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लैंगिक समता ही, लैंगिक समानता के लिए एक मात्र मार्ग, एंतोनियो गुटेरेश

दक्षिण अफ़्रीकी महिला शान्तिरक्षक, जिन्होंने दारफ़ूर में यूएन - अफ़्रीकी संघ के मिशन में अपने सेवाएँ दीं.
UN Photo/Albert González Farran
दक्षिण अफ़्रीकी महिला शान्तिरक्षक, जिन्होंने दारफ़ूर में यूएन - अफ़्रीकी संघ के मिशन में अपने सेवाएँ दीं.

लैंगिक समता ही, लैंगिक समानता के लिए एक मात्र मार्ग, एंतोनियो गुटेरेश

यूएन मामले

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने सोमवार को कहा है कि लैंगिक समानता का मुद्दा, अनिवार्य रूप से शक्ति का एक सवाल है, मगर पुरुष प्रधान संस्कृति को बदलने और सन्तुलन लाने के लिए, हमें नेतृत्व, निर्णय-निर्माण और सभी स्तरों पर भागेदारी के मामलों में समता की दरकार है.

यूएन महासचिव ने लैंगिक समता पर यूएन मित्र समूह की एक बैठक में अपने विचार व्यक्त करते हुए ये बात कही. ये बैठक यूएन प्रमुख की लैंगिक समता रणनीति की पाँचवीं वर्षगाँठ मनाने के लिये आयोजित की गई थी. ये रणनीति, इस पद पर उनके पहले कार्यकाल की एक प्रमुख प्राथमिकता थी, और दूसरे कार्यकाल के दौरान भी है.

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यूएन प्रमुख ने कहा, “संयुक्त राष्ट्र के लिये यह अति महत्वपूर्ण है कि वो उन मूल्यों का प्रतिनिधित्व करे, वो जिनका समर्थन करता है – मूल्य, जो यूएन चार्टर में निहित हैं – और उदाहरण के ज़रिये नेतृत्व करे. हमारे कर्मचारियों में लैंगिक समता ही, हमारे कामकाज में लैंगिक समानता हासिल करने का एक मात्र रास्ता है.”

ठोस प्रगति

उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर हमने एक लम्बा रास्ता तय किया है, और कुछ मामलों में तो पहली सफलताएँ हासिल की हैं, जैसेकि वरिष्ठ नेतृत्व समूह के भीतर समता, जोकि यूएन के इतिहास में पहली बार हुआ, दो वर्ष पहले.

यही बात शान्ति अभियानों के प्रमुखों और उप प्रमुखों के मामले में सही है. पाँच वर्ष पहले, इन भूमिकाओ में महिलाओं का अनुपात केवल 25 प्रतिशत था.

130 रैज़िडैंट कोऑर्डिनेटर्स (RCOs) के बीच 2018 में समता हासिल की गई, और मुख्यालय स्थलों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व समता पर पहुँच गया है, साथ ही, महिलाओं की कम से कम 50 प्रतिशत संख्या वाली यूएन संस्थाओं की संख्या, पाँच से बढ़कर 26 हो गई है.

अन्दर अब भी मौजूद है

हालाँकि उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि, “इसके बावजूद अब भी अन्तर मौजूद हैं.”

उन्होंने कहा कि मुख्य कार्यालयों से दूर, मानवीय सहायता और शान्तिरक्षा अभियानों में, “प्रगति धीमी रही है, और कुछ मामलों में तो, हम पीछे की तरफ़ चले हैं.”

“हमें फ़ील्ड के लिये यूएन सचिवालय में, आरम्भिक स्तर पर महिलाओं की भर्ती में कमी पर विशेष रूप से चिन्तित होना चाहिये. इस स्थिति के, भविष्य में समता हासिल करने की सम्भावनाओं पर गम्भीर प्रभाव हो सकते हैं.”

सचिवालय के कुल स्टाफ़ में, प्रोफ़ेशनल ग्रेड्स में, 2025 तक समता हासिल करने के निकट पहुँचना चाहिये, जोकि समय सीमा से तीन वर्ष पहले होगा, मगर वो आँकड़ा, इस तथ्य को छुपाए हुए है कि फ़ील्ड में समता हासिल करने में 2028 तक का समय लगेगा.

इसका मतलब है कि सम्पूर्ण रणनीति को, अब फ़ील्ड में टिकाऊ प्रगति हासिल करने पर ध्यान केन्द्रित करना होगा.

प्रतिभा पाइपलाइन

यूएन प्रमुख ने कहा, “हम वरिष्ठ महिला प्रतिभा पाइपलाइन को समर्थन देना जारी रखेंगे, जिसकी बदौलत, वर्ष 2014 के बाद से लगभग 60 वरिष्ठ महिलाओं की नियुक्ति सम्भव हुई है, और उनमें से ज़्यादातर नियुक्तियाँ फ़ील्ड में थीं.”

एंतोनियो गुटेरेश ने कहा, “और ये एक ऐसा क्षेत्र है जिसके लिये महासभा की स्वीकृति की आवश्यकता है, और मैं इस सम्बन्ध में, मित्रों के इस समूह पर अपनी उम्मीद टिकाए हुए हूँ, क्योंकि फ़ील्ड में प्रोफ़ेशनल भूमिकाओं में महिलाओं की नियुक्ति के लिये ये एक अहम उपकरण है.”

उन्होंने कहा कि कामकाजी स्थान की संस्कृति को भी आगे बढ़ना होगा. और अगर दकियानूसी व कामकाजी पूर्वाग्रहों, यौन पूर्वाग्रह और नस्लभेद को बेक़ाबू ही छोड़ दिया गया, तो “हम उन लोगों की नज़र में नाकाम होंगे, हम जिनकी सेवा करते हैं.”

यूएन महासचिव ने कहा कि वो यौन उत्पीड़न के साथ-साथ, सभी तरह के भेदभाव का अन्त करने के लिये, क़दम आगे बढ़ाने के लिये प्रतिबद्ध हैं.

बेहतरी के लिये गुंजाइश

यूएन प्रमुख ने बेहतरी के लिये तीन क्षेत्रों की पहचान की. प्रथम, लैंगिक व भौगोलिक विविधता पर, अनुपूरक लक्ष्यों के रूप में ध्यान. “सचिवालय में अफ़्रीका क्षेत्र से केवल 36 प्रतिशत महिलाएँ प्रोफ़ेशनल स्टाफ़ हैं और इस स्थिति को बदलना होगा.”

उन्होंने कहा कि द्वितीय, “हम फ़ील्ड मिशनों में महिलाओं की भर्ती करने के प्रयास और मज़बूत करेंगे”, और तृतीय, “संयुक्त राष्ट्र को, ख़ुद को महिलाओं के लिये और ज़्यादा आकर्षक रोज़गार दाता या नियोक्ता के बनाने के लिये, नीतियाँ व उपकरण दोगुने करने होंगे.”

“हम विशेष रूप में वैश्विक दक्षिण के सदस्य देशों और सिविल सोसायटी के साथ मिलकर, ये सुनिश्चित करने के लिये काम करना जारी रखेंगे, कि हमारे कामकाजी बल में तमाम देशों और समुदायों का प्रतिनिधित्व हो, हमारे संगठन के सभी स्तरों पर.”

उन्होंने दोहराते हुए कहा कि हम जिन लोगों की सेवा करते हैं उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिये, और सर्वजन के लिये एक ज़्यादा टिकाऊ, न्यायसंगत, समावेशी, शान्तिपूर्ण और समृद्ध विश्व की ख़ातिर, लैंगिक समता अनिवार्य है.