यूक्रेन: अग्रिम मोर्चों के नज़दीकी इलाक़ों में राहत प्रयासों को मज़बूत करने के प्रयास

संयुक्त राष्ट्र ने यूक्रेन में अग्रिम मोर्चों के आस-पास के इलाक़ों में मानवीय सहायता प्रदान करने वाले क़ाफ़िलों की संख्या बढ़ाने की बात कही हैं, ताकि राहत कार्यों में जुटे स्थानीय संगठनों व स्वैच्छिक कार्यकर्ताओं के प्रयासों को मज़बूत किया जा सके.
मानवीय राहत मामलों में संयोजन के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNOCHA) ने बुधवार को एक प्रैस विज्ञप्ति जारी करके बताया कि सात ट्रकों का क़ाफ़िला, ख़ारकीव क्षेत्र के वोवचांस्क इलाक़े में पहुँचा है, जोकि रूसी सीमा से केवल पाँच किलोमीटर दूर है.
“यह समुदाय अनेक महीनों से चले आ रहे टकराव से बुरी तरह प्रभावित हुआ है, और वहाँ रहने वाले साढ़े चार हज़ार लोग अपनी आवश्यकताएँ पूरी करने के लिए मानवीय सहायता पर निर्भर हैं.”
Today, a 7-truck convoy brought critical aid, including hygiene kits, bedding, solar lamps & shelter kits to over 1,000 families in Vovchansk, #Kharkiv.
The town was virtually destroyed & people there depend on the support from aid workers & volunteers to meet their vital needs. https://t.co/0dnB1t97ou
OCHA_Ukraine
इस क़ाफ़िले में स्वच्छता सामग्रियाँ, कम्बल, सौर लैम्प, बिस्तर, और आपात आश्रय के लिए ज़रूरी सामान को एक हज़ार से अधिक परिवारों में वितरित किया गया है.
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी, अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने यह सहायता सामग्री मुहैया कराई है.
विश्व खाद्य कार्यक्रम ने भी क़ाफ़िले में हिस्सा लिया है और क्षेत्र में बाज़ारों का त्वरित आकलन किया है.
यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद से ही विशाल मात्रा में अनाज, देश के भंडारों तक ही सीमित रह गया, चूँकि यूक्रेनी बन्दरगाहों से जल मार्ग से जहाज़ों की सुरक्षित आवाजाही हो नहीं पा रही थी और सड़क मार्ग से यह सम्भव ही नहीं था.
इसके मद्देनज़र, विश्व भर में बुनियादी खाद्य वस्तुओं की क़ीमतों में उछाल दर्ज किया जाने लगा था, जिससे विकासशील देश अधिक प्रभावित हुए.
22 जुलाई को संयुक्त राष्ट्र, रूसी महासंघ, तुर्कीये और यूक्रेन में ‘काला सागर अनाज पहल’ नामक एक समझौते पर सहमति बनी और तुर्की के सबसे बड़े शहर इस्तान्बूल में इस पर हस्ताक्षर किए गए.
इस समझौते का उद्देश्य, यूक्रेन के बन्दरगाहों से शेष दुनिया में अनाज, अन्य खाद्य सामग्री और उर्वरक की एक सुरक्षित समुद्री मार्ग से मानवीय आधार पर आपूर्ति सुनिश्चित करना था.
अब तक एक करोड़ 78 लाख टन सामग्री की खेप, काला सागर अनाज निर्यात पहल के ज़रिये, अफ़ग़ानिस्तान, चीन, इसराइल, केनया और ट्यूनीशिया के लिए रवाना की जा चुकी है.
इस पहल के ज़रिये, अगस्त महीने के बाद से अब तक खाद्य सामग्री को 43 देशों में पहुँचाया जा चुका है, जिनमें 40 प्रतिशत से अधिक निम्न और मध्य आय वाले देश हैं.
दिसम्बर महीने में, यूक्रेन में काला सागर बन्दरगाहों के ज़रिये निर्यात बढ़कर 37 लाख मीट्रिक टन पहुँच गया, जबकि नवम्बर में यह 26 लाख मीट्रिक टन था.
बताया गया है कि इस वर्ष के पहले दो सप्ताहों में 12 लाख मीट्रिक टन बन्दरगाह से रवाना किया जा चुका है.
संयुक्त समन्वय केन्द्र के अनुसार, अनाज निर्यात पहल के अन्तर्गत, चीन को सबसे अधिक निर्यात प्राप्त हुआ है, जबकि स्पेन दूसरे स्थान पर और तुर्कीये तीसरे स्थान पर है.
अब तक, निर्यातित गेहूँ की कुल मात्रा का 44 प्रतिशत हिस्सा, निम्न और निम्नतर - मध्य आय वाले देशों में रवाना किया गया है. 64 प्रतिशत हिस्सा, विकासशील अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों की दिशा में भेजा गया है.
विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने कुल निर्यातित गेहूँ का क़रीब आठ फ़ीसदी हिस्सा ख़रीदा है, ताकि विश्व भर में भूख की मार झेल रहे समुदायों की सहायता के लिए अभियान जारी रखा जा सके.
संयुक्त समन्वय केन्द्र (CC) में संयुक्त राष्ट्र, रूस, तुर्कीये और यूक्रेन के प्रतिनिधि शामिल हैं, और उनके प्रयासों के फलस्वरूप अब तक एक हज़ार 300 से अधिक खेप रवाना की गई हैं.
संयुक्त राष्ट्र ने सभी पक्षों से अनाज निर्यात के रास्ते में आने वाले अवरोधों को दूर करने का आग्रह किया है, और अभियान सम्बन्धी संचालन प्रक्रिया में भी बेहतरी लाने की बात कही है.
इस पहल में, अमोनिया समेत उर्वरकों के निर्यात के लिए सुरक्षित मार्ग की भी बात कही गई है, मगर, यूक्रेनी बन्दरगाहों से अमोनिया की खेप को फ़िलहाल रवाना नहीं किया जा सका है, और इस विषय में बातचीत जारी है.