लगभग एक अरब लोग, बिजली की विश्वसनीय आपूर्ति के बिना, स्वास्थ्य सुविधाएँ उपयोग करने को मजबूर

संयुक्त राष्ट्र समर्थित एक रिपोर्ट से मालूम हुआ है कि वैसे तो स्वास्थ्य देखभाल के लिये बिजली बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन ग़रीब देशों में लगभग एक अरब लोग – यानि वैश्विक आबादी के एक-आठवें हिस्से को स्वास्थ्य सुविधाएँ, विश्वसनीय बिजली आपूर्ति के बिना प्रदान की जाती है.
यह अध्ययन, निम्न और मध्यम आय वाले देशों में स्वास्थ्य सुविधाओं के विद्युतीकरण पर नवीनतम आँकड़े पेश करता है. साथ ही इसमें, पर्याप्त एवं विश्वसनीय बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक परियोजनाओं में निवेश के मार्ग सुझाए गए हैं.
Almost 1 billion people around the world are served by health-care facilities with no electricity access or with unreliable electricity. Without reliable electricity in all health-care facilities, #HealthForAll cannot be reached. We must turn the tide! https://t.co/FFm7FxMNJv
DrTedros
यह रिपोर्ट, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), विश्व बैंक, अन्तरराष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा एजेंसी (IRENA) और सभी के लिये टिकाऊ ऊर्जा (SEforAll) ने प्रकाशित की है.
स्वस्थ आबादी के लिये डब्ल्यूएचओ में अन्तरिम सहायक महानिदेशक, डॉक्टर मारिया नीरा ने कहा, "स्वास्थ्य सुविधाओं में बिजली का उपयोग, जीवन और मृत्यु के बीच का अन्तर बन सकता है."
"स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के लिये विश्वसनीय, स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा में निवेश, न केवल महामारी की तैयारी के लिये महत्वपूर्ण है, बल्कि सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्राप्त करने के साथ-साथ, जलवायु सहमसक्षमता एवं अनुकूलन बढ़ाने हेतु भी अति आवश्यक है."
बच्चों को जन्म देने से लेकर, दिल के दौरे जैसी आपात स्थितियों से निपटने या बच्चों को जीवनरक्षक टीके सुनिश्चित करने तक, लोगों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिये, बिजली तक पहुँच बेहद महत्वपूर्ण है.
सबसे बुनियादी उपकरणों के लिये बिजली की ज़रूरत पड़ती है – जैसेकि प्रकाश व्यवस्था, संचार उपकरण और प्रशीतन, या दिल की धड़कन व रक्तचाप जैसे महत्वपूर्ण संकेतों को मापने वाले यंत्रों के लिये. इसके अलावा, नियमित एवं आपातकालीन प्रक्रियाओं, दोनों के लिये बिजली महत्वपूर्ण है.
हालाँकि, रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण एशिया और उप-सहारा अफ़्रीकी देशों में, 10 से एक से अधिक स्वास्थ्य सुविधाओं में, किसी भी तरह की बिजली की सुविधा नहीं है, और उप-सहारा अफ़्रीका में आधी सुविधाओं में विश्वसनीय बिजली आपूर्ति का अभाव है.
हाल की प्रगति के बावजूद, लगभग एक अरब लोगों को या तो विश्वसनीय बिजली आपूर्ति के बिना स्वास्थ्य सुविधाएँ दी जा रही हैं, या बिल्कुल भी नहीं. यह संख्या, संयुक्त राज्य अमेरिका, इंडोनेशिया, पाकिस्तान और जर्मनी की लगभग पूरी आबादी के बराबर है.
स्वयं देशों के भीतर पहुँच में भी भारी असमानताएँ हैं. रिपोर्ट के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में अस्पतालों और सुविधाओं की तुलना में, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों एवं ग्रामीण सुविधाओं में बिजली की पहुँच काफ़ी कम है.
रिपोर्ट में ज़ोर देकर कहा गया है कि स्वास्थ्य सुविधाओं के विद्युतीकरण को "विकास की सबसे अहम प्राथमिकता माना जाना चाहिये."
