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हॉलोकॉस्ट स्मरण दिवस, निरन्तर सतर्कता बनाए रखने की पुकार

दक्षिणी पोलैंड में स्थित आउशवित्ज़-बर्केनाउ यातना शिविर पर स्थित स्मारक.
Unsplash/Jean Carlo Emer
दक्षिणी पोलैंड में स्थित आउशवित्ज़-बर्केनाउ यातना शिविर पर स्थित स्मारक.

हॉलोकॉस्ट स्मरण दिवस, निरन्तर सतर्कता बनाए रखने की पुकार

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने शुक्रवार, 27 जनवरी को यहूदी जनसंहार (हॉलोकॉस्ट) स्मरण दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए आगाह किया है कि यहूदीवाद विरोध, नफ़रत भरी बोली व सन्देशों और भ्रामक जानकारी का ख़तरा सदैव मौजूद है - जर्मनी में नात्सी पार्टी के उदय के 90 साल बाद भी.

दूसरे विश्व युद्ध के दौरान नात्सियों ने 60 लाख से ज़्यादा यहूदियों और अन्य लोगों का जनसंहार किया था - हॉलोकॉस्ट के पीड़ितों की स्मृति में हर वर्ष 27 जनवरी को यह स्मरण दिवस मनाया जाता है.

यूएन प्रमुख ने न्यूयॉर्क मुख्यालय में अपने सम्बोधन में कहा कि 90 वर्ष पहले, नात्सी पार्टी ने जर्मनी की सत्ता सम्भाली थी, कुछ ही महीनों में बुनियादी संवैधानिक अधिकारों को ध्वस्त कर दिया गया, और सर्वाधिकारवादी शासन के रास्ता खोला गया.

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“पूरे जर्मनी में, विषाक्त यहूदीवाद विरोध आधिकारिक रूप से सरकारी नीति बन गया. भेदभाव व बहिष्करण को क़ानून में सूचीबद्ध किया गया और ये लगभग तत्काल शुरू हो गया.”

यूएन प्रमुख ने बताया कि खुले, संगठित ढंग से हिंसा व लूटपाट को अंजाम दिया गया और फिर व्यवस्था सामूहिक हत्याओं को सिलसिला शुरू हुआ.

दूसरे विश्व युद्ध के अन्त तक, 60 लाख बच्चों, महिलाओं व पुरुषों, योरोप में हर तीन में से दो यहूदियों की हत्या कर दी गई थी.

चेतावनी घंटियों से बेपरवाही

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने सचेत किया कि जर्मनी में राष्ट्रीय समाजवाद को, लाखों लोगों की मिलीभगत ना सही, मगर उनकी बेपरवाही ने सम्भव बनाया.

“1933 में ही चेतावनी की घंटियाँ बजनी शुरू हो गई थीं, मगर बहुत कम लोगों ने सुनने की ज़हमत उठाई, और उससे भी कम लोगों ने अपनी आवाज़ उठाई.”

यूएन प्रमुख ने कहा कि आज भी नफ़रत के उन सायरनों की गूंज सुनी जा सकती है. असन्तोष की वजह बन रहे आर्थिक संकट से लेकर, लोकप्रियवादी नेताओं तक, जोकि संकटों का इस्तेमाल मतदाताओं को लुभाने के लिए कर रहे हैं.

“तेज़ी से फैल रही भ्रामक सूचनाओं तक...मानवाधिकारों के लिए बढ़ती बेपरवाही और क़ानून के राज के लिए तिरस्कार तक, बढ़ते श्वेत वर्चस्ववाद और नव-नास्ती विचारधाराओं तक...बढ़ते यहूदीवाद विरोध और अन्य प्रकार की धार्मिक कट्टरता व नफ़रत तक.”

इसके मद्देनज़र, यूएन महासचिव ने ज़ोर देकर कहा कि हॉलोकॉस्ट स्मरण दिवस, निरन्तर सचेत रहने की एक पुकार है.

“नफ़रत के सामने कभी चुप ना रहा जाए. असहिष्णुता को कभी बर्दाश्त नहीं किया जाए. अन्य लोगों की पीड़ा के प्रति बेपरवाही ना दर्शाई जाए.”

बेलगाम यहूदीवाद विरोध

यूएन प्रमुख ने क्षोभ प्रकट किया कि यहूदीवाद विरोधी नफ़रत को आज हर जगह देखा जा सकता है और इसकी गहनता बढ़ रही है.

