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प्रवासी दिवस: बेहतर अवसरों व गरिमामय जीवन के लिये एकजुटता पर बल

हिंसक टकराव, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव समेत अन्य संकट लोगों को जोखिमपूर्ण यात्राओं के लिये मजबूर कर रहे हैं.
© IOM/Claudia Rosel
हिंसक टकराव, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव समेत अन्य संकट लोगों को जोखिमपूर्ण यात्राओं के लिये मजबूर कर रहे हैं.

प्रवासी दिवस: बेहतर अवसरों व गरिमामय जीवन के लिये एकजुटता पर बल

प्रवासी और शरणार्थी

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने रविवार, 18 दिसम्बर, को ‘अन्तरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस’ के अवसर पर उन करोड़ों प्रवासियों के मानवाधिकारों की रक्षा व उनके लिये गरिमामय जीवन सुनिश्चित किये जाने की पुकार लगाई है, जो अवसरों, स्वतंत्रता और एक बेहतर जीवन की तलाश में अपना घर छोड़कर अन्य देशों का रुख़ करते हैं.    

हाल के वर्षों में, हिंसक टकराव व युद्ध, असुरक्षा और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कारण, बड़ी संख्या में लोगों को अपने देश की सीमाओं के भीतर या फिर अन्य देशों में जाने के लिये मजबूर होना पड़ा है.

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वर्ष 2020 में, 28 करोड़ से अधिक लोग अन्तरराष्ट्रीय प्रवासी थे, जबकि 2020 के अन्त तक, पाँच करोड़ 90 लाख लोग आन्तरिक रूप से विस्थापन का शिकार थे.  

विश्व भर में, 80 प्रतिशत से अधिक प्रवासी, सुरक्षित व व्यवस्थित ढँग से सीमाओं को पार करते हैं.

यूएन महासचिव ने बताया कि यह प्रवासन, आर्थिक प्रगति, गतिशीलता और पारस्परिक समझ का एक शक्तिशाली वाहक है.

“मगर, तस्करों के क्रूर दबदबे वाले जोखिमपूर्ण मार्गों पर नियामन के बिना बढ़ रहे प्रवासन की एक भयावह क़ीमत चुकाई जा रही है.”

पिछले आठ वर्षों से अधिक समय में, कम से कम 51 हज़ार प्रवासियों की मौत हो चुकी है और हज़ारों लोग लापता हैं.

महासचिव गुटेरेश ने क्षोभ प्रकट किया है कि हर एक संख्या के पीछे एक मनुष्य है – एक बहन, भाई, बेटी, पुत्र, माँ और पिता.

प्रवासी अधिकार हैं मानवाधिकार

“प्रवासी अधिकार, मानवाधिकार हैं. उनका बिना किसी भेदभाव के सम्मान किया जाना होगा, और बिना यह परवाह किये कि उनकी आवाजाही जबरन, स्वैच्छिक या फिर औपचारिक रूप से स्वीकृत थी.”

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने ज़ोर देकर कहा कि जीवन हानि की रोकथाम के लिये हरसम्भव क़दम उठाये जाने होंगे, और मानवतावादी होने के नाते यह एक अनिवार्यता है और एक नैतिक व क़ानूनी दायित्व भी.

“हमें खोज एवं बचाव प्रयासों और चिकित्सा देखभाल को प्रदान करना होगा.”

“हमें प्रवासन के लिये अधिकार-आधारित मार्गों का विस्तार व उनमें विविधता उत्पन्न करनी होगी, ताकि टिकाऊ विकास लक्ष्यों को आगे बढ़ाया जा सके और श्रम बाज़ार में क़िल्लत से निपटा जा सके.”

इस क्रम में, महासचिव गुटेरेश ने प्रवासियों के मूल स्थान वाले देशों में निवेश के लिये अन्तरराष्ट्रीय समर्थन बढ़ाए जाने की पुकार लगाई है, ताकि आवश्यकता के बजाए, प्रवासन एक विकल्प हो.

उन्होंने सचेत किया कि प्रवासन का कोई संकट नहीं है, बल्कि यह संकट, एकजुटता का है.

इसे ध्यान में रखते हुए, उन्होंने हर दिन साझा मानवता की रखवाली करने और सर्वजन के अधिकारों व गरिमा की रक्षा सुनिश्चित किये जाने का आहवान किया है.