यूक्रेन: मानवाधिकार हनन के मामलों की त्वरित जाँच, जवाबदेही तय किये जाने की मांग
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टूर्क ने कहा है कि यूक्रेन में अन्तरराष्ट्रीय मानव कल्याण और अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून के उल्लंघन के आरोपों की त्वरित जाँच, और गम्भीर हनन के दोषियों की निष्पक्ष व स्वतंत्र क़ानूनी प्रक्रिया के तहत जवाबदेही तय की जानी होगी. उन्होंने गुरूवार को मानवाधिकार परिषद में यूक्रेन में मानवाधिकारों की स्थिति पर एक रिपोर्ट को प्रस्तुत किया.
मानवाधिकार उच्चायुक्त ने गुरूवार को अपनी एक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जोकि रूसी सैन्य बलों द्वारा आम लोगों को बिना किसी सुनवाई के ही जान से मार दिये जाने और उन पर किये गए हमलों पर केन्द्रित हैं.
यूएन के शीर्ष अधिकारी ने मानवाधिकार परिषद को बताया कि उनकी यूक्रेन यात्रा एक सप्ताह पहले समाप्त हो गई थी, मगर, वहाँ के भयावह हालात और आमजन की पीड़ा अब भी उनके साथ हैं.
“मौतें. बिखरी हुई ज़िंदगियाँ. उठापठक का शिकार परिवार.”
At the @UN Human Rights Council, High Commissioner @volker_turk presented the findings of the @UNHumanRights report on the human rights situation in #Ukraine.
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UN_HRC
यूएन कार्यालय प्रमुख के अनुसार एक करोड़ 80 लाख लोगों को मानवीय सहायता की आवश्यकता है. 78 लाख से अधिक लोग देश छोड़ कर जा टुके हैं और 65 लाख आन्तरिक रूप से विस्थापित हुए हैं.
वोल्कर टूर्क ने कहा कि इस युद्ध में अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार व मानव कल्याण क़ानूनों के गम्भीर हनन के मामले बदस्तूर जारी हैं.
यूक्रेन में युद्ध के वैश्विक स्तर पर दुष्परिणाम हुए हैं, आर्थिक अनिश्चितताएँ गहरी हुई हैं, खाद्य सुरक्षा व जीवन-व्यापन के संकट से लोगों के समक्ष विकट परिस्थितियाँ पैदा हुई हैं और दक्षिण गोलार्द्ध में स्थित विकासशील देशों में हालात सर्वाधिक चिंताजनक हैं.
हनन के गम्भीर मामले
बताया गया है कि यूक्रेन की कीयव, चेरनिहीव और सूमी क्षेत्रों में स्थित 102 गाँवों व नगरों में 24 फ़रवरी से 6 अप्रैल के दौरान ये मामले दर्ज किये गए.
इन तीन इलाक़ों से रूसी सैन्य बलों की वापसी के बाद प्रत्यक्षदर्शियों, जीवित बच गए लोगों से बातचीत, और अन्य स्रोतों से प्राप्त जानकारी के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई है.
रिपोर्ट में 441 आम नागरिकों को जान से मार दिये जाने की बात कही गई है: 341 पुरुष, 72 महिलाएँ, 20 लड़के, 8 लड़कियाँ.
यूएन के शीर्ष अधिकारी ने आशंका जताई है कि मृतकों का वास्तविक आँकड़ा इससे कहीं अधिक हो सकता है, चूँकि इन क्षेत्रों में अनेक ऐसे मामलों में तथ्य जुटाए जा रहे हैं.
इसके साथ-साथ, खारकीव और खेरसॉन के कुछ हिस्सों के यूक्रेन के नियंत्रण में आने के बाद वहाँ ऐसी घटनाओं के सिलसिले में जानकारी एकत्र की जा रही है.
रिपोर्ट के अनुसार, कुछ मामलों में रूसी सैनिकों ने अस्थाई हिरासत केन्द्रों में आम लोगों की हत्या की, जबकि अन्य को सुरक्षा जाँच के बाद घरों, दरवाज़े के पास या घर के प्रांगण में मार दिया.
युद्धापराध की आशंका
वोल्कर टूर्क ने कहा कि पीड़ितों ने यह स्पष्टता से दर्शाया था कि वे कोई ख़तरा नहीं हैं, और अपने हाथ भी हवा में ऊपर किये, इसके बावजूद उन्हें मार दिया गया.
उन्होंने आगाह किया कि यह एक मज़बूरत संकेत है कि रिपोर्ट में उल्लिखित ये मामले जानबूझकर हत्या किये जाने के युद्धपराध की श्रेणी में रखे जा सकते हैं.
बूचा सर्वाधिक प्रभावित नगर था, जहाँ 4 से 30 मार्च के दौरान 73 आम नागरिकों को मारे जाने की जानकारी जुटाई गई है.
याबलून्स्का सड़क पर 150 मीटर के दायरे में 14 आम नागरिकों की गोली मार कर हत्या कर दी गई और उन्हें वहीं छोड़ दिया गया. बूचा में ऐसे 105 अन्य मामलों की जाँच की जा रही है.
वोल्कर टूर्क के अनुसार उनकी टीम ने अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार और मानव कल्याण क़ानून के हनन के उन सभी मामलों पर ध्यान केन्द्रित किया है, जिनसे आम लोग व युद्धक प्रभावित हुए हैं.
इनमें मनमाने ढँग से हिरासत में लिये जाने, जबरन गुमशुदगी, यातना व बुरे बर्ताव और हिंसक टकराव सम्बन्धी यौन हिंसा के मामले हैं.
बुनियादी ढाँचे को गम्भीर क्षति
यूक्रेन में महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे, ऊर्जा संयंत्रों, जल-विद्युत स्टेशन पर मिसाइल हमले किये गए हैं, जिनकी वजह से कठोर सर्दी में लाखों लोगों के लिये जोखिम बढ़ा है.
परिवारों, व्यवसायों, अस्पतालों और स्कूलों समेत एक करोड़ से अधिक उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति में अवरोध से जूझना पड़ रहा है, जबकि लाखों लोगों के पास नियमित जल आपूर्ति व तापन व्यवस्था का अभाव है.
मानवाधिकार उच्चायुक्त ने आशंका जताई है कि ऐसे और हमलों से मानवीय संकट बद से बदतर होने और बड़े पैमाने पर विस्थापन होने का जोखिम है, इसलिये उन्होंने युद्धरत पक्षों से अन्तरराष्ट्रीय मानव कल्याण का पूर्ण सम्मान किये जाने की अपील की है.
वोल्कर टूर्क ने कहा कि यूक्रेन में युद्ध के पीड़ितों और जीवित बचे लोगों की सहायता के लिये मुआवज़े व सहायता कार्यक्रमों को तैयार करने में अन्तरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा मदद प्रदान की जानी होगी.