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चुनौतियों के बावजूद, अफ़्रीका प्रगति के लिए तैयार है – यूएन महासचिव

यूएन महासचिव ने इथियोपिया की राजधानी अदीस अबाबा में अफ़्रीकी संघ ऐसेम्बली के सत्र को सम्बोधित किया.
UNECA/Daniel Getachew
यूएन महासचिव ने इथियोपिया की राजधानी अदीस अबाबा में अफ़्रीकी संघ ऐसेम्बली के सत्र को सम्बोधित किया.

चुनौतियों के बावजूद, अफ़्रीका प्रगति के लिए तैयार है – यूएन महासचिव

एसडीजी

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने शनिवार को इथियोपिया की राजधानी अदीस अबाबा में अफ़्रीकी संघ की शिखर बैठक को सम्बोधित करते हुए, एक एकीकृत, समृद्ध और शान्तिपूर्ण अफ़्रीका के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया है.

यूएन प्रमुख ने अफ़्रीकी संघ की उन अनेक पहलों की सराहना की है, जोकि अफ़्रीकी महाद्वीप के विकास हेतु एक दूरदृष्टि विकसित करने पर लक्षित हैं.   

इनमें अफ़्रीका के भविष्य के ब्लूप्रिंट के तौर पर एजेंडा 2063, महिलाओं के वित्तीय व आर्थिक समावेशन के लिए दशक, के साथ-साथ, शिखर बैठक के दौरान अफ़्रीकी महाद्वीप पर मुक्त व्यापार क्षेत्र पर ध्यान केन्द्रित किए जाने का निर्णय है.

उन्होंने कहा कि यह वास्तव में एक ऐसे रूपान्तरकारी मार्ग को प्रदर्शित करता है, जिससे रोज़गारों का सृजन होगा और अफ़्रीकीयों, विशेष रूप से युवजन के लिए, समृद्धि के नए स्रोत उत्पन्न होंगे.

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महासचिव गुटेरेश ने माना कि अफ़्रीका महाद्वीप को फ़िलहाल विशाल परीक्षाओं का सामना करना पड़ रहा है, और इन संकटों से निपटने के लिए क़दम उठाए जाने ज़रूरी हैं.

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने आर्थिक मोर्चे पर, अफ़्रीका के लिए अधिक वित्त पोषण समर्थन की पुकार लगाई है.

उन्होंने क्षोभ प्रकट किया कि इस महाद्वीप को एक लचर वित्त प्रणाली से जूझना पड़ रहा है, जोकि न्यायसंगत नहीं है.

इसके अलावा, कोविड-19 महामारी से पुर्नबहाली में संसाधनों की उपलब्धता में विषमताएँ हैं, और यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद से जीवन-व्यापन की क़ीमतों का संकट और अधिक गहरा हुआ है.

यूएन प्रमुख के अनुसार, मौजूदा वित्तीय प्रणाली, नियमित रूप से अफ़्रीकी देशों के लिए क़र्ज़ राहत को नकारती है, विशाल ब्याज़ दरों को वसूला जाता है, और स्वास्थ्य, शिक्षा व सामाजिक संरक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निवेश दूर रखा जाता है.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली में एक व्यापक परिवर्तन की आवश्यकता है, जिसके केन्द्र में विकासशील देशों की आवश्यकताओं को रखा जाना होगा.

स्वच्छ ऊर्जा की ओर न्यायसंगत क़दम

महासचिव ने जलवायु संकट का उल्लेख करते हुए स्वच्छ ऊर्जा भविष्य की ओर क़दम बढ़ाने का आग्रह किया है, जिसके तहत ऊर्जा सुलभता और विकास चुनौतियों पर ध्यान दिया जाना होगा.

उन्होंने ध्यान दिलाया कि अफ़्रीकी महाद्वीप जीवाश्म ईंधन स्रोतों से समृद्ध है, मगर लाखों लोगों को बिना बिजली के जीवन गुज़ारना पड़ता है.

यूएन प्रमुख के अनुसार कार्बन पर निर्भरता घटाने और विकास पथ पर आगे बढ़ने के लिए, अफ़्रीकी देशों को टैक्नॉलॉजी की वृहद सुलभता की आवश्यकता होगी, जैसेकि बैटरी भंडारण की व्यवस्था, ज़रूरी पुर्ज़े और कच्चा माल.

एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि विकासशील देशों से विशाल समर्थन की दरकार है, ताकि जलवायु मुद्दे पर नेतृत्व का परिचय देने वाले अनेक देशों के समान कार्रवाई की जा सके.

इस क्रम में, उन्होंने केनया में हरित अर्थव्यवस्था रणनीति, काँगो में उष्णकटिबन्धीय वनों के संरक्षण प्रयास, दक्षिण अफ़्रीका में न्यायोचित ढंग से ऊर्जा सुलभता के लिए साझेदारी समेत अन्य पहल का उल्लेख किया.

अफ़्रीका में शान्ति की दरकार

यूएन प्रमुख ने महाद्वीप पर शान्ति व सुरक्षा के मुद्दे पर बताया कि संयुक्त राष्ट्र की भूमिका हर वर्ष जटिल होती जा रही है, और हिंसक टकराव, आतंकवाद व असुरक्षा की चुनौतियाँ गहरा रही हैं.

उन्होंने एक ऐसी लचीली व दक्ष व्यवस्था का आग्रह किया है, जिसमें संगठन के शान्ति अभियानों को मज़बूती जेने का लक्ष्य हो, जिसका ख़ाका शान्ति के लिए यूएन के एजेंडा में प्रस्तुत किया गया है.

इस नए एजेंडा में शान्ति को सतत विकास, जलवायु कार्रवाई और मानवाधिकारों से जोड़ने पर बल दिया गया है, जिसमें महिलाओं व युवजन की भागीदारी को प्रोत्साहन दिया जाएगा.

उन्होंने उम्मीद जताई कि 21वीं सदी, अफ़्रीका की सदी साबित हो सकती है, और भरोसा दिलाया कि इन विशाल सम्भावनाओं को साकार करने और रास्ते में पैदा हुए अवरोधों को दूर करने में संयुक्त राष्ट्र, हर अफ़्रीकी देश के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है.

25 करोड़ डॉलर की आपात राहत

यूएन प्रमुख ने शिखर बैठक में अपने सम्बोधन के बाद, एक प्रैस वार्ता के दौरान अकाल व अल्पपोषित आपात हालात कार्रवाई के लिए, यूएन के केन्द्रीय आपात प्रतिक्रिया कोष से 25 करोड़ डॉलर के आवंटन की घोषणा की है,

बताया गया है कि यह इस कोष से किया गया अब तक का सबसे बड़ा आवंटन है, और मानवीय सहायता ज़रूरतमन्दों की संख्या में 25 प्रतिशत की वृद्धि होने के मद्देनज़र लिया गया है, जोकि अब 33 करोड़ 90 लाख है.

इन संसाधनों के ज़रिये विश्व में सर्वाधिक निर्बलों तक सहायता पहुँचाई जाएगी, जोकि ऐसी संकटग्रस्त परिस्थितियों मे रह रहे हैं, जिन्हें अक्सर भुला दिया जाता है.