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एशिया व प्रशान्त क्षेत्र: स्वास्थ्य सैक्टर में निवेश के लिये चुनौतियाँ, नई रिपोर्ट

थाईलैंड के एक संस्थान में एक स्वास्थ्यकर्मी काम करते हुए.
UN Women/Pathumporn Thongking
थाईलैंड के एक संस्थान में एक स्वास्थ्यकर्मी काम करते हुए.

एशिया व प्रशान्त क्षेत्र: स्वास्थ्य सैक्टर में निवेश के लिये चुनौतियाँ, नई रिपोर्ट

आर्थिक विकास

एशिया व प्रशान्त क्षेत्र के लिये संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक आयोग (UNESCAP) की एक नई रिपोर्ट दर्शाती है कि कोविड-19 महामारी ने स्वास्थ्य सैक्टर में गम्भीर दरारें उजागर कर दी हैं और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में गिरावट दर्ज की गई है.

Asia-Pacific Trade and Investment Trends 2022/2023नामक रिपोर्ट के अनुसार एशिया-प्रशान्त में स्वास्थ्य सैक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 45 प्रतिशत की गिरावट आई है.

यह आँकड़ा वर्ष 2019 और 2020 के लिये दर्ज किया गया है, मगर 2022 में भी यह रुझान जारी रहा और साल की पहली तीन तिमाहियों में 34 प्रतिशत की गिरावट देखी गई.

यूएन आयोग ने बताया कि वर्ष 2008 से 2021 के दौरान, औषधि निर्माण उद्योग ने सबसे अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (32 अरब डॉलर) आकर्षित किया, जोकि मेडिकल उपकरणों (20 अरब डॉलर), जैव टैक्नॉलॉजी (17 अरब डॉलर) और स्वास्थ्य देखभाल के अन्य सह-क्षेत्रों (10 अरब डॉलर) से कहीं अधिक है.

इस अवधि में निवेश करने वाले देशों के मामले में अमेरिका पहले स्थान पर है, जिसके बाद स्विट्ज़रलैंड, जापान, जर्मनी और फ्रांस का स्थान है.

चीन को सबसे अधिक निवेश प्राप्त हुआ और इसकी मात्रा 33 अरब डॉलर थी, जिसके बाद भारत (14 अरब), सिंगापुर, (9 अरब) और मलेशिया (5 अरब) हैं.

एशिया-प्रशान्त क्षेत्र में ग्रीनफ़ील्ड निवेश के मामले में सुदृढ़ता बनी हुई है और भूराजनैतिक व आर्थिक दबावों के बावजूद वर्ष 2022 में इसमें छह प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई.

ग्रीनफ़ील्ड निवेश, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का एक ऐसा प्रकार है, जिसमें एक मूल कम्पनी एक अलग देश में सहायक कम्पनी स्थापित करती है.

यह पहली बार है, जब भारत ने इस प्रकार के निवेश के लिये चीन को पीछे छोड़ दिया है.

श्रीलंका, भूटान, ब्रूनेई, तिमोर-लेस्ते और थाईलैंड समेत इस क्षेत्र में स्थित अनेक देशों ने, अपने मुख्य नीति उद्देश्य के रूप में स्वास्थ्य सैक्टर में निवेश किया है.

मगर, उनके लिये कुछ अहम चुनौतियाँ अब भी बरक़रार हैं, जैसेकि गुणवत्तापरक निवेश की मात्रा को आकर्षित कर पाने की सीमित क्षमता का होना.

इसकी एक बड़ी वजह क्षेत्रीय और घरेलू निवेश के कमज़ोर पारिस्थितिकी तंत्र, ख़राब बुनियादी ढाँचे और पूंजी, टैक्नॉलॉजी व कौशल का अभाव है.

सहयोग व संकल्प

यूएन आयोग की कार्यकारी सचिव और अवर महासचिव अरमिदा सालसियाह अलीसहबाना ने कहा, “क्षेत्रीय सहयोग और निवेश के लिये खुले मन के साथ राजनैतिक प्रतिबद्धता, अर्थव्यवस्थाओं के बेहतर पुनर्निर्माण और प्रत्यक्ष विदेश निवेश की सम्भावनाओं को सँवारने में मददगार होगी.”

नवीनतम रिपोर्ट का उद्देश्य नीतिनिर्धारकों को अल्प - से मध्यम - अवधि की योजनाएँ विकसित करने के लिये समर्थन प्रदान करना है, ताकि उभरते जोखिमों के असर को कम किया जा सके और वैश्विक व क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं में व्याप्त अनिश्चितताओं पर पार पाई जा सके.

इसके अलावा, इस तथ्य की ओर भी ध्यान आकर्षित किया गया है कि अधिमान्य व्यापार समझौतों (Preferential Trade Agreements) में क्षेत्र का सबसे अधिक योगदान है, जोकि विश्व भर का आधा है.

बताया गया है कि इन व्यापार समझौतों का आकार बड़ा होता गया है, उनका रूप डिजिटल हुआ है और टिकाऊ विकास लक्ष्यों व ज़रूरतों पर विशेष रूप से ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है.