व्यवसाय में महिलाओं की सक्रियता से, सबका फ़ायदा

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) भारत में, ‘कोड उन्नति’ परियोजना के तहत, SAP लैब्स इंडिया के साथ मिलकर, उद्यमशीलता एवं युवा नवाचार को बढ़ावा देने के लिये प्रयासरत है, जिसके उत्साहजनक परिणाम सामने आ रहे हैं.
राबिया बेगम केवल 15 वर्ष की थीं जब उन्हें शादी के लिये मजबूर किया गया. 25 साल की उम्र तक तक वो तीन बच्चों की माँ बन चुकी थीं. राबिया को कभी स्कूल जाने का अवसर नहीं मिला और करियर बनाने के बारे में तो वो सपने में भी नहीं सोच सकती थीं. उनका जीवन अपने पति के घर तक ही सीमित था.
लेकिन हालात तब बदले जब राबिया की भाभी, फरज़ाना बेगम ने राबिया के पति और ससुराल वालों को राबिया के घर से बाहर निकलने और दक्षिणी राज्य कर्नाटक के एक शहर, रायचूर में एक उद्यमिता जागरूकता कार्यक्रम में भाग लेने के लिये राज़ी कर लिया. अब रायचूर में एक सिलाई इकाई में काम कर रहीं राबिया बताती हैं, "तब मुझे अहसास हुआ कि मेरा भी करियर हो सकता है. मैं भी कुछ सीखकर अपने परिवार के लिये आय अर्जित कर सकती हूँ.”
यूएनडीपी भारत ने, साल 2023 के शुरू में, एसएपी लैब्स और कर्नाटक कौशल विकास निगम के साथ साझेदारी में एक दिन का उद्यमशीलता जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया, जिसके बाद रायचूर में एक सप्ताह का उद्यमिता विकास कार्यक्रम आयोजित किया गया.
यहाँ महिलाओं का बाहरी कामकाज करना असामान्य माना जाता है. लेकिन इसमें सैकड़ों महिलाओं ने नामांकन किया. कुछ अपनी योजनाएँ लेकर आए, वहीं कुछ को नई व्यावसायिक योजना से जोड़ा गया. फिर राबिया और फरज़ाना जैसी अनेक अन्य महिलाओं ने व्यवसायिक साझेदारों के साथ हाथ मिलाया.
दुल्हनों के ब्लाउज़ पर अलंकृत पारम्परिक मनका कढ़ाई करने वाली व एक किराना स्टोर चलाने वाली 30 वर्षीय फरज़ाना कहती हैं, "कार्यक्रम में हमें जीवन और बाज़ार कौशल सीखने को मिला. अब, मुझे मालूम है कि लाभ, हानि और लाभ-अलाभ बिन्दु की गणना कैसे करते हैं, बैंक ऋण के लिये आवेदन कैसे किया जाता है और अपने व्यवसाय के विस्तार; और उत्पादों की ब्रैंडिंग और पैकेजिंग के लिये क्या करना चाहिए. लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मैंने यह सीखा कि ख़ुद को कभी कम नहीं आँकना चाहिये. मेरे पास नवीन विचार हैं, और मैं व्यवसाय चला सकती हूँ.”
2021 में, UNDP और SAP लैब्स इंडिया ने कर्नाटक राज्य की साढ़े चार हज़ार से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया. उनमें से फरज़ाना जैसी 125 महिलाओं को ‘उन्नति सखी’ यानि ‘विकास के पथ पर उनकी मित्र’ नियुक्त किया गया था.
उन्नति सखी, महिला सलाहकारों का एक नैटवर्क है जो महिलाओं को करियर बनाने और व्यवसाय शुरू करने या बढ़ाने के लिये, प्रशिक्षण एवं परामर्श देती हैं. ये सखियाँ, अपने परिवारों और समाज से प्रताड़ना झेल रही महिलाओं को मनोवैज्ञानिक व भावनात्मक सहयोग भी प्रदान करती हैं.
भारत में दुनिया की सबसे कम महिला कार्यबल भागीदारी दर है और कोविड-19 ने स्थिति को बदतर बना दिया है. महिलाओं को अब भी अनेक बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें देखभाल की ज़िम्मेदारियों का अनुपातहीन बोझ, सुरक्षा और गतिशीलता की कमी व आमदनी वाले कामकाज के चयन में लैंगिक पूर्वाग्रह शामिल हैं.