रिपोर्ट में शामिल विश्व बैंक का विश्लेषण दर्शाता है कि निम्न और मध्यम आय वाले देशों में, लगभग दो-तिहाई स्वास्थ्य सुविधाओं को, नए बिजली कनेक्शन या बैकअप बिजली आपूर्ति जैसे हस्तक्षेपों की तुरन्त आवश्यकता है.
उन्हें विद्युतीकरण के न्यूनतम स्तर पर लाने के लिये, लगभग 5 अरब डॉलर की तत्काल आवश्यकता है.
सूर्य के प्रकाश को बिजली में परिवर्तित करने वाले सौर फ़ोटोवोल्टिक प्रणालियों का उदाहरण देते हुए लेखकों ने कहा कि ऐसे विकेन्द्रीकृत स्थाई ऊर्जा समाधान उपलब्ध हैं, जिनसे स्वास्थ्य सेवाओं के वितरण पर भारी असर पड़ सकता है.
इस तरह के समाधान, लागत प्रभावी व स्वच्छ हैं और इलाक़ों में तेज़ी से लगाए जा सकते हैं, जिसका अर्थ है कि केन्द्रीय ऊर्जा ग्रिड आने की प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं है.
लेखकों ने कहा कि जलवायु आपातस्थिति के प्रभावों से स्वास्थ्य प्रणाली और सुविधाएँ, तेज़ी से प्रभावित हो रही हैं.
इसलिये उन्हें अधिक सहनसक्षम बनाने के लिये, ऐसी सुविधाओं और सेवाओं का निर्माण करना होगा, जो पर्यावरणीय स्थिरता में सुधार करते हुए जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना कर सकें.
अन्य स्वास्थ्य समाचारों में,
संयुक्त राष्ट्र में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)के प्रमुख, डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस और चीन के मंत्री मा ज़ियाओवेई के बीच शनिवार को हुई बातचीत के बाद जारी एक बयान में, चीन से कोविड-19 के उछाल पर आँकड़े मिलने का स्वागत किया गया है.
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने कहा, "डब्ल्यूएचओ इस बैठक व साथ ही, समग्र स्थिति पर सार्वजनिक सूचना जारी के लिये शुक्रगुज़ार है."
चीनी अधिकारियों ने डब्ल्यूएचओ को व एक प्रैस वार्ता में, उन विषयों पर जानकारी साझा की है जिनमें आउट पेशेंट क्लीनिक, अस्पतालों में भर्ती, आपातकालीन उपचार और महत्वपूर्ण देखभाल की आवश्यकता वाले रोगियों व कोविड-19 से सम्बन्धित अस्पताल में होने वाली मौतें शामिल हैं.
WHO डेटा का विश्लेषण कर रहा है, जिसमें दिसम्बर 2022 की शुरुआत से लेकर 12 जनवरी 2023 तक की अवधि शामिल है. डब्ल्यूएचओ ने यह याद दिलाया कि वो काफ़ी समय से चीन से विस्तृत जानकारी साझा करने का अनुरोध करता रहा है.
आँकड़ों के अनुसार, कोविड-19 के मामलों में वर्तमान तीव्र वृद्धि, जान-पहचाने ओमिक्रॉन सबवैरिएंट्स के कारण हुई है. यह मुख्य रूप से वृद्धों और अन्तर्निहित स्वास्थ्य स्थितियों वाले लोगों को प्रभावित कर रहा है, जोकि अन्य देशों में अनुभव की जाने वाली संक्रमण की लहरों से मिलता-जुलता है.
बयान में कहा गया है,“रिपोर्ट किए गए आँकड़े, मामलों की संख्या, अस्पताल में भर्ती और आपात देखभाल की आवश्यकता वाले लोगों में गिरावट का संकेत देते हैं. डब्ल्यूएचओ ने कुछ समय बाद, प्रान्तों से अधिक विस्तृत व सूक्ष्म आँकड़े एकत्र करने का अनुरोध किया है."
बातचीत के दौरान, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)प्रमुख ने, कोविड-19 महामारी की उत्पत्ति को समझने में चीन के गहन सहयोग और पारदर्शिता के महत्व को दोहराया, और इसके रणनीतिक सलाहकार समूह द्वारा पेश की विस्तृत सिफ़ारिशों पर अमल करने पर जोर दिया.