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रूस और बेलारूस के खिलाड़ियों को प्रतिस्पर्धाओं में प्रवेश देने पर विचार किए जाने की सराहना

यूएन मुख्यालय में संयुक्त राष्ट्र और ओलिम्पिक ध्वज फ़हराए गए. (फ़ाइल)
UN Photo/Evan Schneider
यूएन मुख्यालय में संयुक्त राष्ट्र और ओलिम्पिक ध्वज फ़हराए गए. (फ़ाइल)

रूस और बेलारूस के खिलाड़ियों को प्रतिस्पर्धाओं में प्रवेश देने पर विचार किए जाने की सराहना

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने अन्तरराष्ट्रीय खेलकूद प्रतिस्पर्धाओं में रूसी महासंघ और बेलारूस के खिलाड़ियों को ‘तटस्थ’ प्रतियोगियों के रूप में प्रवेश देने पर विचार करने के लिए अन्तरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (IOC) की सराहना की है.

यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की पृष्ठभूमि में, यूएन विशेषज्ञों ने अन्तरराष्ट्रीय ओलिम्पिक समिति से इस दिशा में निर्णय लेने और आगे बढ़ने का आग्रह किया है.

सांस्कृतिक अधिकारों के क्षेत्र में विशेष रैपोर्टेयर एलेक्जेंड्रा ज़ान्थाकी, और नस्लवाद, नस्लीय भेदभाव, कट्टरता और सम्बद्ध असहिष्णुता के समकालीन रूपों पर विशेष रैपोर्टेयर, अश्विनी के.पी. ने, विश्व ओलम्पिक निकाय से यह भी सुनिश्चित किए जाने का आग्रह किया कि किसी भी खिलाड़ी के साथ उनकी राष्ट्रीयता के आधार पर भेदभाव ना हो.

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विशेषज्ञों ने ज़ोर देते हुए कहा कि हिंसक टकराव के दौरान खिलाड़ियों के लिए किसी का पक्ष लेना ज़रूरी नहीं होना चाहिए.

अन्तरराष्ट्रीय ओलिम्पिक समिति की अनुमति से इन देशों के खिलाड़ियों को वर्ष 2024 में पेरिस में आयोजित हो रहे ओलिम्पिक खेलों में भाग लेने का मौक़ा मिल सकेगा.

इससे पहले, IOC के कार्यकारी बोर्ड और संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों की चर्चा के बाद, ओलिम्पिक समिति ने शनिवार को एक बयान जारी किया था.

इस वक्तव्य में, ओलम्पिक चार्टर के अनुरूप, बिना किसी भेदभाव के सभी खिलाड़ियों के अधिकारों का सम्मान करने की आवश्यकता पर बल दिया गया है.

“किसी भी खिलाड़ी को केवल उनके पासपोर्ट के कारण प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लेने से नहीं रोका जाना चाहिए." साथ ही, कड़ी शर्तों के तहत खिलाड़ियों के प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए रास्ता खोजा जाना चाहिए.

ओलिम्पिक चार्टर के अनुरूप

मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा कि ओलम्पिक चार्टर को मार्गदर्शक समझ कर आगे बढ़ना होगा.

यूएन विशेषज्ञों के अनुसार, IOC का हालिया बयान, समिति द्वारा पहले जारी की गई उस सिफ़ारिश के विपरीत है जिसमें इन देशों के खिलाड़ियों और अधिकारियों पर प्रतिबन्ध लगाने की बात कही गई थी.

यह सिफ़ारिश, फ़रवरी 2022 में यूक्रेन पर रूसी महासंघ के आक्रमण के कुछ दिनों बाद जारी की गई थी. संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने बताया कि, "IOC की सिफ़ारिश ने सीधे तौर पर भेदभाव के गम्भीर मुद्दे को उजागर किया था."

उन्होंने कहा कि, “हम यूक्रेनी खिलाड़ियों और यूक्रेनी ओलम्पिक समुदाय का समर्थन करने की मंशा समझते हैं, जोकि अन्य अनेक यूक्रेनी लोगों के साथ युद्ध से बुरी तरह पीड़ित हैं.”

“लेकिन ओलम्पिक समिति, और वृहद ओलम्पिक समुदाय का यह कर्तव्य है कि भेदभाव पर पाबन्दी लगाने वाले ओलम्पिक चार्टर और वृहद अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानदंडों का अनुपालन किया जाए.”

एक समान नियमों पर बल

IOC की शर्तों के अनुसार, यूक्रेन में युद्ध का सक्रिय रूप से समर्थन नहीं करने वाले रूस और बेलारूस के खिलाड़ियों को ही केवल तटस्थता के आधार पर प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लेने की अनुमति दी जाएगी.

इस क्रम में, यूएन विशेषज्ञों ने IOC से ऐसे क़दम उठाने का आग्रह किया जोकि भेदभाव के विषय में अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों के अनुकूल हों.

उन्होंने कहा कि जब देश खुलेआम मानवाधिकारों की उपेक्षा करते हैं, तो साझा मूल्यों के समर्थन में आने का दायित्व बढ़ जाता है.

“खिलाड़ियों की राष्ट्रीयता चाहे जो हो, लेकिन सभी के लिए समान नियम होने चाहिए.”

इनमें वो नियम भी हैं, जिसमें भेदभाव, शत्रुता या हिंसा को भड़काने वाली किसी भी प्रकार की राष्ट्रीय, नस्लीय या धार्मिक नफरत की पैरोकारी पर पाबन्दी लगाई जाएगी.

मानवाधिकार विशेषज्ञ

विशेष रैपोर्टेयर और स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ, संयुक्त राष्ट्र की विशेष मानवाधिकार प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं.

उनकी नियुक्ति जिनीवा स्थिति यूएन मानवाधिकार परिषद, किसी ख़ास मानवाधिकार मुद्दे या किसी देश की स्थिति की जाँच करके रिपोर्ट सौंपने के लिये करती है.

ये पद मानद होते हैं और मानवाधिकार विशेषज्ञों को उनके इस कामकाज के लिये, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन नहीं मिलता है.