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इंडोनेशिया: डूबते तटों को बचाने के लिये मैन्ग्रोव बहाली

इस पर्यावरण अनुकूल दृष्टिकोण ने, कृत्रिम उर्वरक का उपयोग ख़त्म कर दिया और मछली व झींगा, दोनों की जीवन दर में सुधार किया है.
© UNEP/Nathanial Brown
इस पर्यावरण अनुकूल दृष्टिकोण ने, कृत्रिम उर्वरक का उपयोग ख़त्म कर दिया और मछली व झींगा, दोनों की जीवन दर में सुधार किया है.

इंडोनेशिया: डूबते तटों को बचाने के लिये मैन्ग्रोव बहाली

जलवायु और पर्यावरण

इंडोनेशिया के समुदाय, समुद्र और तीव्र तूफ़ानों के ख़िलाफ़ सहनसक्षमता बनाने के लिये, मैन्ग्रोव संरक्षण की ओर रुख़ कर रहे हैं.

इंडोनेशियाई द्वीप जावा के एक गाँव में, आठ आदमी, आरी और छुरे, सटीकता से चलाते हुए, अपने संकटग्रस्त समुदाय की रक्षा के लिये बाँस के लम्बे खम्भे तैयार कर रहे हैं.

ये लोग, मिट्टी के कटाव और समुद्र के बढ़ते स्तर से निपटने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जिसने जावा के उत्तरी तट समेत, भूमि के विशाल क्षेत्रों को निगल लिया है. इनमें उनका गृह ज़िला, डेमाक भी शामिल है. इसके लिये उनकी रणनीति है - मैन्ग्रोव के एक सुरक्षात्मक दायरे की बहाली.

समुदाय के नेता अहमद बसरो ने समझाया, "इसके तहत, तलछट रोकने के लिये हम स्थानीय बाँस के जाल बनाते हैं. उम्मीद ये है कि जब पर्याप्त तलछट जमा हो जाती है, तो मैन्ग्रोव से स्वाभाविक रूप से गिरने वाले बीज, इसमें जमकर बढ़ सकते हैं."

मैन्ग्रोव बहाली का यह अभिनव दृष्टिकोण, प्रकृति की शक्ति का उपयोग करके, लोगों और प्रकृति दोनों को लाभ पहुँचाने के लिये, वैटलैंड्स इंटरनेशनल के अग्रणी बहु-आयामी प्रयासों का हिस्सा है.

दिसम्बर में, पारिस्थितिकी तंत्र बहाली पर संयुक्त राष्ट्र के दशक के अन्तर्गत, प्राकृतिक दुनिया को पुनर्जीवित करने के बढ़ते वैश्विक आन्दोलन को प्रेरित करने के लिये अपने पहले 10 संयुक्त राष्ट्र विश्व बहाली फ्लैगशिप कार्यक्रमों में, डेमाक में "प्रकृति के साथ निर्माण" कार्यक्रम का चयन किया.

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूनेप) की कार्यकारी निदेशक, इन्गेर एंडरसन ने कार्यक्रम को "कार्रवाई में कुशल एवं दूरअन्देशी अनुकूलन कार्य के शानदार उदाहरण" के रूप में वर्णित किया.

फ्लैगशिप की घोषणा के दौरान इन्गेर एंडरसन ने कहा, "यह एक ऐसा मॉडल है जो बताता है कि कैसे देश जलवायु परिवर्तन के गम्भीर प्रभावों को दूर करने के लिये प्रकृति का उपयोग किया जा सकता है, और साथ ही साथ, लोगों के लिए नए आर्थिक अवसर भी पैदा किए जा सकते हैं."

जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता हानि और प्रदूषण के तिहरे ग्रह संकट से निपटने के लिए, भूमि और समुद्र के पारिस्थितिक तंत्र को पुनर्जीवित करने के प्रयासों में तेज़ी आई है. इससे, पृथ्वी की तीन-चौथाई बंजर पड़ी भूमि में अहम बदलाव लाए गए हैं और दो-तिहाई महासागरों पर इसका असर पड़ा है.

