सीरिया: सीमा पार से सहायता के लिये, सुरक्षा परिषद की सर्वसम्मत मंज़ूरी
सुरक्षा परिषद में सोमवार को सर्वसम्मत स्वीकृति के बाद, खाद्य सामग्री, दवाओं और अन्य ज़रूरी चीज़ों से भरे ट्रक, जीवनदाई मानवीय सहायता सामग्री की आपूर्ति, तुर्कीये से होकर सीरिया के पश्चिमोत्तर हिस्से में, छह महीनों के लिए करना जारी रखेंगे.
सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों के राजदूतों ने प्रस्ताव 2672 पारित करके, सीरिया के पश्चिमोत्तर हिस्से में मानवीय सहायता जारी रखने की प्रणाली की अवधि, छह महीनों के लिए बढ़ाए जाने को सर्वसम्मति से स्वीकृत किया. यह स्वीकृति 10 जनवरी को समाप्त होने वाली थी.
Secretary-General @antonioguterres takes note of the Security Council's decision to confirm the extension of its authorization for UN cross-border humanitarian operations in Syria 👇👇
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यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश के प्रवक्ता ने एक वक्तव्य में बताया कि उन्होंने इस घटनाक्रम को उत्सुकता से दर्ज किया है, जिससे क्षेत्र में 41 लाख लोगों के लिये, मानवीय सहायता अभियान की एक जीवन रेखा के रूप में महत्ता रेखांकित होती है.
मानवीय पहुँच का विस्तार
वक्तव्य में कहा गया है, “इस प्रस्ताव की अवधि अन्य छह महीनों के लिए बढ़ाए जाने की ये स्वीकृति ऐसे समय आई है जब सीरिया में वर्ष 2011 में युद्ध शुरू होने के बाद से, मानवीय ज़रूरतें अपनी उच्च सीमा पर पहुँच गई हैं. देश में लोग कड़ाके की सर्दियों और हैज़ा के फैलाव का भी सामना कर रहे हैं.”
प्रस्ताव 2672 में सहायता सामग्री ले जाने वाले परिवहन साधनों को बाब-अल-हवा नामक चौकी से होकर जाने की अनुमति होगी. ये एक ऐसी प्रणाली है जो मानवीय सहायता की आपूर्ति के लिए नौ वर्ष पहले स्थापित की गई थी.
ज़रूरतमन्द लोगों तक पहुँच
सुरक्षा परिषद में इस प्रस्ताव का आलेख, आयरलैंड और नॉर्वे के काम को जारी रखते हुए, ब्राज़ील व स्विटज़रलैंड ने प्रस्तुत किया. आयरलैंड और नॉर्व ने जुलाई 2022 में प्रस्ताव 2642 का आलेख सुरक्षा परिषद में पेश किया था जिसके ज़रिये सीरिया के पश्चिमोत्तर इलाक़े में सीमा पार से होकर मानवीय सहायता सामग्री की आपूर्ति को मंज़ूरी दी गई थी, और इसकी अवधि 10 जनवरी 2023 को समाप्त हो रही थी.
उससे आगे की अवधि में मानवीय सहायता सामग्री की आपूर्ति जारी रखने के लिए, एक नए प्रस्ताव की आवश्यकता थी.
‘बिल्कुल न्यूनतम’
संयुक्त राज्य अमेरिका की राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफ़ील्ड के अनुसार, इस प्रस्ताव के पारित होने से सीरिया के लोगों को कुछ राहत मिल सकेगी, मगर उससे भी कहीं ज़्यादा कार्रवाई की जा सकती थी.
उन्होंने कहा कि जुलाई 2022 में सुरक्षा परिषद, ये मानवीय सहायता प्रणाली, 12 महीनों के लिये बढ़ाने में नाकाम रही थी, जिसके कारण सहायताकर्मियों के लिये चीज़ें बहुत कठिन और महंगी साबित हुईं.
लिंडा थॉमस-ग्रीनफ़ील्ड ने कहा, “इसलिए, ये तो बहुत महत्वपूर्ण है कि सुरक्षा परिषद आज इस मुद्दे पर एकत्र हुई, मगर हम ईमानदारी से कहें तो इस प्रस्ताव में, बिल्कुल न्यूनतम का प्रतिनिधित्व होता है.”
उन्होंने कहा, “दरअसल, इस प्रस्ताव के नवीनीकरण को, किसी चर्चा का विषय बनाया ही नहीं जाना चाहिए था. हमें तो चर्चा इस मुद्दे पर करने की ज़रूरत है कि कितने और ज़्यादा लोगों तक, और ज़्यादा सहायता पहुँचाने की व्यवस्था को, और ज़्यादा मज़बूत किस तरह किया जा सकता है.”
'सीरियाई सम्प्रभुता'
रूस के राजदूत वैसिली नेबेन्ज़या ने अपनी टिप्पणी में कहा कि उनके देश को इस प्रस्ताव का समर्थन करने का कठिन निर्णय करना पड़ा. उन्होंने कहा कि मानवीय सहायता “सीरिया के एक ऐसे हिस्से में पहुँचाई जा रही है, जो आतंकवादियों से भरा हुआ है”.
रूसी राजदूत ने कहा, “मौजूदा स्थिति तो यही है कि ये प्रस्ताव सीरियाई लोगों की आकांक्षाओं को दिखाने में नाकाम है, जिन्हें प्रभावकारी मानवीय सहायता प्रयासों के साथ-साथ सीरिया की क्षेत्रीय अखंडता व उसकी सम्प्रभुता का सम्मान किए जाने की अपेक्षा है – केवल शब्दों में नहीं, कार्रवाई में भी.”
उन्होंने कहा कि सीमा पार से सहायता की प्रणाली, सार्वभौमिक स्तर पर मान्य मानवीय सहायता के मानकों में हस्तक्षेप करती है, और देश की सम्प्रभुता का सम्मान किए जाने के उद्देश्य को आगे बढ़ाने में मदद नहीं करती है.”