वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

शान्ति और बर्बर टकराव के बीच का फ़ासला है क़ानून का राज, यूएन प्रमुख

 अफ़ग़ानिस्तान में अनेक परिवार आर्थिक गुज़र-बसर के लिए अपने बच्चों की छोटी आयु में ही शादी करा देते हैं.
© UNICEF/Madhok
अफ़ग़ानिस्तान में अनेक परिवार आर्थिक गुज़र-बसर के लिए अपने बच्चों की छोटी आयु में ही शादी करा देते हैं.

शान्ति और बर्बर टकराव के बीच का फ़ासला है क़ानून का राज, यूएन प्रमुख

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने गुरूवार को सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों को सम्बोधित करते हुए कहा है कि क़ानून का राज, सभी क्षेत्रों में अन्तरराष्ट्रीय सहयोग और बहुपक्षवादी व्यवस्था के कारगर संचालन की आधारशिला है. उन्होंने इसे सम्पूर्ण यूएन प्रणाली की बुनियाद के रूप में परिभाषित करते हुए, सदस्य देशों से आग्रह किया कि क़ानून के राज को बढ़ावा देकर संयुक्त राष्ट्र को मज़बूती प्रदान की जानी होगी. 

महासचिव ने कहा, “एक बेहद छोटे गाँव से लेकर वैश्विक मंच तक, केवल क़ानून का राज ही शान्ति व स्थिरता और ताक़त व संसाधनों के लिए बर्बर संघर्ष के बीच में खड़ा है.”

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने कहा कि इससे निर्बलों की रक्षा और भेदभाव की रोकथाम होती है, समावेशी अर्थव्यवस्थाओं व समाजों को समर्थन मिलता है, संस्थाओं में भरोसा मज़बूत होता है और अत्याचार अपराधों के विरुद्ध यह पहली रक्षा पंक्ति है.

Tweet URL

महासचिव गुटेरेश ने विश्व भर में तबाह कर देने वाले हिंसक टकरावों, बढ़ती निर्धनता व भूख का दंश झेल रहे आमजन की एक गम्भीर तस्वीर उकेरी.

उन्होंने आगाह किया कि हम सभी अराजकता के गम्भीर जोखिम का सामना कर रहे हैं.

महासचिव ने चिन्ता जताई कि ग़ैरक़ानूनी ढँग से परमाणु हथियारों को विकसित करने से लेकर, बिना अनुमति के बल प्रयोग तक, देशों द्वारा अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का दंडमुक्ति की भावना के साथ मखौल उड़ाया जा रहा है.

यूएन प्रमुख ने यूक्रेन पर रूसी आक्रमण, फ़लस्तीनियों और इसराइलियों को ग़ैरक़ानूनी ढँग से जान से मार दिए जाने, अफ़ग़ानिस्तान में लिंग-आधारित भेदभाव, कोरिया लोकतांत्रिक जनगणराज्य में ग़ैरक़ानूनी परमाणु हथियार कार्यक्रम, म्याँमार में मानवाधिकार हनन के गम्भीर मामलों और हेती में गहरे संवैधानिक संकट का उल्लेख किया.

यूएन महासचिव ने ज़ोर देकर कहा कि ये उदाहरण दर्शाते हैं कि क़ानून के राज का अनुपालन किया जाना, पहले की तुलना में कहीं अधिक अहम है.

“सभी सदस्य देशों का यह दायित्व है कि हर मोड़ पर उन्हें बनाए रखा जाए.”

एंतोनियो गुटेरेश ने अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ), मानवाधिकार परिषद और उसके विभिन्न जाँच आयोग के प्रति ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि यूएन निकायों और तंत्रों द्वारा क़ानून के राज को बढ़ावा दिया जाता है.

विश्व भर में, संयुक्त राष्ट्र दंडमुक्ति के विरुद्ध संगठित प्रयास कर रहा है, और एक निष्पक्ष, स्वतंत्र न्यायिक प्रक्रिया के ज़रिये दोषियों की जवाबदेही तय करने के लिए प्रतिबद्ध है.

“हम भुक्तभोगियों व जीवित बच गए लोगों को समर्थन प्रदान करके और न्याय, कष्ट-निवारण व मुआवज़े की सुलभता के ज़रिये भी क़ानून के राज को मज़बूती प्रदान करते हैं.”

उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय को सर्वाधिक गम्भीर अपराधों के लिए जवाबदेही की आकाँक्षा के रूप में परिभाषित करते हुए, कोर्ट के अनिवार्य न्यायिक-अधिकार क्षेत्र को पहचानने की अहमियत को रेखांकित किया.

साथ ही, ध्यान दिलाया कि इसे सुनिश्चित करने में सुरक्षा परिषद का एक विशेष दायित्व है.

सदस्य देशों की भूमिका

महासचिव गुटेरेश ने बताया कि सदस्य देश, क़ानून के राज को बढ़ावा देकर संयुक्त राष्ट्र को मज़बूती प्रदान कर सकते हैं.

