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महिला जननांग विकृति के उन्मूलन प्रयासों में, पुरुषों व लड़कों की भागेदारी पर बल

एक दस वर्षीय लड़की अपने परिवार को FGM/C प्रैक्टिशनर के रूप में प्रशिक्षित करने की योजना का पता चलने के बाद घर से भाग गई। वह अब पोर्ट लोको, सिएरा लियोन में यूनिसेफ के एक सुरक्षित घर में रहती है और स्कूल जा रही है.
यूनिसेफ/ओलिवियर एसेलिन
एक दस वर्षीय लड़की अपने परिवार को FGM/C प्रैक्टिशनर के रूप में प्रशिक्षित करने की योजना का पता चलने के बाद घर से भाग गई। वह अब पोर्ट लोको, सिएरा लियोन में यूनिसेफ के एक सुरक्षित घर में रहती है और स्कूल जा रही है.

महिला जननांग विकृति के उन्मूलन प्रयासों में, पुरुषों व लड़कों की भागेदारी पर बल

महिलाएँ

संयुक्त राष्ट्र के शीर्षतम अधिकारी एंतोनियो गुटेरेश ने सोमवार, 6 फ़रवरी, को 'महिला जननांग विकृति के लिए शून्य सहिष्णुता के अन्तरराष्ट्रीय दिवस' पर इस प्रथा को बुनियादी मानवाधिकारों का एक घिनौना हनन क़रार दिया है. उन्होंने कहा है कि लाखों महिलाओं व लड़कियों को महिला ख़तना का शिकार होने से बचाने के लिए, समग्र समाज के स्तर पर प्रयासों और पुरुषों को साथ लेकर चलने की आवश्यकता पर बल दिया है.  

महिला ख़तना मुख्यत: शैशवावस्था से 15 वर्ष की आयु के दौरान किया जाता है. इस वर्ष, विश्व भर में 43 लाख से अधिक लड़कियों पर महिला जननांग विकृति का शिकार होने का जोखिम है

यूएन महासचिव ने क्षोभ प्रकट किया कि जननांग को विकृत करने की प्रथा कुछ संस्कृतियों में हज़ारों वर्षों से चली आ रही है, जिससे महिलाओं व लड़कियों के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को जीवन-पर्यन्त क्षति पहुँचती है.

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“यह हमारी दुनिया में रिसकर फैलने वाली पितृसत्ता के सबसे क्रूरतापूर्ण रूपों में से है.”

एक अनुमान के अनुसार, विश्व भर में केवल इस वर्ष 40 लाख से अधिक लड़कियों पर लिंग-आधारित हिंसा के इस कृत्य का शिकार होने का जोखिम है.

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने इस समस्या से निपटने के लिए तत्काल निवेश के साथ कार्रवाई की भी दरकार है, ताकि वर्ष 2030 तक महिला ख़तना के पूर्ण उन्मूलन का लक्ष्य प्राप्त किया जा सके.

महासचिव के अनुसार इस प्रथा की बुनियाद में वही लैंगिक विषमताएँ और जटिल सामाजिक मानक मौजूद है, जोकि महिलाओं की भागेदारी व नेतृत्व को सीमित करते हैं और शिक्षा व रोज़गारों के रास्ते में रुकावट पैदा करते हैं.

“इस भेदभाव से सम्पूर्ण समाज को क्षति पहुँचती है, और हमें इस पर विराम लगाने के लिए सम्पूर्ण समाज द्वारा ही तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है.”

यौन एवं प्रजनन मामलों के लिए यूएन स्वास्थ्य एजेंसी (UNFPA) ने इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) के साथ महिला ख़तना के उन्मूलन के लिए एक मुहिम आरम्भ की है.

यह थीम, इस प्रथा के अन्त के लिए सामाजिक व लैंगिक मानदंडों में बदलाव पर केन्द्रित है, जिसके लिए पुरुषों व लड़कों के साथ साझेदारी को अहम बताया गया है.

यूएन एजेंसियों ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया है कि महिला जननांग विकृति से पहुँचने वाली क्षति को उजागर करने और महिलाओं व लड़कियों की आवाज़ को उभारने के प्रयासों में पुरुषों की भागीदारी को प्रोत्साहन दिया जाना होगा.

उन्मूलन के लिए पुरज़ोर प्रयास

संयुक्त राष्ट्र और ग़ैर-सरकारी संगठनों के प्रयासों के परिणामस्वरूप धार्मिक व पारम्परिक नेताओं, स्वास्थ्यकर्मियों, क़ानून प्रवर्तन अधिकारियों, नागरिक समाज के सदस्यों और ज़मीनी स्तर पर प्रयारसत संगठनों के ज़रिए अनेक पुरुषों का साथ मिला है.  

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, इससे महिलाओं व लड़कियों की रक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति हुई है.

महासचिव गुटेरेश ने पुरुषों व लड़कों से सर्वजन के लिए इस प्रथा का अन्त करने के लिए उनकी अपील को समर्थन देने और आगे बढ़कर प्रयास करने की पुकार लगाई है.

यूएन प्रमुख ने कहा कि इसके लिए सबसे अधिक सामाजिक बदलाव के लिए संकल्प और मज़बूत साझेदारियों की आवश्यकता है, ताकि हमेशा के लिए महिला जननांग विकृति का अन्त किया जा सके.

यूएन जनसंख्या कोष और यूनीसेफ़ के साझा कार्यक्रमों के तहत महिला ख़तना उन्मूलन के प्रयासों में वर्ष 2008 से तेज़ी लाई गई है, और विशेष रूप से अफ़्रीका व मध्य पूर्व के 17 देशों पर ध्यान केन्द्रित किया गया है.

युगांडा में महिला जननांग विकृति के विरुद्ध पैरोकारी प्रयासों में पुरुषों व लड़कों की भी भागीदारी है.
© UNICEF/Henry Bongyereirwe

लाखों को समर्थन

इस कार्यक्रम द्वारा समर्थन के ज़रिए, अब तक 60 लाख लड़कियों व महिलाओं को रोकथाम, संरक्षण व देखभाल सेवाएँ मुहैया कराई जा चुकी हैं.

साथ ही, क़रीब साढ़े चार करोड़ लोगों ने महिला जननांग विकृति की प्रथा को त्यागने के लिए सार्वजनिक रूप से संकल्प लिए हैं.

यूएन जनसंख्या कोष की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, पाँच लाख 32 हज़ार से अधिक लड़कियों को महिला ख़तना का शिकार बनने से रोका गया है.

यूएन एजेंसी का अनुमान है कि वर्ष 2030 तक महिला जननांग विकृति के लगभग 20 लाख ऐसे मामले आ सकते हैं, जिनकी रोकथाम सम्भव थी, मगर कोविड-19 महामारी के कारण रोकथाम प्रयासों को झटका पहुँचा है.