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यूएन प्रमुख ने गिनाईं 2023 के लिए अपनी प्राथमिकताएँ, 'बिना देरी किए निर्णायक कार्रवाई' की दरकार

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने यूक्रेन की राजधानी कीयेव के आसपास रिहायशी इलाक़ों का दौरा किया.
UN Photo/Eskinder Debebe
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने यूक्रेन की राजधानी कीयेव के आसपास रिहायशी इलाक़ों का दौरा किया.

यूएन प्रमुख ने गिनाईं 2023 के लिए अपनी प्राथमिकताएँ, 'बिना देरी किए निर्णायक कार्रवाई' की दरकार

यूएन मामले

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सोमवार को यूएन महासभा में, वर्ष 2023 के लिए अपनी प्राथमकिताओं का ख़ाका प्रस्तुत करते चेतावनी जारी की है कि दुनिया को दरकने से बचाने के लिए, समय बीता जा रहा है, और देशों को बिना देरी किए अपना रास्ता बदलने की ज़रूरत है.

संयुक्त राष्ट्र के शीर्षतम अधिकारी ने न्यूयॉर्क में यूएन महासभा को सम्बोधित करते हुए शान्ति, आर्थिक अधिकार एवं विकास, जलवायु कार्रवाई, विविधता के लिए सम्मान व समावेशी समाजों के लिए तत्काल कार्रवाई की पुकार लगाई है.

उन्होंने कहा है कि ऐसा किया जाना, मौजूदा और भावी पीढ़ियों के लिए एक बेहतर भविष्य के सृजन हेतु अहम है.

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महासचिव ने वर्ष 2023 के लिए अपना रोडमैप प्रस्तुत करने से पहले, सीरिया और तुर्कीये में विनाशकारी भूकम्प के पीड़ितों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की और कहा कि संयुक्त राष्ट्र भूकम्प प्रभावितों के लिए संगठित प्रयास कर रहा है.

उन्होंने इस वर्ष रूपान्तरकारी बदलावों की आवश्यकता को रेखांकित किया है, जिनकी बुनियाद में यूएन चार्टर और मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा को रखा जाना होगा.

यूएन प्रमुख के अनुसार, यूक्रेन पर रूसी आक्रमण, जलवायु आपात स्थिति, बढ़ते परमाणु ख़तरे और कमज़ोर हो रहे वैश्विक मानदंड व संस्थाएँ, दुनिया को विनाश की ओर धकेल रहे हैं.

उन्होंने कहा कि हमें अपना रास्ता बदलने की आवश्यकता है और कार्रवाई सम्भव है, मगर राजनेताओं और निर्णय-निर्धारकों में, अल्प-अवधि से आगे बढ़कर एक रणनैतिक दृष्टि अपनाने का अभाव है.

महासचिव गुटेरेश ने कहा कि केवल यह सोचने से बचना होगा कि आज क्या हो सकता है, बल्कि सर्वजन के भविष्य के हित को ध्यान में रखकर सोचना होगा, और रूपान्तरकारी बदलावों की ओर क़दम उठाए जाने होंगे.

शान्ति के लिए प्रयास

यूएन प्रमुख ने पिछले साल 24 फ़रवरी को यूक्रेन पर रूसी आक्रमण का उल्लेख किया, जिससे देश की आबादी और विश्व के अन्य हिस्सों में लोगों को अकथनीय पीड़ा झेलनी पड़ी है. उन्होंने कहा कि शान्ति की सम्भावना क्षीण हो रही हैं जबकि हालात और भड़कने व रक्तपात जारी रहने का जोखिम बढ़ रहा है.

उन्होंने कहा कि मध्य पूर्व में इसराइल और फ़लस्तीन के बीच दो-राष्ट्र समाधान की सम्भावना दूर होती जा रही है, अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं के अधिकार कुचले जा रहे हैं.

वहीं, सहेल क्षेत्र में असुरक्षा बढ़ रही है, म्याँमार में हिंसा व दमन का नया चक्र चल रहा है, जबकि हेती में आपराधिक गुटों के बीच हिंसा ने पूरे देश को बन्धक बनाया हुआ है.

