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लचीली कामकाज व्यवस्था से सभी का लाभ - ILO रिपोर्ट

मैडागास्कर में घर से काम कर रहा एक व्यक्ति अपने बच्चे की देखभाल भी करते हुए.
World Bank/Henitsoa Rafalia
मैडागास्कर में घर से काम कर रहा एक व्यक्ति अपने बच्चे की देखभाल भी करते हुए.

लचीली कामकाज व्यवस्था से सभी का लाभ - ILO रिपोर्ट

आर्थिक विकास

अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने शुक्रवार को एक नई रिपोर्ट जारी की है जिसमें कहा गया है कि कामकाज के लचीले घंटों से, अर्थव्यवस्था और व्यवसाय आगे बढ़ सकते हैं, साथ ही कर्मचारियों और परिवारों को बेहतर कार्य-जीवन सन्तुलन हासिल करने में मदद मिल सकती है.

आईएलओ की Working Time and Work-Life Balance Around the World नामक रिपोर्ट की प्रस्तावना में शाखा प्रमुख, फ़िलिप मार्काडेंट ने कहा है, "आज दुनिया में हो रहे अधिकांश श्रम बाजार सुधार और विकास, काम के घंटों और स्थितियों पर केन्द्रित हैं."

"कामकाज के घंटों की संख्या, उन्हें व्यवस्थित करने के तरीक़े, और आराम की सुविधा, न केवल काम की गुणवत्ता, बल्कि कार्यस्थल के बाहर के जीवन पर भी अहम असर डाल सकती है."

घंटों का रिकॉर्ड

कामकाज व जीवन के सन्तुलन पर ध्यान केंद्रित करने वाला यह पहला अध्ययन, व्यवसायों और उनके कर्मचारियों पर कामकाज के घंटों और समय-सारिणी के प्रभावों का आकलन करता है.

कोविड-19 से पहले और उसके दौरान की अवधि पर आधारित इस रिपोर्ट से मालूम होता है कि सभी कर्मचारियों में से एक तिहाई से अधिक, नियमित रूप से प्रति सप्ताह 48 घंटों से अधिक काम कर रहे हैं, जबकि वैश्विक कार्यबल का पाँचवाँ भाग, अंशकालिक आधार पर प्रति सप्ताह 35 घंटों से कुछ कम काम करता है.

रिपोर्ट के प्रमुख लेखक जॉन मैसेंजर का कहना है, "तथाकथित ‘Great Resignation’ की घटना ने, महामारी के बाद की दुनिया में, सामाजिक और श्रम बाज़ार के मुद्दों को कार्य-जीवन सन्तुलन की अग्रणी श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया है."

इंडोनेशिया के बाली में एक महिला दूरस्थ स्थान से कामकाज करते हुए.
Unsplash/Daria Mamont
इंडोनेशिया के बाली में एक महिला दूरस्थ स्थान से कामकाज करते हुए.

परिवर्तनकारी व्यवस्था

यह रिपोर्ट कामकाज की विभिन्न कार्य सारणियों और कार्य-जीवन सन्तुलन पर उनके प्रभावों का विश्लेषण करती है, जिसमें काम पारी, कॉल पर रहने की व्यवस्था, संकुचित घंटे और घंटा-औसत योजनाएँ शामिल हैं.

जॉन मैसेंजर ने कहा कि कोविड-19 संकट के दौरान शुरू की गई अभिनव कार्य व्यवस्था, अधिक उत्पादकता और बेहतर कार्य-जीवन सन्तुलन सहित बेहतर लाभ दे सकती है.

उन्होंने कहा, “यह रिपोर्ट बताती है कि यदि हम कोविड-19 संकट से मिले कुछ सबक़ों को लागू करते हैं और कामकाज के घंटों को संरचित करने के तरीक़े के साथ-साथ, उनकी लम्बी अवधि को ध्यान से देखें, तो हम व्यावसायिक प्रदर्शन और कार्य-जीवन सन्तुलन, दोनों में सुधार करके, एक सफल रणनीति बना सकते हैं.”

हालाँकि, रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि परिवार के साथ अधिक समय बिताने जैसी कुछ लचीली कार्य-व्यवस्थाओं से लैंगिक असन्तुलन और स्वास्थ्य जोखिम बढ़ सकते हैं.

