टिकाऊ विकास: जी20 समूह से 500 अरब डॉलर के वार्षिक प्रोत्साहन का आहवान

संयुक्त राष्ट्र ने टिकाऊ विकास के लिए महत्वपूर्ण 2030 एजेंडा को साकार करने के लिए विश्व के सर्वाधिक विकसित देशों का आहवान किया है कि अतिरिक्त वित्त पोषण में 500 अरब डॉलर की विशाल वृद्धि की जानी होगी.
बताया गया है कि वर्तमान वैश्विक वित्तीय प्रणाली, कोविड-19 महामारी, यूक्रेन में युद्ध और जलवायु आपात स्थिति जैसे संकटों के असर को कम करने में विफल रही है, जिनसे वैश्विक दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित देश सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं.
UN DESA Head Li Junhua today joined the press briefing with @UNDP’s @ASteiner to launch the UN Secretary-General's SDG Stimulus to Deliver Agenda 2030.
Learn more about the UN’s call for a significant increase of finance for the #GlobalGoals. ⬇️
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UNDESA
संयुक्त राष्ट्र ने टिकाऊ विकास लक्ष्यों की दिशा में तेज़ी से आगे क़दम बढ़ाने के लिए शुक्रवार को एक प्रोत्साहन योजना प्रस्तुत की है.
महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि विविध प्रकार के संकट विकासशील देशों में स्थिति को बेहद जटिल बना रहे हैं.
उनके अनुसार यह मुख्यत: एक अनुचित वैश्विक वित्तीय प्रणाली के कारण हो रहा है जोकि अल्पकालिक है, जहाँ संकट की आंशका प्रबल है, और जो असमानताओं को बढ़ावा देती है.
महासचिव ने ज़ोर देकर कहा कि पहुँच के भीतर दीर्घकालिक वित्त पोषण के स्तर में विशाल वृद्धि के लिए, सभी वित्तीय लेनदेन को टिकाऊ विकास लक्ष्यों की ओर मोड़ना होगा.
साथ ही, बहुपक्षीय बैन्कों द्वारा ऋण मुहैया कराए की शर्तों को बेहतर बनाना होगा.
“ऋण की उच्च लागत और ऋण दबाव के बढ़ते जोखिम के कारण निर्णायक कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि हर वर्ष कम से कम 500 अरब डॉलर विकासशील देशों को प्रदान किए जा सकें और अल्पावधि ऋण को कम ब्याज़ दरों पर दीर्घकालिक ऋण में बदला जा सके.
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि टिकाऊ विकास लक्ष्यों के लिए निर्धारित समयावधि, 2030, के आधे पड़ाव पर इन्हें पूरा कर पाने में विफलता का वास्तविक जोखिम मंडरा रहा है.
यूएन का कहना है कि विश्व को संकट से बाहर निकलने के लिए अभी हम वहाँ नहीं पहुँचे हैं, जहाँ होना चाहिए था.
एसडीजी प्राप्ति प्रयासों में स्फूर्ति लाने की योजना में एसडीजी के लिए निवेश जुटाए जाने और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की एकजुटता की अहमियत को रेखांकित किया गया है.
इस क्रम में, एक नया अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय ढांचा भी तैयार किया जाना होगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी देशों के लिए समावेशी और न्यायसंगत परिवर्तन हेतु वित्तीय संसाधनों का स्वचालित ढंग से निवेश किया जा रहा हो.
विकासशील देशों के पास वे संसाधन उपलब्ध नहीं हैं जिनकी उन्हें पुनर्बहाली, जलवायु कार्रवाई और एसडीजी में निवेश करने के लिए आवश्यकता होगी, जोकि उन्हें भावी संकटों के लिए और निर्बल बनाता है.
गत वर्ष नवम्बर तक, विश्व के 69 सबसे निर्धन देशों में से 37 या तो पहले से ही कर्ज़ संकट में थे या फिर इसके उच्च जोखिम का सामना कर रहे थे.
हर चार मध्य-आय वाले देशों में एक, जहाँ अत्यधिक निर्धन लोग बसते हैं, वे वित्तीय पतन के ऊँचे ख़तरे का सामना कर रहे हैं.
यूएन के आँकड़ों के अनुसार, कर्ज़ के दबाव या उसके जोखिम से प्रभावित देशों में वर्ष 2030 तक साढ़े 17 करोड़ अतिरिक्त लोगों के अत्यधिक ग़रीबी व ऋण संकट के गर्त में धँसने की आंशका है, जिसमें आठ करोड़ 90 लाख महिलाएँ व लड़कियाँ हैं.
एसडीजी पैकेज का उद्देश्य विकासशील देशों में अक्षय ऊर्जा, सार्वभौमिक सामाजिक संरक्षा, उपयुक्त व शिष्ट रोज़गार सृजन, स्वास्थ्य सेवा, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, टिकाऊ खाद्य प्रणाली, शहरी बुनियादी ढांचे में निवेश किया जाना है, ताकि विषम बाज़ार परिस्थितियों की भरपाई की जा सके.
बताया गया है कि रियायती व ग़ैर-रियायती उपायों के सम्मिश्रण से वित्त पोषण को प्रति वर्ष 500 अरब डॉलर तक बढ़ाया जा सकता है.
कार्रवाई योजना के मुख्य बिन्दु:
- ऋण की उच्च लागत और ऋण संकट के बढ़ते जोखिमों से निपटना
- विकास के लिए विशाल स्तर पर किफ़ायती दीर्घकालिक वित्त पोषण को बढ़ाना
- ज़रूरतमन्द देशों के लिए आकस्मिक वित्त पोषण में विस्तार करना