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मानवीय आवश्यकताओं में भारी उछाल, राजनैतिक इच्छाशक्ति व सहायता धनराशि पर बल

संयुक्त राष्ट्र के आपदा राहत मामलों के प्रमुख मार्टिन ग्रिफ़िथ्स यूक्रेन के इरपिन का दौरा करते हुए (7अप्रैल 2022).
© UNOCHA/Saviano Abreu
संयुक्त राष्ट्र के आपदा राहत मामलों के प्रमुख मार्टिन ग्रिफ़िथ्स यूक्रेन के इरपिन का दौरा करते हुए (7अप्रैल 2022).

मानवीय आवश्यकताओं में भारी उछाल, राजनैतिक इच्छाशक्ति व सहायता धनराशि पर बल

मानवीय सहायता

मानवीय राहत मामलों में संयोजन के लिए यूएन कार्यालय (UNOCHA) के प्रमुख मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने कहा है कि युद्ध, जलवायु परिवर्तन समेत अन्य संकटों के कारण विश्व भर में मानवीय सहायता आवश्यकताओं में उछाल दर्ज किया गया है. यूएन अवर महासचिव ने सोमवार को सऊदी अरब के रियाद में आयोजित एक मानव कल्याण फ़ोरम को सम्बोधित करते हुए कहा, कि इन चुनौतियों से निपटे जाने के लिए राजनैतिक इच्छाशक्ति और वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता होगी.

अवर महासचिव मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश की ओर से इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया.

उन्होंने सचेत किया कि विश्व को आधुनिक इतिहास में सबसे बड़े खाद्य संकट का सामना करना पड़ रहा है, और अकाल दस्तक दे रहा है.

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महिला अधिकारों, विशेष रूप से लड़कियों के अधिकारों पर संकट बढ़ा है और अन्यायपूर्ण परिस्थितियों में इन अधिकारों पर हमले बढ़े हैं और तनाव गहरा हुआ है.

यूक्रेन में युद्ध अपने दूसरे वर्ष में प्रवेश कर रहा है, और तुर्कीये व सीरिया में आए भीषण भूकम्प और उससे मची तबाही के दो सप्ताह पूरे हो गए हैं.

“विश्व भर में 35 करोड़ से अधिक लोगों को फ़िलहाल मानवीय सहायता की आवश्यकता है.”

“हमें इन लोगों में सर्वाधिक प्रभावितों की बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए क़रीब 54 अरब डॉलर की आवश्यकता है, मगर अनुभव दर्शाता है कि हम इस रक़म की केवल आधी मात्रा जुटाने की ही आशा कर सकते हैं.”

अवर महासचिव ग्रिफ़िथ्स ने बताया कि इन आँकड़ों में मुख्यत: तीन वजहों से वृद्धि जारी है: लम्बे समय से जारी हिंसक टकराव, जलवायु आपात स्थिति, और कोविड-19 महामारी व यूक्रेन युद्ध के कारण उपजी आर्थिक बदहाली.

उन्होंने कहा कि जिस तेज़ी से विशाल संकट पनप रहे हैं, उनके दंश को कम करने के लिए ज़रूरी संसाधन उस गति से नहीं जुट पा रहे हैं.

कूटनीति पर बल

अवर महासचिव ग्रिफ़िथ्स ने कुछ चिन्ताजनक आँकड़े साझा करते हुए बताया कि ज़रूरतमन्दों की जीवन रक्षा के लिए, मानवीय सहायताकर्मियों को अतिरिक्त संसाधनों की आवश्यकता है.

दुनिया भर में, 22 करोड़ से अधिक लोगों को यह नहीं पता कि उन्हें अपना अगल भोजन ख़ुराक मिलेगी या नहीं. साढ़े चार करोड़ लोग, पहले से ही भुखमरी के कगार पर हैं, जिनमें मुख्यत: महिलाएँ व बच्चे हैं.

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने इन संकटों पर पार पाने में मानवीय सहायताकर्मियों की भूमिका को रेखांकित किया, और ध्यान दिलाया कि उनके लिए शासनादेश (mandate) और मूल-मंत्र है: “हम हिम्मत नहीं हारते हैं”.

मगर, उन्होंने सचेत किया कि इन राहतकर्मियों को अपने दायित्व पूरा करने के लिए व्यावहारिक और ठोस सहायता मुहैया कराई जानी होगी.

“जिन युद्धों व हिंसक टकरावों की हमें जानकारी है, उनका अन्त करने और नए युद्ध शुरू होने से रोकने के लिए, हमें तत्काल कूटनैतिक प्रयासों में तेज़ी लाने की ज़रूरत है.”

“हमें सीधे तौर पर जलवायु परिवर्तन का सामना करने की आवश्यकता है, चूँकि हर बाढ़, ताप लहर, सूखा, या भीषण तूफ़ान गुज़र जाने के बाद एक मानवीय संकट पीछे छोड़ जाता है.”

यमन के एक युद्ध प्रभावित इलाक़े में, एक बच्चा अपने क्षतिग्रस्त घर से बाहर की तरफ़ देखता हुआ.
© UNOCHA/Giles Clarke

सहायता धनराशि आवंटित

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने पिछले सप्ताहान्त, यूएन के केन्द्रीय आपात प्रतिक्रिया कोष (CERF) से, 25 करोड़ डॉलर की धनराशि जारी किए जाने की घोषणा की थी, जोकि अभूतपूर्व है.

यूएन अवर महासचिव ने कहा कि इस रक़म से समय रहते कार्रवाई को आगे बढ़ाना सम्भव होगा, और साथ ही उन्होंने दानदाताओं से समर्थन बढ़ाने का आग्रह किया है.

“मानवीय सहायता कार्रवाई अपने आप पूरी नहीं हो सकती है. हमें हर सम्भव मदद की आवश्यकता है.”

राहत मामलों के प्रमुख के अनुसार, राजनैतिक इच्छाशक्ति से एक साथ मिलकर काम करने से, हम हिंसक टकराव रोक सकते हैं, जलवायु आपात स्थिति पर पार पा सकते हैं, अकाल से लड़ सकते हैं और उन भावी आपात परिस्थितियों के लिए तैयार रह सकते हैं, जोकि शायद जल्द ही अपना सिर उठाएँ.