समुन्दर के समक्ष ख़तरों के बीच, 'समुद्र का क़ानून' और भी ज़्यादा प्रासंगिक

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने गुरूवार को कहा है कि 40 वर्ष पहले, दुनिया के ज़्यादातर देशों ने समुद्र के क़ानूनों पर जिस यूएन कन्वेन्शन को स्वीकृत किया था, वो समन्दर नामक एक विशाल सामूहिक ख़ज़ाने में शासन व व्यवस्था लागू करने के लिए बहुत अहम है.
यूएन महासचिव ने इस यूएन कन्वेन्शन की स्वीकृति के 40 वर्ष पूरे होने के अवसर पर, यूएन महासभा की एक प्रमुख बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा, “समन्दर जीवन है. समन्दर आजीविकाएँ है और समन्दर इतिहास व संस्कृतियों में मानवता को एक साथ बांधता है.”
The ocean is life.
Governments, industries and investors should make conservation, protection and climate resilience a top priority. https://t.co/Af3G5XA3bI
antonioguterres
इस यूएन कन्वेन्शन के महत्वपूर्ण प्रावधानों में, विश्व भर के मत्स्य जीवन के संरक्षण के साथ-साथ समुद्री सुरक्षा, किसी राष्ट्र की भूमि सीमा से 200 समुद्री मील तक के समन्दर में संसाधनों का अधिकार, और अन्तरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में खनिज सम्बन्धी गतिविधियों की बढ़ती महत्ता, व उनके टिकाऊ व समान प्रबन्धन के मुद्दे भी शामिल है.
यूएन प्रमुख ने आगाह करते हुए कहा, “आज हम यहाँ एकत्र हैं तो, ये कन्वेन्शन पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है. समन्दर की स्थिति बेहद ख़राब है.”
उन्होंने कहा कि दुनिया भर के मत्स्य जीवन के 35 प्रतिशत से ज़्यादा हिस्से का शोषण हो रहा है. समुद्री स्तर बढ़ रहा है और जलवायु संकटों के जारी रहते हुए, समन्दर का अम्लीकरण बढ़ रहा है और प्रदूषण से उसका दम घुट रहा है.
प्रवाल भित्तियों का रंग उड़ रहा है, अभूतपूर्व बाढ़ों ने हर जगह तटवर्ती शहरों के लिये जोखिम उत्पन्न कर दिया है, और जो लोग समन्दर आधारित उद्योगों में काम करते हैं, उन्हें सुरक्षित व समर्थन वाली कामकाजी परिस्थितियाँ नहीं मिल रही हैं, जिनकी उन्हें ज़रूरत है और जो उनका अधिकार भी है.
यूएन प्रमुख ने इस सम्मेलन के प्रतिभागियों से कहा कि अधिक महत्वाकांक्षा की दरकार है और इस वर्षगाँठ को, वर्तमान की चुनौतियों से निपटने के लिये एक अहम उपकरण के रूप में इसका प्रयोग जारी रखने के लिये, एक यादगार के रूप में समझा जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि मत्स्य जीवन अनुदानों पर हाल ही में अपनाए गए समझौते को तेज़ी से स्वीकृत किया जाना होगा, जिससे ये सुनिश्चित किया जा सके कि समन्दर की तरफ़ तमाम नीतियाँ सर्वश्रेष्ठ विज्ञान के साथ-साथ, सर्वश्रेष्ठ आर्थिक व सामाजिक विशेषज्ञता से प्रेरित हों.
एंतोनियो गुटेरेश ने कहा, “अब सटीक समय है – लाभ और समन्दर की सुरक्षा के बीच मौजूद झूठे विरोधाभास को समाप्त करने का.”
उन्होंने साथ ही कहा कि अगर हम समन्दर को, भविष्य की पीढ़ियों के लिये सुरक्षित रखने में नाकाम रहते हैं तो, किसी के लिये भी कोई लाभ नहीं बचेगा.
यूएन प्रमुख ने कहा कि देशों की सरकारों को ऐसी नीतियाँ व क़ानून बनाने होंगे जो सुरक्षा व संरक्षण को प्राथमिकता पर रखें. साथ ही समुद्री उद्योगों व निवेशकों को, संरक्षण, सुरक्षा और जलवायु सहनक्षमता, व कामगारों की सुरक्षा को शीर्ष वरीयता देनी होगी.
सच्ची यूएन सफलता दास्ताँ
यूएन महासभा के अध्यक्ष कोसाबा कोरोसी ने वर्षगाँठ बैठक को याद दिलाया कि इस कन्वेन्शन को बहुत से लोग, “समुद्रों के संविधान” के रूप में भी जानते हैं.
उन्होंने कहा कि समुन्दर पर यूएन कन्वेन्शन (UNCLOS) की प्रासंगिकता का सदाबहार तथ्य, यूएन सफलता की एक दास्ताँ है. इस दस्तावेज़ को बहुपक्षवाद की प्रभावशीलता का एक सटीक उदाहरण माना जा सकता है.
यूएन महासभा अध्यक्ष ने कहा कि अनगिनत प्रजातियाँ और सघन जैवविविधता, समुद्रों के बढ़ते तापमान के बीच, विलुप्ति के जोखिम का सामना कर रही हैं.
“जलवायु संकट वैसे तो सम्पूर्ण मानवता के लिये जोखिम उत्पन्न कर रहा है, समन्दर के सन्दर्भ में, लघु द्वीप विशेष रूप से ख़तरे में हैं और उनके सामने भी उनके अस्तित्व का जोखिम है.”
उन्होंने जून 2022 में, यूएन समुद्र सम्मेलन का आयोजन करने के लिये, पुर्तगाल और केनया की सराहना की, जिसमें स्वास्थ्य, पारिस्थितिकी, अर्थव्यवस्था और प्रशासन के लिये प्रमुख ख़तरों पर विचार किया गया था.