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कसाबा कोरोसी की भारत यात्रा: यूक्रेन में युद्ध ने छोड़े हैं गहरे वैश्विक प्रभाव

यूएन महासभा अध्यक्ष कसाबा कोरोसी, भारत यात्रा के दौरान, नई दिल्ली में एक भाषण देते हुए. (30 जनवरी 2023)
UN India/Gaurav Menghaney
यूएन महासभा अध्यक्ष कसाबा कोरोसी, भारत यात्रा के दौरान, नई दिल्ली में एक भाषण देते हुए. (30 जनवरी 2023)

कसाबा कोरोसी की भारत यात्रा: यूक्रेन में युद्ध ने छोड़े हैं गहरे वैश्विक प्रभाव

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष कसाबा कोरोसी ने भारत की अपनी आधिकारिक यात्रा के दौरान सोमवार को कहा है कि यूक्रेन में युद्ध को एक वर्ष पूरा होने वाला है, जिसने भौतिक प्रभावों से भी परे, अन्तरराष्ट्रीय नियम आधारित व्यवस्था, हमारी बहुपक्षीय व्यवस्था, सदस्य देशों के बीच विश्वास और संयुक्त राष्ट्र में लोक विश्वास पर बहुत गहरे प्रभाव डाले हैं.

महासभा अध्यक्ष ने सोमवार को नई दिल्ली में, विश्व मामलों की भारतीय परिषद में एक भाषण में कहा कि यूक्रेन में युद्ध ने ना केवल अनगिनत ज़िन्दगियाँ छीन ली हैं, व्यापक पैमाने पर तकलीफ़ों और विस्थापन का कारण बना है, पृथ्वी के हर क्षेत्र को छुआ है, जिसने विश्व भर में एक ऊर्जा व खाद्य संकट उत्पन्न कर दिया है. इन सबसे भी ज़्यादा, इस युद्ध ने परमाणु युद्ध का अकल्पनीय जोखिम भी खड़ा कर दिया था.

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उन्होंने कहा कि वो भारत द्वारा हाल ही में सुरक्षा परिषद के एक सदस्य के रूप में, यूक्रेन में और दुनिया भर में, शान्ति की पुकारों की सराहना करते हैं.

“मैंने सदैव ही, यूएन चार्टर का पालन किए जाने की स्पष्ट पुकारें लगाई हैं, संवाद और राजनय के समर्थन में आवाज़ बुलन्द की है, और सम्प्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता के सिद्धान्तों की रक्षा के लिए, यूएन महासभा के संकल्प को भी स्पष्ट रूप से व्यक्त किया है.”

कोविड का अभिशाप

यूएन महासभा अध्यक्ष ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने दुनिया पर लगभग दो वर्ष तक काली छाया डाले रखी है. दुनिया अब धीरे-धीरे उस परछाई से निकल रही है.

मगर अब भी वैश्विक दक्षिण क्षेत्र में, कुछ निर्बल देश व लोग अब भी इस वैश्विक अभिशाप की तकलीफ़ों और इसके अनेक गम्भीर परिणामों का सामना कर रहे हैं.

इस अभिशाप का एक प्रमुख और दीर्घकालीन परिणाम है - क़र्ज़ संकट जिसने अनेक देशों के लिए गम्भीर चुनौतियाँ उत्पन्न कर दी हैं.

कसाबा कोरोसी के अनुसार, अक्सर ऐसा कहा जाता है कि मुसीबत में इनसानियत का बीज मज़बूत होता है, और निसन्देह विशाल बुद्धिमानी व एकजुटता के भी उदाहरण देखने को मिले हैं.

उन्होंने कोविड-19 की वैक्सीन की ख़ुराकें, 150 से भी ज़्यादा देशों तक पहुँचाने के भारत के क़दम और जी20 की अध्यक्षता के माध्यम से, टिकाऊ पुनर्बहाली को आगे बढ़ाने में, भारत के प्रयासों की प्रशंसा की. “हमारे विश्व को इसी तरह के प्रेरणादायक नेतृत्व की अवश्यकता है.”

उन्होंने कहा कि आज की दुनिया के सामने विशाल चुनौतियाँ दरपेश हैं, मगर ऐसा नहीं हैं कि उनसे निपटना असम्भव हो.

“मैं अपने हृदय से एक आशावादी हूँ. मैं स्वयं को लगातार याद दिलाता हूँ कि हम सभी ने पहले ही अनेक तूफ़ानों का, एकजुटता के साथ सामना किया है.”

इस अवसर पर उन्होंने एक भारतीय कहावत का भी ज़िक्र किया, “हम हवा की दिशा नहीं बदल सकते, मगर हम अपनी जलयात्रा को तो समायोजित कर सकते हैं.”

आशा की वजहें

यूएन महासभा अध्यक्ष कसाबा कोरोसी, भारत की यात्रा के दौरान एक भाषण देते हुए. (30 जनवरी 2023)
UN India/Gaurav Menghaney

उन्होंने वर्ष 2023 में आशा व बदलाव के अवसरों के लिए अपने कारण भी गिनाए. 1977 के बाद से, पहली बार मार्च 2023 में, संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है.

उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस सम्मेलन से एक नया ‘पेरिस क्षण’ निकलेगा, जोकि इस बार जल कार्रवाई के लिए होगा.

कसाबा कोरोसी ने कहा कि हमें टिकाऊ विकास लक्ष्य-6 की प्राप्ति के लिए अपनी महत्वाकांक्षा का स्तर बढ़ाना होगा और उसके लिए हमें, जल और जलवायु नीतियों को एकजुट करना होगा.

