पाकिस्तान में लाखों बच्चों के लिए हालात अब भी एक बुरे सपने समान

पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) के प्रतिनिधि अब्दुल्लाह फ़ादिल ने मंगलवार को जिनीवा में पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया है कि देश में भीषण बाढ़ और मूसलाधार बारिश थमने के कई महीने बाद भी, लगभग 40 लाख बच्चे दूषित जल-जमाव से जूझ रहे हैं और उनके जीवन पर जोखिम बना हुआ है.
यूनीसेफ़ प्रतिनिधि ने कहा कि घर बर्बाद हो गए हैं, बच्चे कठोर सर्दी का सामना कर रहे हैं और उनके पास रहने के लिए उपयुक्त आश्रय स्थल भी नहीं है.
“यह दुखद है कि मीडिया का ध्यान भी अब इस समस्या पर नहीं है.”
14yr old Safi stands near a flooded field in Zangi Brohi, Dadu, Sindh. Months after the devastating #FloodsInPakistan, 4 million children are still living next to stagnant floodwater. We're doing everything we possibly can but much more is urgently needed to save children's lives https://t.co/RTkYPJF5F2
UNICEF_Pakistan
अब्दुल्लाह फ़ादिल ने कहा, “आप सभी ने वो तस्वीरें देखी होंगी, जोकि हृदयविदारक व्यथा बयान करती हैं.”
“गाँव द्वीपों में तब्दील हो गए; बच्चे अनाथ हो गए; परिवार अब भी बिल्कुल कँपकँपा देने वाली परिस्थितियों में प्लास्टिक के चिथड़ों के भीतर जीवन गुज़ार रहे हैं.“
यूनीसेफ़ प्रतिनिधि के अनुसार, आँकड़े इस बाढ़ से उपजी विकराल चुनौती और पाकिस्तान में बच्चों के दुस्वप्न की ओर इशारा करते हैं.
बाढ़-प्रभावित ज़िलों में लगभग 16 लाख बच्चे पहले से ही गम्भीर कुपोषण का शिकार थे, जबकि 60 लाख बच्चे नाटेपन और पूर्ण रूप से विकसित ना होने पाने की समस्या से पीड़ित थे.
इस अवस्था में बच्चों के मस्तिष्क, शरीर और प्रतिरक्षण प्रणालियों को पहुँचने वाली क्षति को फिर दूर नहीं किया जा सकता है.
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने चिन्ता जताई है कि बाढ़ के बाद इन इलाक़ों में हालात, विशाल स्तर पर बद से बदतर होने की आशंका है.
देश में 27 हज़ार स्कूल बाढ़ के पानी में बह गए, जिसके कारण व्यापक पैमाने पर स्कूली शिक्षा में व्यवधान उत्पन्न हुआ है.
प्रतिनिधि फ़ादिल ने क्षोभ प्रकट करते हुए कहा कि इतनी बड़ी संख्या में युवजन का जीवन दाँव पर लगे होने के बावजूद, यूनीसेफ़ की 17 करोड़ 30 लाख डॉलर की अपील को, केवल आधी से भी कम धनराशि का ही प्रबन्ध हो पाया है.
पाकिस्तान में यूनीसेफ़ के शीर्ष अधिकारी ने आगाह किया कि पाकिस्तान, जलवायु परिवर्तन से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों में है, और हो सकता है कि यह फिर से विशाल स्तर पर एक और जलवायु आपदा देखने को मिले, जिससे बच्चे प्रभावित हों.
“हमें आज अपने प्रयासों को दोगुना करने के लिए लचीली सहायता धनराशि की आवश्यकता है और दीर्घकालिक निवेश की भी, ताकि लगातार बनी हुई उन विषमताओं को दूर किया जा सके, जिनका सामना लड़के और लड़कियों ने लम्बे समय से किया है.”
अब्दुल्लाह फ़ादिल ने ध्यान दिलाया कि पिछले सप्ताह, जिनीवा में आयोजित एक सम्मेलन में अन्तरराष्ट्रीय दानदाताओं ने पाकिस्तान को इस आपदा से उबारने के लिए, 9 अरब डॉलर की सहायता का संकल्प लिया है.
“यह एक बेहद उदार क़दम है. लेकिन, पुनर्बहाली, पुनर्वास और पुनर्निर्माण प्रयासों के केन्द्र में बच्चों को रखा जाना होगा.”
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि आर्थिक क्षेत्र में बेहतरी और सतत वृद्धि को तभी प्राप्त किया जा सकता है, जब बच्चों की तात्कालिक व दीर्घकालिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ज़रूरी निवेश किए जाएँ.
इसके साथ ही, उहोंने मानव पूंजी, सहनक्षमता निर्माण में निवेश किए जाने को अनिवार्य बताया है, विशेष रूप से ग्रामीण सिन्ध और बलूचिस्तान में, जोकि बाढ़ से सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं.
यूनीसेफ़ प्रतिनिधि ने कहा कि निर्बल समुदायों के लिए तत्काल स्वास्थ्य देखभाल, पोषण, शिक्षा, संरक्षण, स्वच्छता व साफ़-सफ़ाई की व्यवस्था किए जाने की ज़रूरत है, विशेष रूप से दूरदराज़ के इलाक़ों में.