बढ़ते समुद्र स्तर से, पृथ्वी के लिए 'अकल्पनीय' जोखिम

संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने मंगलवार को सुरक्षा परिषद को बताया है कि समुद्रों का बढ़ता जल स्तर, दुनिया भर में अरबों लोगों के लिए अकल्पनीय जोखिम पैदा कर रहा है, जिसके सुरक्षा, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून, मानवाधिकार और समाजों के बुनियादी ढाँचे के लिए अत्यन्त गम्भीर परिणाम होंगे. इस मुद्दे के वैश्विक प्रभावों पर सुरक्षा परिषद में इस तरह की ये प्रथम चर्चा आयोजित की गई.
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सुरक्षा परिषद की इस बैठक का आरम्भ करते हुए कहा, “समुद्रों के बढ़ते जल स्तर के प्रभावों से पहले ही, अस्थिरता और संघर्ष के नए स्रोत उत्पन्न हो रहे हैं.”
यूएन प्रमुख ने ध्यान दिलाया कि कुछ देशों के तटीय क्षेत्रों में, समुद्र जल स्तर में औसत से तीन गुना बढ़ोत्तरी हुई है. उन्होंने चेतावनी भरे शब्दों में कहा कि आने वाले दशकों में, निचले इलाक़ों में रहने वाले समुदाय– यहाँ तक कि सम्पूर्ण देश, सदैव के लिए गुम हो सकते हैं.
एंतोनियो गुटेरश ने चेतावनी देते हुए कहा, “हम अप्रत्याशित स्तर पर सम्पूर्ण आबादियों का व्यापक पलायन देखेंगे, और हम ताज़ा पानी, भूमि व अन्य संसाधनों के लिए, अभूतपूर्व गला-काट प्रतिस्पर्धा देखेंगे.”
महासचिव ने बढ़ते समुद्र जल स्तर को एक जोखिम गुणक क़रार देते हुए कहा कि इस संकल्पना से, पानी, भोजन व स्वास्थ्य देखभाल के लिए पहुँच भी ख़तरे में पड़ती है.
इस बीच नमकीन पानी का अतिक्रमण, रोज़गारों और कृषि, मछली उद्योग और पर्यटन जैसे क्षेत्रों जैसी सम्पूर्ण अर्थव्यवस्थाओं को तहस-नहस कर सकता है, और यह परिवहन, प्रणालियों, अस्पतालों और स्कूलों जैसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे को नुक़सान पहुँचा सकता है, या ध्वस्त ही कर सकता है.
विश्व मौसम संगठन (WMO) के हाल ही में जारी आँकड़ों के अनुसार, वैश्विक समुद्री जल स्तर, वर्ष 1900 के बाद से, बहुत तेज़ी से बढ़ा है, जोकि उससे पिछले तीन हज़ार वर्षों की तुलना में कहीं अधिक है.
इन आँकड़ों में आगाह किया गया है कि अगर वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित भी रखा जाए, तो भी, समुद्र जल स्तर में अच्छी-ख़ासी वृद्धि होगी.
Addressed the Security Council on the security implications of sea-level rise.
We know the risks, & we see the instabilities that we are going to face.
It is critical to invest in prevention today, rather than address the implications of food scarcity & mass migration tomorrow. https://t.co/2S7mR9PgQW
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एंतोनियो गुटेरेश ने सुरक्षा परिषद को आगाह किया कि किसी भी तापमान वृद्धि के परिदृश्य में, बांग्लादेश से लेकर चीन, भारत और नैडरलैंड्स तक देश, जोखिम में होंगे.
प्रत्येक महाद्वीप में महानगरों को गम्भीर प्रभावों का सामना करना पड़ेगा जिनमें लागोस, बैंकॉक, मुम्बई, शंघाई, लन्दन, ब्यूनस आयर्स और न्यूयॉर्क शामिल हैं.
ये जोखिम दरअस उन लगभग 90 करोड़ लोगों के लिए बहुत गम्भीर है जो निचले इलाक़ों में, तटवर्ती क्षेत्रों में बसते हैं, ये संख्या औसतन, पृथ्वी पर हर दस में से एक व्यक्ति के बराबर है.
उन्होंने कहा कि दुनिया के अनेक हिस्सों में विध्वंस पहले ही साक्ष्य के रूप में विदित है. उन्होंने रेखांकित किया कि बढ़ते समुद्र जल स्तर ने, कैरीबियाई क्षेत्र में पर्यटन और कृषि क्षेत्रों में पहले ही आजीविकाएँ तबाह कर दी हैं.
उन्होंने इस सन्दर्भ में विभिन्न मोर्चों पर कार्रवाई किए जाने की पुकार लगाई, जिसमें असुरक्षा के मूल कारणों के बारे में वैश्विक समुदाय की जानकारी में विस्तार किया जाना, और बढ़ते जल स्तर के प्रभावों से, तमाम क़ानूनी व मानवाधिकार ढाँचों में निपटना शामिल है.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “लोगों के मानवाधिकार इसलिए गुम नहीं हो जाने चाहिए, क्योंकि उनके घर गुम हो गए हों.”
संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष कसाबा कोरोसी ने भी सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए याद दिलाया कि हमारी पीढ़ी की महानतम चुनौती जलवायु परिवर्तन – एक ऐसा मुद्दा है जिसे सितम्बर 2022 में, इस महासभा की उच्चस्तरीय डिबेट में विश्व नेताओं ने सबसे ज़्यादा बार उठाया.
यूएन महासभा अध्यक्ष ने कहा कि आने वाले 80 वर्ष से भी कम समय में, 25 से 40 करोड़ लोगों को, नए स्थानों पर नए घरों की ज़रूरत होगी. उन्होंने साथ ही दुनिया की “अन्न टोकरियों” के लिए विनाशकारी प्रभावों की चेतावनी भी दी जोकि नील, मेकोंग और अन्य नदियों के आसपास के उपजाऊ क्षेत्रों में होंगे.
इस बीच समुद्र जल स्तर में जलवायु जनित वृद्धि, कुछ नए क़ानूनी सवाल भी उछाल रही है जोकि राष्ट्रीय और देश की पहचान के मूल में हैं.
कसाबा कोरोसी ने सुरक्षा परिषद से जलवायु कार्रवाई को शान्तिनिर्माण के एक अहम उपकरण के रूप में मान्यता देने का आग्रह किया. साथ ही ये ज़ोर भी दिया कि समुद्र जल स्तर के जेखिम के विरुद्ध रक्षात्मक ढाँचे और डेटा, पहले ही मौजूद हैं.
उन्होंने कहा, “इस समय, जिस चीज़ की सबसे ज़्यादा ज़रूरत है – वो है - कार्रवाई करने की राजनैतिक इच्छा.”