उन्होंने कहा कि प्रतिक्रियात्मक जल प्रबन्धन से आगे बढ़ना होगा. क्षेत्रीय व स्थानीय पूर्व अनुमानों और सहनशीलता की सहायता के लिए, एक वैश्विक जल सूचना प्रणाली स्थापित करनी होगी. इन क़दमों से ‘पानी की दुनिया’ में व्यापक बदलावों की सम्भावना है.

कसाबा कोरोसी ने भारत के स्थानीय सन्दर्भ में यमुना, ब्रहमपुत्र, सिन्धु, गोदावरी और कृष्णा नदियों के साथ-साथ हिन्द महासागर के भविष्य के बारे में सोचने का भी आग्रह किया.

उन्होंने कहा कि इनके भविष्य की ख़ातिर, हमें नारेबाज़ियों और वादों को वास्तविकता में तब्दील करना होगा, और हमें अपनी कार्रवाई विज्ञान पर आधारित रखनी होगी.

सुधारों की आवश्यकता

महासभा अध्यक्ष ने कहा कि हमारे तमाम कार्य को प्रासंगिक बनाने वाला एक और मुद्दा है, जोकि भारत के लिए भी बहुत अहम है, और वो है - हमारी बहुपक्षीय व्यवस्था में सुधार की ज़रूरत.

“हमें वास्तविकता का सामना करना होगा: अब 1945 का दौर नहीं है. हमारे संस्थान अतीत के ढाँचे में काम करते हुए, आज की चुनौतियों पर पार पाने की उम्मीद नहीं कर सकते.”

उन्होंने कहा कि सितम्बर 2022 में, दुनिया के लगभग एक तिहाई से भी ज़्यादा नेतागण ने, यूएन सुरक्षा परिषद में सुधार की ज़रूरत, सीधे तौर पर रेखांकित की थी. ये एक स्पष्ट रानजैतिक संकेत है.

कसाबा कोरोसी ने बताया कि इस बदलाव के लिए, संयुक्त राष्ट्र में एक प्रक्रिया वर्णित है, मगर प्रक्रिया इस लक्ष्य प्राप्ति के लिए शायद काफ़ी नहीं है.

“मैंने सदस्य देशों से इस अवसर का लाभ उठाने और ‘नहीं’ या ‘बाद में’ के रुख़ से आगे बढ़कर, ‘हाँ’ और ‘अभी’ का रुख़ अपनाने के लिए लगातार आहवान किया है.”

उन्होंने इस प्रक्रिया में भारत की लगातार व सक्रिय भागेदारी के लिए धन्यवाद दिया. “भारत सदैव ही संयुक्त राष्ट्र का एक प्रखर समर्थक रहा है. वैश्विक चुनौतियों पर भारत का नेतृत्व और बहुपक्षवाद सम्बन्धी मामलों पर उसकी मज़बूत आवाज़, असाधारण रही है.”

महासभा अध्यक्ष ने कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र के शान्तिरक्षा अभियानों में व्यापक योगदान करने वाले देशों में शामिल है.

महात्मा गांधी

यूएन महासभा अध्यक्ष कसाबा कोरोसी ने, 30 जनवरी 2023 को, नई दिल्ली में राजघाट पहुँचकर महात्मा गांधी की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित की.
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उन्होंने अपना निजी अनुभव साझा करते हुए कहा कि एक राजनयिक के रूप में उनके लगभग 40 वर्षों के कार्यकाल में, वो शान्ति, निर्धनता उन्मूलन और प्रकृति के साथ सदभाव के लिए, महात्मा गांधी के समर्पण से प्रेरित रहे हैं.

कसाबा कोरोसी ने अपने भाषण का समापन करने के लिए महात्मा गांधी के शब्दों का सहारा लेने की इच्छा व्यक्त करते हुए कहा: ”हमारी दुनिया में बदलाव, और एक शान्तिपूर्ण, टिकाऊ भविष्य के निर्माण के लिए यथासम्भव प्रयास करें, जिसमें सभी के लिए समानता और मानवाधिकार समाहित हों.”

जैसाकि महात्मा गांधी ने कहा था: “आप विश्व में जो परिवर्तन देखना चाहते हैं, वो परिवर्तन स्वयं ही बनें.”

अध्यक्ष कसाबा कोरोसी ने नई दिल्ली में, महात्मा गांधी के समाधि स्थल - राजघाट जाकर पुष्पांजलि भी अर्पित की.

मुलाक़ातें

महासभा अध्यक्ष कसाबा कोरोसी ने दिन में, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और विदेश मंत्री डॉक्टर एस. जयशंकर के साथ भी मुलाक़ात की है. प्रधानमंत्री के साथ मुलाक़ात के दौरान वैश्विक जल संसाधनों के संरक्षण व सदुपयोग की महत्ता पर चर्चा हुई.

महासभा अध्यक्ष ने ऐसे सरल, मापने योग्य और टिकाऊ समाधानों की शिनाख़्त करने पर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ध्यान केन्द्रित विचारों की सराहना की, जो समाजों में बदलाव लाते हैं.

विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ मुलाक़ात में, आपसी महत्व के मुद्दों पर चर्चा हुई जिनमें यूक्रेन में युद्ध, जल प्रबन्धन और जी20 जैसे विषय शामिल थे.

कसाबा कोरीस ने जी20 शेरपा अमिताभ कान्त और उनके सहयोगियों के साथ भी मुलाक़ात की.