महामारी की प्रतिक्रिया

2019 में 160 देशों से जुटाए गए आँकड़ों पर आधारित, प्रति सप्ताह औसत कामकाजी घंटों पर एक नज़र.
Working Time and Work-Life Balance Around the World, ILO
2019 में 160 देशों से जुटाए गए आँकड़ों पर आधारित, प्रति सप्ताह औसत कामकाजी घंटों पर एक नज़र.

यह रिपोर्ट, संकट की जवाबी कार्रवाई के उपायों पर भी नज़र डालती है, जो सरकारों और व्यवसायों ने महामारी के दौरान संगठनों को काम जारी रखने व रोज़गार संरक्षित रखने में मदद करने के लिये उठाए थे.

इसमें पाया गया कि अधिक श्रमिकों को कम घंटों का रोज़गार देने पर, रोज़गार जाने से बचा जा सकता है.

यह अध्ययन, दीर्घकालिक परिवर्तनों पर भी प्रकाश डालता है. इसमें यह भी दावा किया गया है कि "दुनिया में जहाँ भी सम्भव था, लगभग उस हर जगह, दूरस्थ कामकाज के बड़े पैमाने पर कार्यान्वयन से, कम से कम निकट भविष्य के लिये रोज़गार की प्रकृति बदल गई.”

कोविड-19 संकट के दौरान उठाए गए क़दमों से शक्तिशाली नए सबूत मिले है, जिनसे स्पष्ट होता है कि श्रमिकों को कैसे, कहाँ और कब काम करना है, इस बारे में लचीली व्यवस्था, उनके व उनके व्यवसाय के लिये सकारात्मक साबित हो सकती है एवं उत्पादकता में अहम इज़ाफ़ा कर सकती है.

इसके विपरीत, लचीलेपन को सीमित करने व पूरे स्टाफ़ को काम पर लौटने में बड़ी लागत लगती है.

रिपोर्ट में कहा गया है, "इस बात के पर्याप्त प्रमाण हैं कि कार्य-जीवन सन्तुलन नीतियाँ, उद्यमों को महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करती है, जिससे इस तर्क का समर्थन होता है कि ऐसी नीतियाँ, नियोक्ताओं एवं कर्मचारियों, दोनों के लिये ही लाभप्रद हैं."

टिप्पणियाँ

रिपोर्ट में अनेक निष्कर्ष शामिल हैं, जैसे कि लम्बे समय तक कामकाज के घंटे, आमतौर पर कम उत्पादकता से जुड़े होते हैं, जबकि कम घंटे अधिक उत्पादकता दर्शाते हैं.

इसमें यह भी माना गया है कि जहाँ क़ानून और नियमों में, कामकाज के घंटे व वैधानिक आराम की ऊपरी सीमा निर्धारित की जाती है, वहाँ दीर्घकालिक तौर पर, स्वस्थ एवं कल्याणकारी समाज का निर्माण होता है.

दक्षिण अफ़्रीका में रोज़गार व कामकाजी मक़सद के लिये, रिमोट टैक्नॉलॉजी के प्रयोग की एक तस्वीर.
© UNICEF/Karin Schermbrucker
दक्षिण अफ़्रीका में रोज़गार व कामकाजी मक़सद के लिये, रिमोट टैक्नॉलॉजी के प्रयोग की एक तस्वीर.

सिफ़ारिशें

रिपोर्ट के अनुसार, देशों को समावेशी ‘शॉर्ट-टाइम वर्क स्कीम’ जैसी महामारी-युग की पहल का समर्थन करना जारी रखना चाहिये, जिससे न केवल रोज़गार बचे रहे, बल्कि क्रय शक्ति भी बढ़ी और आर्थिक संकट के प्रभावों को कम करने में मदद मिली.

इसमें कई देशों में कामकाज के घंटों को कम करने और एक स्वस्थ कार्य-जीवन सन्तुलन को बढ़ावा देने के लिये, एक सार्वजनिक नीति बदलाव की भी वकालत की गई है.

और अन्त में, यह रिपोर्ट, टैलीवर्किंग के ज़रिये रोज़गार बनाए रखने और श्रमिकों को अधिक सुविधा देने के लिये प्रोत्साहित करती है.

हालाँकि इसमें चेतावनी दी गई है कि सम्भावित नकारात्मक प्रभावों को रोकने के लिये, इन और अन्य लचीली कार्य व्यवस्थाओं को सही तरह से विनियमित करने की आवश्यकता है, जिससे कार्य से "डिस्कनैक्ट करने का अधिकार" बना रहे.