महासचिव ने ध्यान दिलाया कि यदि हर देश, चार्टर के तहत तय अपने दायित्वों का निर्वहन करे, तो शान्ति के अधिकार की गारंटी दी जा  सकती है.

“यह समय, चार्टर के लिए पुन: प्रतिबद्ध होकर शान्ति के लिए अपने तौर-तरीक़ों को रूपान्तरित करने का है, जिसके केन्द्र में रोकथाम, और मानवाधिकारों व गरिमा को सर्वोपरि रखना होगा.”

यूएन प्रमुख ने शान्ति के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाए जाने की अपील की है, जिसके तहत हिंसक टकराव के मूल कारणों की शिनाख़्त किया जाना अहम होगा.

यमन के एक युद्ध प्रभावित इलाक़े में, एक बच्चा अपने क्षतिग्रस्त घर से बाहर की तरफ़ देखता हुआ.
© UNOCHA/Giles Clarke

साथ ही, रोकथाम, मध्यस्थता, मेल-मिलाप, शान्तिनिर्माण और महिलाओं व युवजन की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाना होगा.

उन्होंने निरस्त्रीकरण व हथियारों पर नियंत्रण के मुद्दे को फिर से केन्द्र में लाने का आग्रह करते हुए सचेत किया कि पिछले कई दशकों में पहली बार दुनिया में परमाणु युद्ध का ख़तरा सबसे अधिक है, जोकि एक हादसे या फिर सुनियोजित ढंग से शुरू हो सकता है.

उन्होंने इसकी रोकथाम के लिए परमाणु हथियार सम्पन्न देशों से इन नितान्त अनुचित अस्त्रों को त्यागने का आहवान किया है.

वैश्विक वित्त व्यवस्था में बदलाव

यूएन प्रमुख ने क्षोभ प्रकट किया कि निर्धनता और भूख की चुनौती बढ़ रही है, विकासशील देश क़र्ज़ में डूब रहे हैं, सामाजिक संरक्षा का दायरा सिकुड़ रहा है, जिसे ध्यान में रखते हुए वैश्विक वित्तीय व्यवस्था में व्यापक परिवर्तन की आवश्यकता होगी ताकि विषमताओं से निपटा जा सके.

उन्होंने कहा कि वैश्विक वित्तीय संस्थाओं में विकासशील देशों की आवाज़ सुनिश्चित करने के लिए नए संकल्प की आवश्यकता है, ताकि उन तक ऋण राहत पहुँचा पाना सम्भव हो.

इस क्रम में, बहुपक्षीय बैंकों को अपने व्यावसायिक मॉडल में बदलाव लाना होगा, और निजी पूंजी को आकर्षित करना होगा ताकि विकासशील देशों में टिकाऊ विकास लक्ष्यों के लिए निवेश किया जा सके.

यूएनडीपी का कहना है कि धनी देशों के पास, निर्धनतम देशों के क़र्ज़ संकट को हल करने के साधन मौजूद हैं.
© UNDP

यूएन प्रमुख ने आगाह किया कि दुनिया 2030 के विकास एजेंडा को साकार करने के रास्ते से भटक रही है. टिकाऊ विकास के एजेंडा पर प्रगति के लिए अगले महीने आयोजित होने वाली सबसे कम विकसित देशों की शिखर बैठक को एक अहम अवसर बताया गया है.

महासचिव ने कहा कि दुनिया को लामबन्द होकर संसाधन जुटाने होंगे ताकि विकासशील अर्थव्यवस्थाएँ, शिक्षा, सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल, महामारी से बचाव की तैयारी, उपयुक्त व शिष्ट कामकाज और सामाजिक संरक्षा उपायों में निवेश कर पाएँ.

