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खाद्य और पोषण संकट बिगड़ने से रोकने के लिए, निरन्तर कार्रवाई की आवश्यकता

खाद्य बैंक का एक एजेंट, पेरू में लीमा के एक थोक बाज़ार में भोजन इकट्ठा कर रहा है.
© Roberto Villanueva
खाद्य बैंक का एक एजेंट, पेरू में लीमा के एक थोक बाज़ार में भोजन इकट्ठा कर रहा है.

खाद्य और पोषण संकट बिगड़ने से रोकने के लिए, निरन्तर कार्रवाई की आवश्यकता

मानवीय सहायता

दुनिया भर में लाखों लोग खाद्य अभाव के शिकार हैंबुधवार को, पाँच अन्तरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुखों ने, वैश्विक खाद्य और पोषण संकट बिगड़ने से रोकने के लिए, तत्काल कार्रवाई करने की अपील की है.

खाद्य और कृषि संगठन (FAO), अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), विश्व बैंक समूह (WBG), विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) और विश्व व्यापार संगठन (WTO) के प्रमुखों ने " खाद्य अभाव के केन्द्रों" के बचाव का आहवान करते हुए, अन्य उपायों के साथ-साथ, व्यापार को सुगम बनाने पर भी ज़ोर दिया.

उन्होंने देशों को, अल्पकालिक तत्काल हस्तक्षेप और दीर्घावधि सहनसक्षमता प्रयासों के बीच सन्तुलन बिठाने की सलाह दी.

खाद्य आपूर्ति में अपेक्षित गिरावट

उन्होंने एक वक्तव्य में कहा कि कोविड-19 महामारी, जलवायु आपातस्थिति, यूक्रेन-रूस युद्ध, आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और बढ़ती ब्याज़ दरों जैसे झटकों के मद्देनज़र, खाद्य मुद्रास्फीति उच्च स्तर पर है.

79 देशों में लगभग 35 करोड़ लोग, अत्यधिक खाद्य असुरक्षा का शिकार हैं, और अल्प-पोषण बढ़ रहा है.

वैश्विक खाद्य आपूर्ति के तीन साल के सबसे निचले स्तर पर गिरने का अनुमान है, जिससे यह स्थिति बदतर हो सकती है.

खाद्य अभाव के केन्द्र माने जाने वाले 24 देशों में, स्थिति ख़ासतौर पर बेहद गम्भीर है, जिनमें से 16 देश, अफ़्रीका में स्थित हैं.

भुखमरी के केन्द्रों के लिये चिन्ता

संगठनों प्रमुखों ने कहा, "हम सरकारों और दाताओं से ‘भुखमरी के प्रमुख स्थलों’ में ज़रूरतें पूरी करने, जानकारी साझा करने और संकट का सामना करने की तैयारियाँ मज़बूत करने के लिये, देश-स्तर पर चल रहे प्रयासों का समर्थन करने का आहवान करते हैं."

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि डब्ल्यूएफ़पी और एफ़एओ को, सबसे कमज़ोर तबके के लोगों की मदद के लिये, धनराशि की तुरन्त आवश्यकता है.

WFP और उसके भागीदारों ने, 2022 में रिकॉर्ड संख्या में लोगों तक पहुँच बनाई. एजेंसी ने 14 करोड़ से अधिक लोगों को खाद्य व पोषण सहायता प्रदान की, जो 14 अरब डॉलर के रिकॉर्ड योगदान के कारण सम्भव हो सकी.

एफ़एओ ने ग्रामीण क्षेत्रों में 4 करोड़ से अधिक लोगों की मदद के लिये, कृषि कार्यक्रमों में एक अरब डॉलर का निवेश किया, जबकि विश्व बैंक ने 15 महीने की अवधि के लिये, 30 अरब का खाद्य व सुरक्षा पैकेज प्रदान किया, जो इस वर्ष जुलाई में पूरी होने वाली है.

धनराशि इसलिये भी ज़रूरी है, जिससे आईएमएफ़ का ग़रीबी उन्मूलन व विकास ट्रस्ट (पीआरजीटी), निर्धन देशों को रियायती वित्तपोषण प्रदान कर सके, जबकि इसकी नई ‘फूड शॉक विंडो’ के ज़रिये, अब तक यूक्रेन, मलावी, गिनी और हेती को सहायता प्रदान की जा चुकी है.

दाताओं और सरकारों को खाद्य सुरक्षा के लिये वैश्विक गठबन्धन का समर्थन करना भी आवश्यक है, जो संकट की बेहतर तैयारी करने को प्रोत्साहन देता है.

व्यापार विकृतियाँ घटाने पर ज़ोर

संगठन प्रमुखों ने व्यापार को सुगम बनाने, बाज़ारों के कामकाज में सुधार लाने व निजी क्षेत्र की भूमिका बढ़ाने का आहवान किया.

उन्होंने सलाह दी, "देशों को व्यापार में व्याप्त विकृतियों को कम करना चाहिये, सार्वजनिक वस्तुओं का प्रावधान बढ़ाना चाहिये और निजी क्षेत्र को बढ़ावा देना चाहिये जिससे वो खाद्य सुरक्षा परिणामों में सार्थक योगदान दे सकें."

