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यूक्रेन युद्ध: गम्भीर शान्ति वार्ता के लिए फ़िलहाल अवसर नहीं, यूएन प्रमुख

यूएन महासचिव ने स्विट्ज़रलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक मंच की बैठक को सम्बोधित किया.
© World Economic Forum
यूएन महासचिव ने स्विट्ज़रलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक मंच की बैठक को सम्बोधित किया.

यूक्रेन युद्ध: गम्भीर शान्ति वार्ता के लिए फ़िलहाल अवसर नहीं, यूएन प्रमुख

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने बुधवार को स्विट्ज़रलैंड के दावोस शहर में 'विश्व आर्थिक मंच' की बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा  है कि यूक्रेन में युद्धरत पक्षों के बीच शान्ति के लिए गम्भीर वार्ता आयोजित करने का अवसर फ़िलहाल अभी हासिल नहीं हो पाया है. उन्होंने विश्व में मौजूदा हालात की एक कटु तस्वीर उकेरते हुए आगाह किया कि वैश्विक समस्याओं के समाधानों के रास्ते दरारों से पटे हैं. 

 

यूएन प्रमुख ने भरोसा दिलाया कि वह यूक्रेन में आम लोगों और वृहद विश्व में निर्बल समुदायों को पीड़ा से उबारने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जोकि इस टकराव के वैश्विक अर्थव्यवस्था पर नाटकीय, विनाशकारी प्रभावों से पीड़ित हैं.

“इसका एक अन्त होगा... हर बात का एक अन्त होता है, लेकिन मुझे निकट भविष्य में इस युद्ध का अन्त नज़र नहीं आता.”

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“मुझे मौजूदा क्षण में दोनों पक्षों के बीच एक गम्भीर शान्ति वार्ता होने का अवसर नहीं नज़र आता.”

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने दोहराया कि 24 फ़रवरी को यूक्रेन पर रूसी आक्रमण से अन्तरराष्ट्रीय क़ानून और यूएन चार्टर का उल्लंघन हुआ.

उन्होंने हिंसक टकराव का अन्त करने के प्रयासों में पेश आ रही मुश्किलों को रेखांकित किया, चूँकि उनके अनुसार दोनों पक्षों का पूर्व रूसी साम्राज्य और वहाँ लोगों की नागरिकताओं के सम्बन्ध में दो अलग-अलग मत हैं.

उन्होंने कहा, “इस वजह से समाधान ढूंढ पाना और भी कठिन हो जाता है, लेकिन यह समाधान अन्तरराष्ट्रीय क़ानून पर आधारित होने की आवश्यकता है, और उसे क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की ज़रूरत है.”

“मुझे तत्काल भविष्य में इन शर्तों के पूरा होने की स्थिति दिखाई नहीं देती है.”

महासचिव के अनुसार, यूक्रेन में भीषण लड़ाई के बावजूद, संयुक्त राष्ट्र ने काला सागर अनाज निर्यात पहल को साकार करने के लिए दोनों पक्षों से समर्थन सुनिश्चित किया.

इस पहल के ज़रिये बढ़ती खाद्य क़ीमतों पर नियंत्रण पाना सम्भव हुआ है और विश्व भर में ज़रूरतमन्द समुदायों तक अनाज व उर्वरक की आपूर्ति करने में मदद मिली है.

अब तक एक करोड़ 78 लाख टन सामग्री की खेप, काला सागर अनाज निर्यात पहल के ज़रिये, अफ़ग़ानिस्तान, चीन, इसराइल, केनया और ट्यूनीशिया के लिए रवाना की जा चुकी है.  

यूएन, शान्ति के लिए प्रतिबद्ध

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि शान्ति के हित में अनेक अन्य विषयों पर यूक्रेन और रूस के प्रतिनिधियों के साथ सम्पर्क व बातचीत की जा रही है.

इनमें दोनों पक्षों से युद्ध बन्दियों की अदला-बदली, ज़ैपोरिझिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र समेत देश में अन्य प्लांट पर सुरक्षा के लिए अन्तरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के कामकाज के लिए समर्थन सुनिश्चित करना है.

“हम हरसम्भव प्रयास कर रहे हैं, ताकि क्षति को सीमित रखा जा सके और पीड़ा को कम किया जा सके.”

यूएन प्रमुख ने आगाह कि दुनिया, मौजूदा दौर में भूराजनैतिक विभाजन व भरोसे की कमी के गम्भीरतम स्तर का सामना कर रही है, जोकि पहले कई पीढ़ियों में नहीं देखा गया.

उन्होंने दावोस में नेताओं व अन्य हस्तियों से आग्रह किया कि दरारों को पाटा जाना होगा, शान्ति, टिकाऊ विकास व मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के लिए सहयोग की बहाली करनी होगी.

नेपाल के ऊपरी इलाक़े मस्टैंग की नगरपालिका सहित, हिन्दू कुश हिमालय क्षेत्र में पर्वतीय समुदाय, जैव विविधता के नुक़सान, हिमनदों के पिघलने में वृद्धि व पानी की कमी जैसे प्रभावों को महसूस कर रहे हैं.
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नेपाल के ऊपरी इलाक़े मस्टैंग की नगरपालिका सहित, हिन्दू कुश हिमालय क्षेत्र में पर्वतीय समुदाय, जैव विविधता के नुक़सान, हिमनदों के पिघलने में वृद्धि व पानी की कमी जैसे प्रभावों को महसूस कर रहे हैं.

