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आईएमएफ़: अगले वर्ष उछाल से पहले, 2023 में कमज़ोर होगी वैश्विक वृद्धि

नामीबिया की एक यूरेनियम खदान में, एक विशाल ट्रक के पहिये की मरम्मत करता एक कर्मचारी.
World Bank/John Hogg
नामीबिया की एक यूरेनियम खदान में, एक विशाल ट्रक के पहिये की मरम्मत करता एक कर्मचारी.

आईएमएफ़: अगले वर्ष उछाल से पहले, 2023 में कमज़ोर होगी वैश्विक वृद्धि

आर्थिक विकास

अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने "शून्य-कोविड" नीति के अन्त के बाद, चीन के अचानक फिर से खुलने व योरोप में हल्की सर्दी जैसे कारकों का हवाला देते हुए कहा है कि 2024 में वापस उछाल आने से पहले, इस साल वैश्विक अर्थव्यवस्था के कमज़ोर होने का अनुमान है.

आईएमएफ़ के मुताबिक़, इस वर्ष 2.9 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है, जोकि 2022 की 3.4 प्रतिशत वृद्धि से नीचे रहेगी, लेकिन 2024 में इसके 3.1 प्रतिशत पर पहुँचने की उम्मीद है.

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यह अनुमान, अक्टूबर के इसके ‘विश्व आर्थिक परिदृश्य’ (WEO) के पूर्वानुमान से मामूली 0.2 प्रतिशत अंक का समायोजन पेश करता है.

सम्भावित 'मोड़'

सोमवार को प्रकाशित अनुमानों में आईएमएफ़ के मुख्य अर्थशास्त्री, पियरे-ओलिवियर गौरिनचास ने कहा, "मुद्रास्फ़ीति के विरुद्ध लड़ाई और यूक्रेन में रूस के युद्ध के कारण, ऐतिहासिक मानकों से विकास कमज़ोर रहेगा."

उन्होंने कहा कि यह दृष्टिकोण "एक महत्वपूर्ण मोड़ दर्शाता है, जिसमें विकास न्यूनतम स्तर पर होगा व मुद्रास्फ़ीति में गिरावट दिखाई देगी."

सहनसक्षमता और सुधार

आईएमएफ़ के अनुसार, 2022 की तीसरी तिमाही में, आर्थिक वृद्धि में आश्चर्यजनक सहनसक्षमता देखने को मिली.

यह अवधि, मज़बूत श्रम बाज़ारों, मज़बूत घरेलू ख़पत और व्यापार निवेश के साथ-साथ, योरोप में ऊर्जा संकट के लिये अपेक्षा से बेहतर अनुकूलन दर्शाती है.

मुद्रास्फ़ीति में भी सुधार हुआ, हालाँकि मूल मुद्रास्फ़ीति, जिसमें अस्थिर ऊर्जा और खाद्य क़ीमतों को शामिल नहीं किया गया है, अभी भी कई देशों में चरम पर है.

विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिये राहत

चीन के दोबारा खुलने से गतिविधियों में तेज़ी आने से, बहाली का मार्ग प्रशस्त हुआ है. वहीं मुद्रास्फ़ीति का दबाव कम होने से, वैश्विक वित्तीय स्थिति में सुधार हुआ है.

पियरे-ओलिवियर गौरिनचास ने बताया, "यह, और नवम्बर में उच्चतम स्तर पर पहुँचने के बाद अमेरिकी डॉलर के कमज़ोर होने से, उभरते और विकासशील देशों को कुछ मामूली राहत मिली है."

उनके अमीर समकक्षों पर मन्दी का प्रभाव अधिक स्पष्ट होगा, क्योंकि 10 उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में से नौ में गिरावट आने की सम्भावना है.

इन देशों में पिछले साल के 2.7 प्रतिशत से इस साल 1.2 प्रतिशत और 2024 में 1.4 प्रतिशत की गिरावट दिखने की आशंका है.

चीन और भारत, इस वर्ष विकास के प्रमुख इंजन होंगे.
IMF

ब्याज़ दर का असर

संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) में, अर्थव्यवस्था पर फ़ैडरल रिज़र्व (बैंक) की ब्याज़ दर में बढ़ोतरी के प्रभाव के कारण, 2023 में विकास दर घटकर 1.4 प्रतिशत रह जाएगी.

ऊर्जा संकट के प्रति सहनसक्षमता जैसे संकेतों, हल्की सर्दी और उदार राजकोषीय समर्थन के बावजूद, योरोपीय क्षेत्र में स्थितियाँ अधिक चुनौतीपूर्ण हैं.

पियरे-ओलिवियर गौरिनचास ने कहा, "योरोपीय सेंट्रल बैंक द्वारा मौद्रिक नीति को कड़ा करने, और नकारात्मक शर्तों से व्यापारों को झटके के कारण - इसकी आयातित ऊर्जा की क़ीमत में वृद्धि होने से, उम्मीद की जा रही है कि इस साल विकास दर 0.7 प्रतिशत तक नीचे गिर सकती है."

इस बीच, उभरते बाज़ार और विकासशील बाज़ारों में, विकास में मामूली वृद्धि दिखाई देने की उम्मीद है, क्योंकि वे पहले ही "बॉटम आउट" हो चुके हैं. उम्मीद है कि इनमें इस वर्ष 4.0 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में 4.2 प्रतिशत की वृद्धि सम्भव है.

कोविड-19 के प्रकोप और केन्द्र सरकार के प्रतिबन्धों के बाद अर्थव्यवस्था दोबारा खुलने से, चीन में इस वर्ष विकास दर के 5.2 प्रतिशत पर पहुँचने की उम्मीद है.

कुल मिलाकर इस साल वैश्विक वृद्धि का आधा हिस्सा, चीन व भारत में देखा जाएगा. वहीं अमेरिका और योरो क्षेत्र, संयुक्त रूप से केवल दसवें हिस्से का ही प्रतिनिधित्व करेंगे.