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सीरिया: दोऊमा में क्लोरीन गैस हमले के पीछे सरकार का हाथ होने के तर्कसंगत आधार

रासायनिक हथियार निषेध संगठन के अनुसार देशों द्वारा घोषित भंडारों का 98 प्रतिशत हिस्सा संगठन की निगरानी में नष्ट किया जा चुका है.
OPCW
रासायनिक हथियार निषेध संगठन के अनुसार देशों द्वारा घोषित भंडारों का 98 प्रतिशत हिस्सा संगठन की निगरानी में नष्ट किया जा चुका है.

सीरिया: दोऊमा में क्लोरीन गैस हमले के पीछे सरकार का हाथ होने के तर्कसंगत आधार

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र समर्थित रासायनिक शस्त्र निषेध संगठन (OPCW) की एक नई रिपोर्ट में पाया गया है कि यह विश्वास करने के तर्कसंगत आधार मौजूद हैं कि वर्ष 2018 में सीरिया की दोऊमा बस्ती में हुए रासायनिक शस्त्र हमले के लिए, सीरियाई सरकार ज़िम्मेदार थी. संगठन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को सुरक्षा परिषद में यह जानकारी दी है.

उस हमले में 43 आम लोगों की मौत हुई थी.

रासायनिक शस्त्र निषेध संगठन (OPCW) के महानिदेशक फ़रनांडो ऐरियास ने सुरक्षा परिषद को बताया कि सीरिया में रासायनिक शस्त्रों के प्रयोग की विशिष्ट घटनाओं के लिए ज़िम्मेदार तत्वों की निशानदेही करने के लिए गठित जाँच टीम की तीसरी रिपोर्ट में ये निष्कर्ष प्रस्तुत किए गए हैं.

उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार, यह सबूत मौजूद है कि 7 अप्रैल 2018 को, सीरियाई वायु सेना के कम से कम एक हैलीकॉप्टर ने, सरकारी टाइगर बलों के नियंत्रण में काम करते हुए, दूमायर हवाई अड्डे से उड़ान भरी थी, और दो रिहाइशी बस्तियों को निशाना बनाते हुए, दो पीले क्लोरीन सिलिंडर गिराए थे.

फ़रनांडो ऐरियास ने इस टीम के मुख्यालय सैंटियागो ओनेट लैबोर्डे से, वीडियो लिंक के ज़रिए प्रस्तुत होकर अपनी बात कही. इस टीम की मौजूदगी और ख़ुद इस टीम की साख़ के बारे में, सुरक्षा परिषद के अनेक सदस्यों ने कड़ी आपत्तियाँ प्रस्तुत की हैं.

दोऊमा में घातक घटना

संयुक्त राष्ट्र समर्थित - रासायनिक शस्त्र निषेध संगठन (OPCW) के महानिदेशक फ़रनांडो ऐरियास (स्क्रीन पर), वीडियो लिंक के ज़रिए सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए.
UN Photo/Loey Felipe

फ़रनांडो ऐरियास ने सम्भवतः 7 अप्रैल 2018 को हुई घटना का ब्यौरा याद करते हुए कहा कि हैलीकॉप्टर ने, हवाई अड्डे से स्थानीय समय के अनुसार 19:10 और 19:40 के दरम्यान उड़ान भरी थी, और उसके थोड़ी देर बाद ही, क्लोरीन गैस के सिलिंडर गिरा दिए थे.

निशाना बनी रिहाइशी इमारतों में रहने वाले कुछ लोगों ने, यह सोचकर तहख़ाने में पनाह ली थी कि वहाँ उन्हें परम्परागत हवाई हमलों से कुछ बेहतर सुरक्षा मिल सकेगी. उस समय काफ़ी संख्या में हवाई हमले हो रहे थे.

कुछ अन्य लोगों को, रसायन की मौजूदगी के बारे में मालूम हो गया था और वो ये जानते थे कि क्लोरीन गैस, हवा की तुलना में भारी होती है तो, वो सुरक्षा की ख़ातिर, इमारत की ऊँची मंज़िलों पर चले गए थे.

अलबत्ता, महानिदेशक ने बताया कि तहख़ाने में क्लोरीन गैस का फैलाव हुआ और ऊपरी मंज़िलों पर भी सिलिंडर में से सघन अवस्था में गैस रिस रही थी, इस तरह वो दोनों ही स्थान, ठहरने के लिए घातक साबित हुए.

ज़िम्मेदार तत्वों की निशानदेही

फ़रनांडो ऐरियास ने रिपोर्ट में, वर्ष 2019 में संगठन के तथ्यान्वेषी मिशन द्वारा प्रस्तुत किए गए निष्कर्षों पर भी विस्तारपूर्वक विचार किया गया है. इनमें कहा गया है कि क्लोरीन गैस की सघन मौजूदगी, दोऊमा में हुई त्रासदी का स्रोत थी.

जाँच और निशानदेही टीम ने उन निष्कर्षों पर ग़ौर किया और जनवरी 2021 व दिसम्बर 2022 के दरम्यान स्वयं शोध किया.

इस टीम ने, दोऊमा घटना के इतर, अन्य विभिन्न रासायनिक शस्त्र हमलों के लिए, सीरियाई सशस्त्र बलों को ज़िम्मेदार ठहराया है.

निरस्त्रीकरण मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र की उच्च प्रतिनिधि इज़ूमी नाकामित्सु ने भी मंगलवार को सुरक्षा परिषद को सम्बोधित किया, और रासायनिक शस्त्रों के प्रयोग के विरुद्ध वैश्विक मानक बरक़रार रखने में पेशेवर और निष्पक्ष प्रयासों के लिए, OPCW की सराहना की.