जलवायु संकट की चेतावनी

यूएन प्रमुख ने विश्व नेताओं के नाम एक अपील जारी करते हुए कहा कि जलवायु संकट को नज़रअन्दाज़ करने से बचना होगा.

“हर सप्ताह एक भयावह, नई जलवायु व्यथा लेकर आता है.” उन्होंने औद्योगिक देशों से विकासशील देशों के लिए 100 अरब डॉलर जलवायु वित्त पोषण के वादे को पूरा करने का आग्रह किया.

“ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन रिकॉर्ड स्तर पर हैं और बढ़ रहे हैं. वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने का संकल्प धुएँ में उड़ जाने के नज़दीक है.”

“बिना और कार्रवाई के, हम 2.8 डिग्री की वृद्धि की ओर बढ़ रहे हैं.”

उन्होंने सचेत किया कि यदि जलवायु संकट से निपटने के लिए कठोर राजनैतिक निर्णय नहीं लिए गए, तो अनेक लोगों के लिए यह एक मृत्युदंड के समान होगा.

निजी सैक्टर का योगदान

महासचिव गुटेरेश ने निजी उद्योगों से भी जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध लड़ाई में और अधिक योगदान देने की अपील की.

साथ ही, उन्होंने दावोस में उपस्थित कॉरपोरेट जगत के नेताओं से यूएन-समर्थित नैट-शून्य कार्बन उत्सर्जन के लिए दिशानिर्देशों का पालन करने का आग्रह किया.

कॉप27 सम्मेलन के आयोजन स्थल के बाहर प्रदर्शनकारी, अफ़्रीका में तेल एवं गैस परियोजनाओं के विस्तार का विरोध कर रहे हैं.
UN News/Laura Quinones
कॉप27 सम्मेलन के आयोजन स्थल के बाहर प्रदर्शनकारी, अफ़्रीका में तेल एवं गैस परियोजनाओं के विस्तार का विरोध कर रहे हैं.

यूएन प्रमुख ने ध्यान दिलाया कि जीवाश्म ईंधन के उत्पादकों को 1970 के दशक में ही ज्ञात था कि उनका मूल उत्पाद, पृथ्वी को आग में झोंक रहा है.

उनके अनुसार, बड़ी तेल कम्पनियों ने बड़ा झूठ बोला, इसके बावजूद हम जानते हैं कि पारिस्थितिकी तंत्र का दरकना, एक कटु, वैज्ञानिक तथ्य है.

पारस्परिक सहयोग की अपील

उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय सहयोग व भरोसा का निर्माण करने के लिए अपनी अपील जारी की, और आगाह किया कि अमेरिका और चीन में पनपी दरारें, विश्व की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को एक दूसरे से अलग कर सकती हैं.

एंतोनियो गुटेरेश के अनुसार, इस दूरी से वैश्विक अर्थव्यवस्था को एक हज़ार 400 अरब डॉलर की चपत लगेगी, दुनिया में दो प्रकार के व्यापार नियम होंगे, दो मुद्राओं का दबदबा होगा, दो हित और कृत्रिम बुद्धिमता के लिए परस्पर विरोधी दो रणनीति होंगी.

महासचिव ने ज़ोर देकर कहा कि ऐसा होने से रोकना होगा.

यूएन प्रमुख ने कहा कि यह समझा जा सकता है कि चीन और अमेरिका में मानवाधिकारों और सुरक्षा सम्बन्धी मुद्दों पर अलग मत होंगे, लेकिन यह ज़रूरी है कि दोनों देश, जलवायु, व्यापार और टैक्नॉलॉजी पर अर्थपूर्ण ढंग से सम्पर्क व बातचीत में हिस्सा लें.

उनके अनुसार अर्थव्यवस्थाओं को अलग होने से बचाने और भविष्य में टकराव की सम्भावना को टालने के लिए यह आवश्यक है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन जन टीकाकरण अभियान में अफ़्रीकी देशों को सहायता प्रदान कर रहा है.
© WHO/Junior D. Kannah
विश्व स्वास्थ्य संगठन जन टीकाकरण अभियान में अफ़्रीकी देशों को सहायता प्रदान कर रहा है.

बढ़ती खाई

यूएन प्रमुख ने सचेत किया कि उत्तरी गोलार्द्ध और दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित देशों के बीच खाई गहरी हो रही है, चूँकि कोविड-19 टीका वितरण और महामारी से उबरने में पसरी विषमता के प्रति क्रोध है.

उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता कि पुनर्बहाली मुख्य रूप से सम्पन्न देशों में केन्द्रित है, जहाँ मुद्रा छापी जा सकती है.

बताया गया है कि ग्लोबल नॉर्थ में स्थित देशों में हज़ारों अरब डॉलर की मुद्रा छापी जा चुकी है, जबकि विकासशील देश ऐसा नहीं कर सकते, चूँकि उनकी मुद्रा अवमूल्यन का शिकार हो सकती है.

महासचिव ने कहा कि दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित देशों को जलवायु संकट से भी जूझना पड़ रहा है, जबकि वैश्विक तापमान में वृद्धि के लिए उनका योगदान सबसे कम है.

ना ही, उनके पास इस चुनौती से निपटने के लिए वित्तीय संसाधन मौजूद हैं.

इसके मद्देनज़र, यूएन प्रमुख ने बहुपक्षीय विकास बैंकों से उनके व्यवसाय मॉडल में बदलाव करने का आग्रह किया है, ताकि उभरती अर्थव्यवस्थाओं को निजी वित्त पोषण, तर्कसंगत ब्याज़ दरों पर मुहैया कराया जा सके.