वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

प्रकृति-आधारित समाधानों के लिये न्यायसंगत नीतियाँ, दो करोड़ रोज़गारों का सृजन सम्भव

ज़ाम्बिया में कुछ महिलाएँ एक हरित केन्द्र में काम कर रही हैं, जिसे सब्ज़ियों की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिये बनाया गया है. (फ़ाइल 2015)
ILO/Marcel Crozet
ज़ाम्बिया में कुछ महिलाएँ एक हरित केन्द्र में काम कर रही हैं, जिसे सब्ज़ियों की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिये बनाया गया है. (फ़ाइल 2015)

प्रकृति-आधारित समाधानों के लिये न्यायसंगत नीतियाँ, दो करोड़ रोज़गारों का सृजन सम्भव

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, प्रकृति को समर्थन देने और जलवायु परिवर्तन, आपदा जोखिम, खाद्य असुरक्षा व अन्य विशाल चुनौतियों से निपटने पर केन्द्रित नीतियों में निवेश के माध्यम से, दो करोड़ रोज़गार सृजित किये जा सकते हैं.

यह रिपोर्ट अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO), संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और प्रकृति संरक्षण के लिये अन्तरराष्ट्रीय संघ (IUCN) ने कैनेडा के माँट्रियाल शहर में जारी, यूएन जैवविविधता सम्मेलन (कॉप15) के दौरान जारी की है.   

Decent Work in Nature-based Solutions’ नामक इस रिपोर्ट में प्रकृति-आधारित समाधानों में शिष्ट एवं उपयुक्त रोज़गार की अहमियत को रेखांकित किया गया है.

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विशेषज्ञों का मानना है कि अर्थव्यवस्था को न्यायसंगत और समावेशी ढंग से हरित बनाया जाना होगा, ताकि सर्वजन के लिये अर्थपूर्ण कामकाज के अवसर सृजित किये जा सकें.

प्रकृति-आधारित समाधानों का लक्ष्य जल एवं समुद्री पारिस्थितिकी तंत्रों के संरक्षण, पुनर्बहाली और सतत प्रबन्धन को बढ़ावा देना है, ताकि मानव-कल्याण, पारिस्थितिकी सुदृढ़ता और जैवविविधता से प्राप्त होने वाले लाभ प्रदान किये जा सकें.  

फ़िलहाल, प्रकृति-आधारित समाधानों से क़रीब साढ़े सात करोड़ लोगों को रोज़गार मिला हुआ है, जिनमें से 96 फ़ीसदी लोग, एशिया-प्रशान्त क्षेत्र और निम्नतर मध्य-आय वाले देशों में रहते हैं.

हालाँकि वैश्विक स्तर पर प्रकृति-आधारित समाधानों पर सर्वाधिक व्यय उच्च-आय वाले देशों में किया जाता है.

इस क्षेत्र में अनेक रोज़गार आंशिक हैं, जोकि कुल मिलाकर एक करोड़ 45 लाख पूर्णकालिक रोज़गारों के समतुल्य हैं.  

रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि प्रकृति-आधारित समाधानों में रोज़गारों का आकलन करना चुनौतीपूर्ण है, और उनमें रोज़गार हानि व इन समाधानों को लागू किये जाने की वजह से, विस्थापनों की सही स्थिति का अन्दाज़ा नहीं लग पाता है.

रोज़गार स्थिति

प्रकृति-आधारित समाधानों में अधिकांश कार्य निम्न और निम्नतर-मध्य आय वाले देशों – क्रमश: 98 और 99 फ़ीसदी - में होता है, मुख्यत: कृषि व वन सैक्टर में.  

ऊपरी-मध्य आय वाले देशों में यह घटकर 42 प्रतिशत रह जाता है, और उच्च आय वाले देशों में यह आँकड़ा 25 प्रतिशत है.

जिन औद्योगिक देशों में कृषि उत्पादकता अधिक है, वहाँ प्रकृति-आधारित समाधान मुख्य रूप से पारिस्थितिकी तंत्रों की पुनर्बहाली और प्रकृति संसाधन प्रबन्धन में केन्द्रित हैं.

उच्च आय वाले देशों में सार्वजनिक सेवाएँ, प्रकृति-आधारित समाधानों में 37 प्रतिशत योगदान करती हैं.

बताया गया है कि 2030 तक, प्रकृति-आधारित समाधानों में निवेश को तीन गुना करने से, दो करोड़ रोज़गार सृजित किये जा सकते हैं, जोकि जैवविविधता को हासिल करने, भूमि पुर्नबहाली और जलवायु लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में एक बड़ा क़दम होगा.

न्यायसंगत नीतियों पर बल

रिपोर्ट में इन समाधानों की दिशा में न्यायोचित बदलाव की नीतियों की पुकार लगाई गई है, जिसके तहत प्रकृति-आधारित उद्यमों और सहकारी संस्थाओं को समर्थन देने सहित, उपयुक्त कौशल विकास पर बल दिया जाना अहम होगा.

साथ ही, प्रकृति-आधारित समाधानों को यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना होगा, और उन नीतियों में भी जोकि अन्तरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय श्रम मानकों के अनुरूप हों, जैसेकि न्यूनतम आय स्तर, कामकाजी सुरक्षा व स्वास्थ्य.

रिपोर्ट बताती है कि संक्रमण के दौर में रोज़गार और आजीविका पर जोखिमों के दंश को कम करने के लिये, अधिक टिकाऊ तौर-तरीक़ों की आवश्यकता होगी.