दिसम्बर 2022 में, सदस्य देश एक नए वैश्विक जैव विविधता ढाँचे पर सहमत हुए जिसमें महत्वाकांक्षी बहाली लक्ष्य शामिल हैं. इस ढाँचे के तहत, देशों ने कम से कम 30 प्रतिशत ख़राब भूमि और जल क्षेत्रों को बहाल करने का वादा किया.

इण्डोनेशिया के डेमाक रीजेंसी में मछली पकड़ने वाले समुदायों ने, समुद्र के बढ़ते स्तर के बीच हाल के वर्षों में बहुत संघर्ष किया है.
© UNEP/Nathanial Brown

बढ़ता जल, डूबती धरती

डेमाक के मछुआरे और झींगा किसान, लाल, हरे और आसमानी नीले रंग में रंगी नावों में, समुद्र तट और जलमार्गों पर चलते हैं. लेकिन ख़ुशनुमा दिखते ये जहाज़, अपने सामने मौजूद गम्भीर ख़तरे की याद दिलाते हैं: ख़ाली पड़े खेत व झींगा तालाब, बाढ़ग्रस्त घर, आधी डूबी हुई समाधियाँ.

कारण कई हैं: वैश्विक तापमान वृद्धि से समुद्र का स्तर बढ़ रहा है, जिससे बाढ़ का ख़तरा बढ़ गया है; लहरें उग्र हो गई हैं, मिट्टी का कटाव तेज़ हो गया है; मछलियों वाले अधिक तालाब बनाने के लिये अधिकांश सुरक्षात्मक मैन्ग्रोव वन काट दिए गए; और अत्यधिक भूजल निकासी के कारण भूमि डूब रही है.

इंडोनेशिया में समुद्री मामलों के मंत्रालय में तटीय और छोटे द्वीप प्रबन्धन के निदेशक, मौहम्मद यूसुफ़ ने कहा, "डेमाक के तट काफ़ी पीछे चले गए हैं. यहाँ तक ​​कि इसकी तटीय भूमि का एक बड़ा हिस्सा जलमग्न हो गया है. सैकड़ों-हजारों हैक्टेयर भूमि ग़ायब होती जा रही है."

पिछले प्रयासों के तहत, तट को सुदृढ़ करने के लिये कंक्रीट की समुद्री दीवारें और मैन्ग्रोव पुनर्रोपण योजनाओं पर काम किया गया, लेकिन भारी दीवारें, नरम कीचड़ में धँस गईं और मैन्ग्रोव पौधों के उगने के लिये पानी ज़्यादा ग़हरा और अशान्त था.

इस बार डेमाक के समुदाय ने अधिक प्राकृतिक समाधान ढूंढ लिया है. ग्रामीणों और ठेकेदारों ने तट के 20 किलोमीटर के दायरे में उथली जगहों पर लगभग 3.4 किलोमीटर लम्बी, तरंग-शान्त करने वाली संरचनाओं का निर्माण किया है. क़ीमती मिट्टी को बहा ले जाने के बजाय, ज्वार से तलछट का हिस्सा जमा हो जाता है, जिससे मैन्ग्रोव को दोबारा बढ़ने के लिये अनुकूल वातावरण मिलता है.

इंडोनेशिया में वैटलैंड्स इंटरनेशनल के कार्यक्रम समन्वयक, अप्री सुसान्तो एस्ट्रा ने बताया, "जब मैन्ग्रोव वन की पुनर्बहाली की जाती है और यह अच्छी स्थिति में होता है, तो पारिस्थितिकी तंत्र में सन्तुलन आने से, समुदाय को कई प्रकार के लाभ मिलते हैं. एक अच्छा मैन्ग्रोव, वन मछली और झींगा जैसे समुद्री जीवन के आवास के रूप में कार्य करता है."