उन्नति सखियाँ, इन्हीं महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि से आती हैं, इसलिये उनकी चुनौतियों को समझती हैं और उनकी मदद करने व उनके परिवार की अपेक्षाओं के अनुरूप काम करने में सक्षम होती हैं. उदाहरण के लिये, एक उन्नति सखी फ़रज़ाना ने, राबिया के ससुराल वालों को उसे कामकाज करने की अनुमति देने के लिये राज़ी कर लिया.
राबिया ने मार्च 2022 में, एक हज़ार रुपए (12 अमेरिकी डॉलर) की पहली आमदनी अर्जित करने के बाद, फ़रज़ाना की सलाह पर, एक सिलाई मोटर ख़रीदी. इससे अब उसे पैर से पैडल नहीं चलाने पड़ते हैं. मोटर, अलग-अलग गति पर, उसके काम को तेज़ी से करने में मदद करती है. आत्मविश्वास से भरी राबिया कहती हैं,“बच्चों के सो जाने के बाद, मैं देर तक बैग, तकिये के कवर और अन्य सामान सिलती हूँ. यह मेरे काम का समय है.”
उन्नति सखियाँ, कठोर परामर्श प्रशिक्षण से गुज़रती हैं और नई महिला उद्यमियों के लिये नव मार्ग प्रशस्त करती हैं.
उन्नति सखी का प्रशिक्षण लेने से पहले, तीस वर्षीय तैयाम्मा एक आशा कार्यकर्ता थीं. वह घर पर रोटी - चपाती बनाकर अपने दोपहिया वाहन पर ग्राहकों को पहुँचाती थीं. लेकिन प्रशिक्षण के बाद उन्होंने अपनी कैंटीन शुरू की. दो सप्ताह में ही उनकी कैंटीन मुनाफ़ा देने लगी. तैयाम्मा कहती हैं, "यदि आप अपने विकल्पों के बारे में जानते हों, तो आप कभी भी ग़रीब नहीं रहेगे." दो बच्चों की माँ, तैयाम्मा आज अपनी तरह के अन्य लोगों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करती हैं.
आत्मविश्वास ही वह धागा है जो इन महिलाओं को एक साथ बांधता है. आर्थिक रूप से सशक्त महिलाओं को, घर के फ़ैसलों में भी शामिल किया जाता है. इससे वो अपने परिवार के लिये बेहतर चुनाव करने में सक्षम होती हैं.
एक और उन्नति सखी, शशिकला, रायचूर की एकमात्र महिला ड्राइविंग प्रशिक्षक हैं. शहर में ड्राइविंग स्कूलों के एक नैटवर्क से जुड़ी, शशिकला,महिलाओं को स्कूटर चलाना सिखाती हैं और सुनिश्चित करती हैं कि उन्हें लाइसेंस मिल जाए. वह अपने ख़ाली समय में घर में मसाले कूटकर, ग्राहकों को बेचती हैं.
एक उन्नति सखी के रूप में, इस 45 वर्षीय महिला ने अन्य महिला उद्यमियों को खाद्य लाइसेंस प्राप्त करने, उनकी दुकानों को पंजीकृत करने, उत्पादों की बेहतर क़ीमत दिलवाने व आत्मविश्वास से ग्राहकों तक पहुँच बनाने में मदद की है. लेकिन उनका सबसे अहम काम ड्राइविंग प्रशिक्षक का रहता है.
"ड्राइविंग महिलाओं को ताक़त देती है. मैंने ट्रेनिंग के आख़िरी दिन महिलाओं को भावुक होते देखा है. कुछ अपने पतियों के साथ अपने कठिन सम्बन्धों के बारे में भी बताती हैं. वे अपने साथ बेहतर व्यवहार करवाने के संकल्प के साथ वापस जाती हैं. वह अच्छी तरह जानती हैं कि हर एक बदलाव, एक छोटी सी पहल से शुरू होता है.”
2020 से, यूएनडीपी भारत और एसएपी लैब्स इंडिया, अपने प्रोजेक्ट 'कोड उन्नति' के तहत, उद्यमशीलता और युवा नवाचार को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं. इस परियोजना का उद्देश्य, कर्नाटक के तीन ज़िलों - बेंगलूरु ग्रामीण, दक्षिण कन्नड़ और रायचूर में 20 हज़ार युवाओं एवं 5 हज़ार महिलाओं के लिए, उद्यमिता व रोज़गार के अवसरों तक पहुँच में सुधार करना है.
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