उन्होंने मैनहैट्टन में ऑर्थोडॉक्स यहूदियों पर हमले, मेलबॉर्न में यहूदी स्कूली बच्चों को डराए धमकाए जाने और जर्मनी की राजधानी बर्लिन में हॉलोकॉस्ट स्मारक पर स्प्रे पेंट किए जाने की घटनाओं का उल्लेख किया.

महासचिव ने कहा कि नव-नात्सी अनेक देशों में आन्तरिक सुरक्षा को ख़तरे के विषय में पहले स्थान पर हैं, और श्वेत वर्चस्ववादी गतिविधियाँ दिन-ब-दिन ख़तरनाक होती जा रही हैं.

पोलैंड में यहूदी यातना शिविर आउशवित्ज़ में बन्दियों के ज़ब्त किए गए जूते.
Unsplash/William Warby
पोलैंड में यहूदी यातना शिविर आउशवित्ज़ में बन्दियों के ज़ब्त किए गए जूते.

बचाव उपायों की पुकार

एंतोनियो गुटेरेश ने सचेत किया कि ऑनलाइन जगत, हेट स्पीच व सन्देशों, चरम विचाराधाराओं और भ्रामक जानकारी के दुनिया भर में तेज़ी से फैलने की एक वजह है.

उन्होंने टैक कम्पनियों से लेकर नीतिनिर्धारकों और मीडिया, सभी से इस पर लगाम कसने और लागू किए जा सकने वाले बचाव उपायों को अपनाने का आग्रह किया.

संयुक्त राष्ट्र ने इस दिशा में निरन्तर प्रयास किए हैं – हेट स्पीच पर यूएन महासचिव की एक कार्ययोजना, खुले, मुक्त, समावेशी और सुरक्षित डिजिटल भविष्य के लिए वैश्विक डिजिटल कॉम्पैक्ट के लिए प्रस्ताव और सार्वजनिक सूचना में सत्यनिष्ठा बढ़ाने के लिए एक आचार-संहिता का प्रस्ताव है.

यहूदीवाद विरोध की नई लहर

यूएन महासभा अध्यक्ष कसाबा कोरोसी ने अपने सम्बोधन में ध्यान दिलाया कि महासभा इसलिए सृजित की गई थी ताकि किसी को भी वो पीड़ा ना सहनी पड़े, जिसका सामना हॉलोकॉस्ट में जीवित बच गए लोगों को करना पड़ा.

मगर, 2023 में अभी से ही यहूदीवाद विरोध और हॉलोकॉस्ट को नकारे जाने की नई लहरें, दुनिया भर में उठती दिख रही हैं.

“ज़हर की तरह, वे हमारे रोज़मर्रा के जीवन में समा जाती हैं. हम उन्हें नेताओं से सुनते हैं, हम उन्हें मीडिया में पढ़ते हैं. जिस नफ़रत के कारण हॉलोकॉस्ट सम्भव हो पाया, वे आज भी सड़े हुए रूप में मौजूद है.”

Subcarpathian Rus से यहूदी Auschwitz-Birkenau, पोलैंड में एक रैंप पर चयन प्रक्रिया के अधीन हैं
US Holocaust Memorial Museum/Yad Vashem
Subcarpathian Rus से यहूदी Auschwitz-Birkenau, पोलैंड में एक रैंप पर चयन प्रक्रिया के अधीन हैं

महासभा अध्यक्ष कोरोसी ने इस विशाल चुनौती से निपटने के लिए, इंटरनेट पर ग़लत जानकारी की सूनामी का मज़बूती से विरोध करने का आग्रह किया है.

वहीं, यूएन शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) ने अन्तरराष्ट्रीय दिवस पर एक वक्तव्य जारी करके, मेटा कम्पनी के साथ अपनी एक साझेदारी का उल्लेख किया है, जिसके ज़रिए ऑनलाइन माध्यमों पर यहूदीवाद विरोध और हॉलोकॉस्ट को नकारे जाने की समस्याओं से निपटने की दिशा में क़दम बढ़ाया जाएगा.

इस कार्यक्रम को विश्व यहूदी कांग्रेस के रचनात्मक सहयोग से विकसित किया गया है, जोकि ऑनलाइन संसाधनों पर आधारित है, और जिसका उपयोग, हॉलोकॉस्ट को नकारने या तोड़-मरोड़ कर पेश करने की प्रवृत्तियों से निपटने में किया जाता है.