यह जानने के बाद कि कैसे पेड़, न केवल मिट्टी के कटाव से बचाते हैं बल्कि तालाबों की स्थिति में भी सुधार करते हैं, किसानों ने अपनी भूमि के हिस्से पर मैन्ग्रोव उगाने पर सहमति व्यक्त की है. लगभग 300 किसानों को जैविक खाद के उत्पादन और उपयोग जैसी टिकाऊ तकनीकों में प्रशिक्षित किया गया है, जिससे उनकी आय में अच्छी-ख़ासी वृद्धि हुई है.

अप्री सुसान्तो एस्ट्रा ने कहा कि इस पर्यावरण अनुकूल दृष्टिकोण ने, कृत्रिम उर्वरक का उपयोग ख़त्म कर दिया और मछली व झींगा, दोनों की जीवन दर में सुधार किया है.

प्रशिक्षण में भाग लेने वाली स्थानीय मछुआरी, नूर हयाती ने कहा, "मैं केवल 10 किलो झींगे का उत्पादन करती थी, लेकिन अब यह 50 किलो से अधिक हो गया है." उन्होंने कहा कि अतिरिक्त आय का मतलब है कि अब वो अपने बच्चों को कॉलेज भेज सकती हैं.

डेमाक के तट पर, ग्लोबल वार्मिंग से समुद्र का स्तर बढ़ रहा है, लहरें उग्र हो गई हैं, और मैन्ग्रोव वन की एक सुरक्षात्मक बेल्ट के कटने से क्षेत्र में बाढ़ आने के आसार बढ़ गए है.
© UNEP/Nathanial Brown

संयुक्त राष्ट्र का पारिस्थितिकी तंत्र पुनर्बहाली दशक में सहयोगी, वैटलैंड्स इंटरनेशनल ने डच वित्तीय मदद व इंडोनेशियाई सरकार, तकनीकी विशेषज्ञों, साझीदार संगठनों और स्थानीय लोगों के साथ मिलकर, यह कार्यक्रम डेमाक में लागू किया है.

2015 से अब तक, लगभग 120 हेक्टेयर मैन्ग्रोव बहाल किए जा चुके हैं और 300 हैक्टेयर से अधिक जलीय कृषि तालाबों को स्थाई तकनीकों के ज़रिये प्रबन्धित किया जा रहा है. जलवायु परिवर्तन के प्रति सहनसक्षमता बढ़ाने के इस कार्यक्रम से, लगभग 70 हज़ार लोग लाभान्वित होंगे.

प्राकृतिक उत्थान का एक और फ़ायदा यह है कि इससे मैन्ग्रोव वन समृद्ध होगा, जबकि पुनर्रोपण योजनाएँ केवल कुछ प्रजातियों के अंकुरों का उपयोग करती हैं, एक दर्जन मैन्ग्रोव प्रजातियों ने डेमाक के आसपास जड़ें जमा ली हैं. इस विविधता से जंगल, जलवायु परिवर्तन और अन्य तनावों के प्रति अधिक सहनसक्षम बनेगा.

वैटलैंड्स इंटरनेशनल का कहना है कि फ्लैगशिप कार्यक्रम का एक प्रमुख तत्व यह था कि कैसे यह इंजीनियरों और अन्य विशेषज्ञों को ग़ैर-सरकारी संगठनों व समुदायों के साथ मिलकर, स्थानीय परिस्थितियों के समाधान के लिये तैयार कर सकता है.

वैटलैंड्स इंटरनेशनल के डेल्टास और कोस्ट कार्यक्रम के प्रमुख पीटर वैन आइजक ने कहा कि डेमाक के अनुभव से "एक ऐसा फ़ॉर्मूला सामने आया, जिसे अन्य स्थानों में इस्तेमाल किया जा सकता है."

इंडोनेशिया के 13 ज़िलों में इस कार्यक्रम का विस्तार किया गया है और "अब हम इनसे प्राप्त अनुभव का उपयोग, "प्रकृति के साथ निर्माण" कार्यक्रम को एशिया के अन्य भागों में ले जाने के लिए करेंगे."