वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

सीरिया: सीमा-पार मानवीय राहत जारी रखने के लिये, प्रस्ताव के नवीनीकरण का आग्रह  

सीरिया के इदलिब में एक परिवार, क्षतिग्रस्त स्कूल में रहने के लिये मजबूर है.
© UNOCHA
सीरिया के इदलिब में एक परिवार, क्षतिग्रस्त स्कूल में रहने के लिये मजबूर है.

सीरिया: सीमा-पार मानवीय राहत जारी रखने के लिये, प्रस्ताव के नवीनीकरण का आग्रह  

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों के एक समूह ने कहा है कि सीरिया के पश्चिमोत्तर इलाक़े में लाखों लोगों तक, सीमा-पार तुर्कीये के रास्ते जीवनरक्षक सहायता सुनिश्चित करने वाले सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव का नवीनीकरण किया जाना होगा. उन्होंने सचेत किया कि मौजूदा व्यवस्था की अवधि बढ़ाने में विफल रहने से, ज़रूरतमन्द लोगों तक मानवीय राहत और चिकित्सा सहायता पहुँचाने में बड़ा व्यवधान आने की आशंका है.

मानवाधिकार विशेषज्ञों ने ध्यान दिलाया कि प्रस्ताव 2642 की अवधि 10 जनवरी को समाप्त हो रही है और इसे ना बढ़ाए जाने के गहरे नतीजे हो सकते हैं.

उन्होंने अपने एक वक्तव्य में कहा, “यदि सीमा-पार [सहायता] आपूर्ति वाले प्रस्ताव का नवीनीकरण नहीं किया गया, तो सीरिया के पश्चिमोत्तर हिस्से में पहले से ही हताशा भरे मानवीय हालात और भी गम्भीर होंगे, एक ऐसे समय में जब देश में आम लोगों को गुज़र-बसर के लिये अन्तरराष्ट्रीय समर्थन की दरकार है.”

आठ वर्षों से, इस प्रस्ताव की मदद से सीरिया के पश्चिमोत्तर इलाक़े तक महत्वपूर्ण सहायता सामग्री पहुँचा पाना सम्भव हुआ है, जबकि इसका दायरा व अवधि सीमित है.

मानवाधिकार विशेषज्ञों के अनुसार, अनेक सीरियाई नागरिकों के लिये स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभता चुनौतीपूर्ण है, जिसकी एक बड़ी वजह असुरक्षा, स्वास्थ्य केन्द्रों तक पहुँचने में पेश आने वाली मुश्किलें, और आवाजाही के दौरान सुरक्षा चुनौतियाँ हैं,

इसके अलावा, पितृसत्तात्मक मानदंडों और लिंग आधारित हिंसा से लड़कियाँ और महिलाएँ, विषमतापूर्ण ढंग से प्रभावित हुई हैं.

हर महीने, सीमा-पार सहायता प्रयासों के ज़रिये, यूएन द्वारा 27 लाख लोगों तक मदद पहुँचाई जाती है. इनमें से 80 प्रतिशत महिलाएँ व बच्चे हैं, जिन्हें अतिरिक्त बोझ का सामना करना पड़ता है.

अपनी नियमित दिनचर्या पूरी ना कर पाने और आपात स्थिति में यौन व प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में उनके शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है.

सीरिया में हिंसक संघर्ष के कारण विस्थापित लोगों के लिये देश के पश्चिमोत्तर में बनाया गया एक शिविर.
© UNOCHA/Ali Haj Suleiman
सीरिया में हिंसक संघर्ष के कारण विस्थापित लोगों के लिये देश के पश्चिमोत्तर में बनाया गया एक शिविर.

विशाल ज़रूरतें

विशेष रैपोर्टेयर ने कहा, “इस प्रस्ताव का नवीनीकरण, पश्चिमोत्तर में लाखों आम लोगों की बढ़ती आवश्यकताओं और निर्बलताओं से निपटने के लिये न्यूनतम ज़रूरत है.”

उन्होंने स्पष्ट किया है कि सीमा-पार से 41 लाख ज़रूरतमन्दों तक सहायता पहुँचाने के लिये कोई ऐसा अन्य विकल्प नहीं है, जिसकी मौजूदा व्यवस्था से तुलना की जा सके.

मानवाधिकार विशेषज्ञों ने चेतावनी जारी की है कि इस प्रस्ताव के नवीनीकरण में विफल रहने से, क्षेत्र में जीवनरक्षक मानवीय राहत और चिकित्सा सहायता पहुँचाने के प्रयासों में नाटकीय व्यवधान आने की आशंका है.

वक्तव्य में ध्यान दिलाया गया है कि मानवीय राहत गतिविधियों का दायरा व स्तर बढ़ाने के लिये नागरिक समाज और अन्य अन्तरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय संगठनों द्वारा समर्थन प्रदान किये जाने के बावजूद, अब भी अनेक चुनौतियाँ बरक़रार हैं.

बड़ी संख्या में आम लोगों को भरपेट भोजन उपलब्ध नहीं है, मरीज़ों को उपयुक्त व सामयिक उपचार सुविधा का अभाव है, और यौन व प्रजनन स्वास्थ्य के लिये ज़रूरी सेवाओं व सामग्री की कमी है.

विशेष रैपोर्टेयर ने कहा कि मौजूदा जोखिम, इसलिये और गम्भीर हो रहे हैं, चूँकि लाखों लोगों के पास आश्रय सहायता और जल सुलभता नहीं है.

ऐसे में सीमा-पार से यूएन राहत अभियान रुकने से मौतें होने की आशंका है, जबकि इन्हें आसानी से टाला जा सकता है.

इस वक्तव्य को जारी करने वाले 15 विशेषज्ञों की सूची यहाँ उपलब्ध है.

मानवाधिकार विशेषज्ञ

विशेष रैपोर्टेयर और स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ, संयुक्त राष्ट्र की विशेष मानवाधिकार प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं. उनकी नियुक्ति जिनीवा स्थिति यूएन मानवाधिकार परिषद, किसी ख़ास मानवाधिकार मुद्दे या किसी देश की स्थिति की जाँच करके रिपोर्ट सौंपने के लिये करती है.

ये पद मानद होते हैं और मानवाधिकार विशेषज्ञों को उनके इस कामकाज के लिये, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन नहीं मिलता है.