है और दानदाताओं ने हाल ही में 82 करोड़ 60 लाख डॉलर से अधिक धनराशि देने का वादा किया है, जो वैश्विक कोष व उसके भागीदारों को दुनिया के कुछ सबसे गम्भीर मानवीय संकटों में फँसे, अतिरिक्त 2 करोड़ बच्चों तक पहुँचने में मदद देगा. कोष की प्रमुख ने कहा कि सभी बच्चे शिक्षा के अपने मानव अधिकार के हक़दार हैं.
यासमीन शेरिफ़ ने कहा, “फ़िलहाल, 22 करोड़ 20 लाख संकटग्रस्त बच्चों और किशोरों को तत्काल शिक्षा सहायता की आवश्यकता है, और उनमें से आधे से अधिक लड़कियाँ हैं. महत्वपूर्ण यह है कि Education Cannot Wait कोष यह सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह से वित्त पोषित है कि हमारे वैश्विक रणनैतिक साझीदार, दुनिया के सबसे कमज़ोर वर्ग की लड़कियों और लड़कों को शिक्षा की सुरक्षा, आशा एवं अवसर प्रदान करने के लिए अपना अभूतपूर्व कार्य जारी रखने में सक्षम हैं."
अलीमा, आवा, मारिया गैब्रिएला और लाखों अन्य बच्चों को, इससे बड़ी अपेक्षाएँ हैं.