जलवायु कार्रवाई की दरकार

यूएन प्रमुख ने स्वच्छ, स्वस्थ व टिकाऊ पर्यावरण के साथ विकास के अधिकार को सुनिश्चित किए जाने के लिए मानवता द्वारा प्रकृति के विरुद्ध बेरहम, अनवरत, बेतुके युद्ध का अन्त करने की पुकार लगाई है.

उन्होंने कहा कि 2023 मौजूदा परिस्थितियों की गम्भीरता को पहचानने का समय है, और जलवायु कार्रवाई के लिए यह एक बेहद महत्वपूर्ण साल बनाना होगा.

महासचिव के अनुसार, वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के इरादे से तत्काल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जनों में कटौती की ज़रूरत है और जलवायु न्याय को भी सुनिश्चित करना होगा.

उन्होंने कहा कि इस दशक में वैश्विक उत्सर्जनों में 50 फ़ीसदी की कमी लानी अहम है, जिसके लिए जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता घटाते हुए नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में आगे बढ़ा जाना होगा.

जीवाश्म ईंधन संयंत्र, ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के सबसे बड़े प्रदूषक हैं.
© Unsplash/Marcin Jozwiak

यूएन प्रमुख का मानना है कि पर्याप्त वित्त पोषण के अभाव में पुख़्ता जलवायु कार्रवाई असम्भव है. इसलिए, उन्होंने 2022 में मिस्र में यूएन जलवायु सम्मेलन के दौरान धनी देशों द्वारा लिए गए संकल्पों को पूरा करने का आग्रह किया है.

ग़ौरतलब है कि शर्म अल-शेख़ में कॉप27 सम्मेलन में हानि व क्षति कोष स्थापित किए जाने, अनुकूलन प्रयासों के लिए धनराशि दोगुनी करने, और पाँच वर्षों के भीतर विश्व में सर्वजन को समय पूर्व चेतावनी प्रणाली के दायरे में लाने पर सहमति हुई थी.

विविधता पर हमला

यूएन प्रमुख ने चिन्ता जताई कि सांस्कृतिक अधिकारों की सार्वभौमिकता और विविधता के लिए सम्मान पर हमले बढ़ रहे हैं, जिन्हें यहूदीवाद विरोध, मुस्लिम-विरोधी कट्टरता, ईसाइयों की प्रताड़ना, नस्लवाद और श्वेत वर्चस्ववादी विचारधारा में देखा जा सकता है.

साथ ही, जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों, शरणार्थियों, प्रवासियों, आदिवासियों और एलजीबीटीक्यूआई+ समुदायों को ऑनलाइन माध्यमों व रोज़मर्रा के जीवन में नफ़रत का सामना करना पड़ रहा है.

महासचिव के अनुसार, अनेक शक्तिशाली लोग विविधता को एक ख़तरा बताकर, विभाजन व नफ़रत के बीज बो कर फ़ायदा उठा रहे हैं, जबकि सोशल मीडिया मंचों पर ज़हरीले व चरमपंथी विचारों को बल मिल रहा है.

उन्होंने सांस्कृतिक अधिकारों और विविधता के लिए यूएन के संकल्प को रेखांकित किया, और सरकारों, नियामकों, नीति-निर्धारकों, टैक्नॉलॉजी कम्पनियों, मीडिया, नागरिक समाज से इंटरनेट पर भ्रामक व ग़लत जानकारी के प्रसार के विरुद्ध क़दम उठाने की बात कही है.

 अफ़ग़ानिस्तान में अनेक परिवार आर्थिक गुज़र-बसर के लिए अपने बच्चों की छोटी आयु में ही शादी करा देते हैं.
© UNICEF/Madhok

महिला अधिकारों पर चोट

यूएन प्रमुख ने आगाह किया कि इस दौर के सबसे व्यापक मानवाधिकार उल्लंघन के कारण विश्व की आधी आबादी को पीछे रखा गया है, जिससे उबरने के लिए लैंगिक समानता के अधिकार को सुनिश्चित किया जाना होगा.

उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं व लड़कियों की व्यथा का उल्लेख किया, जोकि उनके अनुसार अब अपने ही देश में निर्वासन की शिकार हैं और सार्वजनिक जीवन में उन पर पाबन्दी लगाने वाले क़ानून लागू हैं.

वहीं, ईरान में महिलाओं को अपने बुनियादी मानवाधिकारों की सड़कों पर उतर कर मांग करने की एक बड़ी निजी क़ीमत चुकानी पड़ी है.  

यूएन प्रमुख ने कहा कि लैंगिक भेदभाव वैश्विक है, महिलाओं के यौन व प्रजनन अधिकार, उनके लिए क़ानूनी संरक्षण उपाय ख़तरे में हैं, और हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं.

महासचिव के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र हालात में बेहतरी के लिए प्रयासरत है और हर स्थान पर महिलाओं व लड़कियों के अधिकारों के पक्ष में खड़ा है.

लैंगिक समानता की दिशा में प्रगति के लिए चुनावों, बोर्डरूम, और शान्ति वार्ताओं में महिलाओं की भागीदारी में पसरी खाई को पाटने पर केन्द्रित उपायों पर बल दिया गया है.

ईरान की तथाकथित नैतिकता पुलिस की हिरासत में 22 वर्षीय महसा अमिनी की मौत के बाद स्वीडन के स्टॉकहोम में प्रदर्शनकारी एकत्र हुए.
Unsplash/Artin Bakhan

अधिकार हनन की चुनौती

यूएन प्रमुख ने कहा कि समावेशी समाजों की बुनियाद तैयार करने वाले नागरिक व राजनैतिक अधिकारों पर ख़तरा है और लोकतंत्र कमजोर हो रहा है.

उन्होंने नागरिक समाज के लिए सिकुड़ते स्थान पर चिन्ता जताते हुए कहा कि “वैश्विक महामारी का एक बहाने के तौर पर इस्तेमाल, नागरिक व राजनैतिक अधिकारों के हनन के लिए किया गया.”

बताया गया है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी पर पाबन्दी लगाने वाले दमनात्मक क़ानून, आवाजाही और शान्तिपूर्ण सभा में हिस्सा लेने पर नियंत्रण पाने के लिए नई टैक्नॉलॉजी का इस्तेमाल चिन्ताजनक है और मीडिया के विरुद्ध हमलों में वृद्धि हुई है.

मानवाधिकारों के लिए यूएन महासचिव की कार्रवाई के पुकार के ज़रिये, संयुक्त राष्ट्र बुनियादी आज़ादी को आगे बढ़ाने, नागरिक समाज की भागेदारी को बढ़ावा देने, और विश्व भर में नागरिक समाज के लिए स्थान की रक्षा के लिए प्रयासों में जुटा है.

युवजन की भागीदारी

यूएन महासचिव ने ज़ोर देकर कहा कि वर्तमान में अधिकारों पर चोट करने वाले ख़तरों का भावी पीढ़ियों पर भी असर होगा, जिसके बारे मे अक्सर कम ही सोचा जाता है.

“यह एक आधारभूत ज़िम्मेदारी है, और सुशासन का एक लिटमस परीक्षण भी.”

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश, कैनेडा के माँट्रियाल में, यूएन जैव विविधता सम्मेलन - कॉप15 में युवजन के साथ संवाद करते हुए.
UN Photo/Evan Schneider

उन्होंने आशा व्यक्त की है कि वर्ष 2024 के लिए प्रस्तावित भविष्योन्मुखी शिखर बैठक में, सर्वजन के लिए एक मुक्त, समावेशी डिजिटल भविष्य, सामूहिक विनाश के लिए हथियारों का उन्मूलन करने और अधिक न्यायोचित व समावेशी सुशासन को सुनिश्चित करने के उपायों पर वैश्विक चर्चा होगी.

उन्होंने कहा कि ऐसे भविष्य को साकार करने के लिए युवजन से बढ़कर कोई अन्य समुदाय नहीं है और युवजन मामलों के लिए यूएन कार्यालय के तहत इन प्रयासों को बढ़त दी जाएगी.