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UNEP: पारा प्रयोग से ग्रसित स्वर्ण खनन उद्योग से निबटने की पहल

बहुत से कामगार सीसा प्रयोग दौरान संरक्षात्मक दस्ताने नहीं पहनते हैं जिससे, गम्भीर स्वास्थ्य परिणाम हो सकते हैं.
UNEP/Duncan Moore
बहुत से कामगार सीसा प्रयोग दौरान संरक्षात्मक दस्ताने नहीं पहनते हैं जिससे, गम्भीर स्वास्थ्य परिणाम हो सकते हैं.

UNEP: पारा प्रयोग से ग्रसित स्वर्ण खनन उद्योग से निबटने की पहल

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने, नौ देशों में पारा (Mercury) के प्रयोग की मात्र लगभग 37 टन घटाने के बाद अब, 15 अन्य प्रभावित देशों में, लघु स्तर वाले लाखों खनिकों की ख़ातिर हालात बेहतर बनाने के लिए, प्रयास तेज़ करने की योजनाएँ बनाई हैं.

यूएन पर्यावरण एजेंसी के एक पदाधिकारी लूडोविच बरनाउदत का कहना है, “10 करोड़ से भी ज़्यादा लोग, अपनी आजीविकाओं के लिए, कौशलपूर्ण स्वर्ण खदानों पर निर्भर हैं, इसलिए ये बहुत अहम है कि हम पारा प्रयोग को चरणबद्ध तरीक़े से ख़त्म करने के लिए, खनिकों को आवश्यक जानकारी व उपकरण मुहैया कराने के लिए, सरकारों के साथ काम करें.”

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लूडोविच बरनाउदत, यूनेप के नेतृत्व वाली एक नवाचारी योजना – PlanetGOLD के कार्यक्रम प्रबन्धक हैं. इस योजना को संयुक्त राष्ट्र समर्थित वैश्विक पर्यावरण सुविधा से धन सहायता प्राप्त है.

यूनेप का कहना है कि वर्ष 2019 में शुरू किए गए इस कार्यक्रम का लक्ष्य, पारा प्रयोग में 512 टन तक की कमी लाना है. साथ ही, इसका उद्देश्य 12 लाख हैक्टेयर भूमि को बेहतर बनाना, क़रीब चार लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर उत्सर्जनों का शमन, और अगले छह वर्षों के दौरान लगभग तीन लाख 70 हज़ार लोगों को लाभान्वित करना है.

तीन हज़ार वर्ष पुरानी प्रथा का मुक़ाबला

80 से ज़्यादा देशों में लगभग दो करोड़ खनिक, कौशलपूर्ण व लघु स्तर वाली स्वर्ण खदानों में काम करते हैं, जिनमें 40 लाख से ज़्यादा महिलाएँ और बच्चे भी हैं.

ये अभियान अक्सर असुरक्षित और नियमों या क़ानूनों के नियंत्रण से बाहर होते हैं, जो वैश्विक स्वर्ण आपूर्ति में लगभग 20 प्रतिशत हिस्से के लिए ज़िम्मेदार है, और यहाँ से लगभग 30 अरब डॉलर की राशि सृजित होती है.

ये स्वर्ण खदानें, वैश्विक सीसा प्रदूषण में 37 प्रतिशत हिस्से के लिए ज़िम्मेदार हैं और यहाँ से हर साल लगभग दो हज़ार टन पारा प्रदूषण उत्पन्न होता है.

लगभग तीन हज़ार वर्षों से खदानों में पारा प्रयोग होता रहा है और ये पर्यावरण में कभी भी लुप्त नहीं होता है. ये वातावरण में अपनी मौजूदगी सघन बना सकता है और खाद्य श्रृंखलाओं में भी अपनी जगह बना सकता है, जिसके कारण मस्तिष्क की अपूर्णनीय क्षति हो सकती है और ये पारिस्थितिकी के स्वास्थ्य को भी बाधित कर सकता है.

पारे पर प्रतिबन्ध

बहुत से खनिकों के लिए, स्वर्ण खदान, पसन्द या नापसन्द का विकल्प ही नहीं है.

फ़िलीपीन्स में खनिक संगठन के अध्यक्ष डेमवेर सुज़ारा का कहना है, “स्वर्ण खनन, हमारे जीवन का एक बड़ा हिस्सा है. हम पारे का प्रयोग पसन्द नहीं करते, मगर हमारे पास कोई विकल्प नहीं है. ये ख़तरनाक है; पारे पर प्रतिबन्ध लगना चाहिए.”

वैसे तो बहुत से देशों की सरकारें, मिनामाटा सन्धि के तहत, सुरक्षित मानक लागू करने के लिए कार्रवाई कर रही हैं, जिसका मक़सद पारा प्रयोग को चरणबद्ध ढंग से ख़त्म करना है, मगर अक्सर क्रियान्वयन नियमित या गम्भीर नहीं है.

केनया में लघु स्तर वाले स्वर्ण खनिकों में, ढाई लाख से भी ज़्यादा संख्या युवा वयस्कों की है, जिनके पास रोज़गार के अन्य अवसर नहीं हैं, और उन्हें आवश्यक उपकरण हासिल करने में भी अनेक बाधाएँ हैं.

किसूमू में एक 21 वर्षीय लघु स्तर खनिक - इमैनुएल न्यागा का कहना है, “मैंने सोचा था कि ये बहुत सरल होगा, मगर मैं ग़लत समझा. ये काम बहुत मुश्किल है. ये मेरी पसन्द का काम नहीं था, मगर मैं यहाँ एक वर्ष से काम कर रहा हूँ.”

दुनिया भर में लगभग दो करोड़ खनिक, कौशलपूर्ण और लघु स्तर स्वर्ण खनन अभियानों में काम करते हैं, जो विशेषज्ञों के अनुसार, अक्सर असुरक्षित व नियमों और क़ानूनों से बाहर होते हैं.
UNEP/Veejay Villafranca