इसके अलावा, उन्होंने सरकारों से निर्यात प्रतिबन्ध जैसी नीतियों से बचने का आग्रह किया, जो भोजन आयात करने वाले कम आय वाले देशों के निर्धन समुदाय को प्रभावित कर सकती हैं. वहीं उन्होंने, भोजन व उर्वरक की उपलब्धता में सुधार लाने वाले व्यापार सुविधा उपायों को समर्थन देने की भी हिमायत की.

नेपाल में कृषि विकास परियोजनाएँ के ज़रिये, ग्रामीण समुदायों में ग़रीबी कम करने में मदद मिल रही है.
© ADB

सर्वजन के कल्याण हेतु

हालाँकि देशों ने गेहूँ और चावल से कुछ निर्यात प्रतिबन्ध हटा लिये हैं, लेकिन उन्होंने चेतावनी दी कि ख़ासतौर पर सब्ज़ियों पर लगे नए निषेध एवं प्रतिबन्ध, दुनिया भर में उपलब्धता को बाधित कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, "अगर सरकारें खाद्य उत्पादकों व उपभोक्ताओं को, एक कुशल एवं लक्षित तरीक़े से समर्थन दें, तो वैश्विक खाद्य सुरक्षा मज़बूत की जा सकती है. उदाहरण के लिये, उन तरीक़ों से सार्वजनिक वस्तुओं का व्यवस्थापन मज़बूत किया जाए, जिससे कृषि उत्पादकता में टिकाऊ सुधार सम्भव हो सके."

वक्तव्य के अनुसार, विश्व बैंक के पास 6 अरब डॉलर का एक मंच उपलब्ध है, जो किसानों को उर्वरकों और अन्य महत्वपूर्ण आपूर्तियों तक पहुँच हासिल करने में मदद करता है. साथ ही, इससे निजी कम्पनियों को लम्बी अवधि के निवेश में भी मदद मिलती है.

हानिकारक सब्सिडी में सुधार पर बल

वैश्विक खाद्य सुरक्षा और स्थाई खाद्य प्रणालियों की दिशा में अधिक लक्षित व कुशल कार्यक्रमों के लिये, देशों को हानिकारक सब्सिडी में सुधार करके पुनरुद्देशित करना चाहिये.

संगठन प्रमुखों ने कहा, "मुद्रास्फ़ीति से निपटने की अधिकांश वैश्विक सामाजिक सुरक्षा प्रतिक्रियाएँ, सब्सिडी के रूप में है, जिनमें से आधी अलक्षित, अक्षम और पहले से ही समस्याओं से विवश सरकारों को महंगी पड़ती हैं."

"देशों को व्यापक, कार्रवाई योग्य और झटकों की प्रतिक्रिया देने में सक्षम, सामाजिक सुरक्षा रणनीतियों को मज़बूत करने के लिये समर्थन देना चाहिये."

टिकाऊ कृषि का समर्थन ज़रूरी

उन्होंने कृषि के दोबारा विश्लेषण करने व सहयोग में सुधार लाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला. 2016 और 2018 के बीच यह सहयोग, लगभग 639 अरब प्रति वर्ष था, और तब से इसमें वृद्धि ही हुई है, लेकिन ख़र्च किये गए प्रत्येक डॉलर में से किसानों को केवल 35 सेंट ही मिले हैं.

उन्होंने कहा, "ज़्यादातर यह समर्थन, संसाधनों के अक्षम उपयोग को प्रोत्साहित करता है, वैश्विक बाज़ारों को विकृत करता है, या पर्यावरणीय स्थिरता, सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं कृषि उत्पादकता में कमी लाता है."

इसके बजाय, धनराशि का उपयोग, कृषि-खाद्य प्रणाली की सहनसक्षमता व स्थिरता को मज़बूत करने के लिये किया जाना चाहिये, जिसमें उत्कृष्ट कृषि पद्धतियाँ, अनुसन्धान व नवाचार, एवं बेहतर बुनियादी ढाँचा अपनाना शामिल है.

उन्होंने कहा, "सामाजिक सुरक्षा और खाद्य व उर्वरक बाज़ारों में अन्तरनिहित संरचनात्मक चुनौतियों का समाधान करने के लिये कार्रवाई जारी है, लेकिन लम्बे संकट को रोकने के लिये इन तीन मुख्य क्षेत्रों में अधिक ठोस कार्रवाई किये जाने की आवश्यकता है."

भूकम्प प्रभावितों की मदद के लिये मुस्तैद

संगठन प्रमुखों ने अपने वक्तव्य की शुरुआत में, इस सप्ताह तुर्कीये व सीरिया में आए घातक और विनाशकारी भूकम्प के शिकार लोगों के प्रति गहरी सवेदना व्यक्त की.

उन्होंने कहा, "हमारे संगठन, स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं, आपदा की भयावहता का आकलन कर रहे हैं, और प्रत्येक संगठन के जनादेश एवं प्रक्रियाओं के अनुसार, आवश्यक समर्थन जुटाने के प्रयास किए जा रहे हैं."