इसके लिए यूएन चार्टर, मानवाधिकारों के लिए घोषणापत्र, और अन्तरराष्ट्रीय क़ानून को सर्वोपरि रखना होगा, आपसी विवादों का निपटारा शान्तिपूर्ण ढँग से किया जाना होगा, सर्वजन के लिए समान अधिकारों की पैरवी करनी होगी, आमजन के स्व-निर्णय के अधिकार और सदस्य देशों की सम्प्रभु समानता के प्रति संकल्प दर्शाना होगा.  

“अनेक चुनौतियों के बावजूद, क़ानून के राज की प्रधानता, अन्तरराष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा बनाए रखने और शान्तिनिर्माण प्रयासों के लिए अति-आवश्यक है.”

यूएन प्रमुख के अनुसार, क़ानून के राज का हरसम्भव इस्तेमाल, रोकथाम के लिए ज़रूरी एक उपाय के तौर पर किया जाना होगा.

सौदेबाज़ी, जाँच, मध्यस्थता, सुलह-समझौता, ये सभी क़ानूनी फ़्रेमवर्क के लिए महत्वपूर्ण उपाय हैं.

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने क़ानून के राज के विषय पर सुरक्षा परिषद में आयोजित एक बैठक को सम्बोधित किया.
UN Photo/Loey Felipe
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने क़ानून के राज के विषय पर सुरक्षा परिषद में आयोजित एक बैठक को सम्बोधित किया.

राष्ट्रीय स्तर पर, क़ानून के राज से आमजन व संस्थाओं में भरोसे के निर्माण होता है, भ्रष्टाचार में कमी आती है और समाजों व अर्थव्यवस्थाओं को बिना किसी परेशानी के आगे बढ़ाना सम्भव होता है.

मगर, क़ानूनी उपायों के अभाव में दंडमुक्ति की भावना प्रबल होती है, संगठित अपराध फलते-फूलते हैं और हिंसक टकराव का जोखिम भी बढ़ जाता है.

इसके अलावा, उन्होंने सदस्य देशों से 2030 एजेंडा को साकार करने और टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए, क़ानून के राज की महत्ता को समझने का आग्रह किया.

महासचिव के अनुसार, निर्धनता, अन्याय व बहिष्करण से केवल कारगर, ग़ैर-भेदभावपूर्ण, समावेशी सार्वजनिक नीतियो से ही निपटा जा सकता है.

भावी दिशा

यूएन प्रमुख ने कहा कि वैश्विक सहयोग व बहुपक्षवाद में नई स्फूर्ति भरने पर केन्द्रित, ‘हमारा साझा एजेंडा’ रिपोर्ट में क़ानूनी नियमों की साझा स्वीकार्यता की पुकार लगाई गई थी.

इस रिपोर्ट में क़ानून के राज, मानवाधिकार व विकास के बीच सम्बन्ध को रेखांकित किया गया है और उन व्यक्ति-केन्द्रित तौर-तरीक़ों पर बल दिया गया है, जिससे क़ानून व न्याय सर्वजन के लिए सुलभ हो सके.

महासचिव गुटेरेश ने कहा कि शान्ति के लिए नए एजेंडा में भी यही परिलक्षित होगा.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि परमाणु निरस्त्रीकरण से लेकर जलवायु संकट, जैव विविधता हानि, वैश्विक महामारी और ख़तरनाक बीमारियों तक, मौजूदा व भावी चुनौतियो से निपटने के लिए क़ानून का राज बेहद अहम है.

उनके अनुसार बदलते पर्यावरण और टैक्नॉलॉजी के क्षेत्र में हुई प्रगति को ध्यान में रखते हुए, क़ानूनी उपायों में भी बदलाव लाया जाना होगा.

अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय की प्रमुख जोआन डोनोह्यू ने सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों के प्रतिनिधियों को सम्बोधित किया.
UN Photo/Loey Felipe
अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय की प्रमुख जोआन डोनोह्यू ने सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों के प्रतिनिधियों को सम्बोधित किया.

क़ानून के राज का सम्मान

अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय की प्रमुख जोआन डोनोह्यू ने अन्तरराष्ट्रीय विवादों के शान्तिपूर्ण हल पर ध्यान केन्द्रित करते हुए कहा कि सदस्य देशों का बर्ताव ही मोटे तौर पर यह निर्धारित करता है कि क़ानून के राज का सम्मान किया जाएगा या नहीं.

उन्होंने सचेत किया कि सदस्य देश अपने विवादों का बल प्रयोग या उसकी धमकी के ज़रिये निपटारा सम्भवत: ना कर पाएं, और उन्हें अपने आचरण की वैधानिकता की समीक्षा, अन्तरराष्ट्रीय अदालतों और ट्राइब्यूनल के ज़रिये किए जाने के लिए तैयार रहन होगा.

अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय प्रमुख के अनुसार, सदस्य देश अपनी स्वायत्तता को बहुत अहम मानते हैं और अपनी शक्ति का हर तरीक़े से बचाव करना चाहते हैं.

इसलिए, क़ानून के राज का सिद्धान्त, इन दो प्रतिस्पर्धी प्रवृत्तियों में निरन्तर चलने वाली एक लड़ाई है, मगर फ़िलहाल आत्मसमर्पण के लिए सफ़ेद झंडा दिखाने का समय नहीं है.