योरोपीय क्षेत्र: बड़ी ज़रूरतमन्द आबादी के लिए पुनर्वास स्वास्थ्य देखभाल का अभाव

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने मंगलवार को एक रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसके अनुसार योरोप व मध्य एशिया के देशों में वृद्धजन की आबादी तेज़ी से बढ़ रही है, और उसके साथ ही लम्बे समय से स्वास्थ्य दरकार वाली अवस्थाओं में जीवन गुज़ार रहे लोगों की संख्या बढ़ी है.
योरोपीय क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले 53 सदस्य देशों में पुनर्वास देखभाल से प्राप्त होने वाले लाभों के प्रति जागरूकता का अभाव, उसकी लागत के प्रति जानकारी की कमी, मौजूदा आवश्यकताओं को पूरा ना कर पाने का एक बड़ा कारण है.
Many countries in the WHO EU Region offer limited rehabilitation services and many people do not receive the rehabilitation services they need.
This new report summarizes the need for rehabilitation in each of the Region’s 53 Member States.
WHO_Europe
आयु बढ़ने, लम्बे समय से चली आ रही बीमारियों या फिर चोट लगने व सदमे का शिकार होने की वजह से लोगों के जीवन की गुणवत्ता सीमित हो सकती है.
पुनर्वास देखभाल के ज़रिये इन स्वास्थ्य अवस्थाओं में जीवन गुज़ार रहे लोगों के लिये दैनिक जीवन में समर्थन सुनिश्चित किया जा सकता है.
रिपोर्ट के अनुसार, पुनर्वास देखभाल के ज़रूरतमन्दों की अधिकाँश आबादी को देखभाल मुहैया नहीं हो पा रही है.
इस वजह से स्वस्थ जीवन के चार करोड़ 90 लाख वर्ष बर्बाद होने की आशंका है.
इसके अलावा, योरोपीय क्षेत्र के कुछ हिस्सों में पुनर्वास पेशेवरों की गम्भीर कमी है, जिससे लोगों को यह देखभाल उपलब्ध नहीं हो पाती है.
योरोपीय क्षेत्र में पुनर्वास देखभाल की आवश्यकता के लिये निम्न अवस्थाएँ सबसे आम कारण हैं: कमर के निचले हिस्से में दर्द, हड्डी टूटना, श्रवण या देखने की क्षमता पर असर, मनोभ्रंश इत्यादि.
जैसे-जैसे ये स्वास्थ्य अवस्थाएँ लोगों के जीवन और उनकी कामकाज करने की क्षमता को प्रभावित करती हैं, देशों को आर्थिक उत्पादकता को पहुँचने वाली क्षति के कारण करोड़ों डॉलर की हानि के साथ-साथ निर्धनता व बेरोज़गारी का भी सामना करना पड़ता है.
योरोपीय क्षेत्र के लिये यूएन स्वास्थ्य एजेंसी में निदेशक डॉक्टर हैन्स क्लूगे ने कहा, “पुर्नवास एक अति आवश्यक स्वास्थ्य सेवा है, जोकि हर एक ज़रूरतमन्द को उपलब्ध होनी चाहिए, स्वास्थ्य देखभाल के हर स्तर पर.”
“कोई क़दम ना उठाए जाने से देशों के लिए, लोगों के अवसरों पर पाबन्दी और आर्थिक उत्पादकता को सीमित करने का जोखिम है, चूँकि इतनी बड़ी संख्या में लोग समाज में योगदान के लिए असमर्थ हो जाते हैं.”
पुनर्वास देखभाल में प्राथमिक तौर पर स्वास्थ्य ज़रूरत वाली अवस्था के साथ जीवन गुज़ार रहे व्यक्ति के लिए, दैनिक जीवन को बेहतर बनाना और उन्हें अपने काम करने के लिए समर्थ बनाना प्राथमिकता है.
माँसपेशियों में कमज़ोरी, दर्द और चलने-फिरने समेत अन्य गतिविधियाँ सीमित हो जाने से रोज़मर्रा का जीवन कठिन हो सकता है.
यूएन एजेंसी का कहना है कि इस क्षेत्र में प्रगति हुई है मगर पुनर्वास देखभाल व्यापक तौर पर उपलब्ध कराए जाने के लिए अभी और प्रयास किए जाने होंगे.
तथ्य दर्शाते हैं कि पुनर्वास सम्बन्धी गतिविधियाँ किफ़ायती हैं, और उनसे अन्य स्वास्थ्य सहायता कार्यक्रमों के लिये सर्वोत्तम उपाय हासिल किए जा सकते हैं.
पुनर्वास देखभाल की सुलभता के ज़रिए, सर्वजन के स्वास्थ्य के अधिकार को साकार किया जा सकता है.
कुछ देशों में यह आपात देखभाल स्थलों पर मुहैया कराई गई है और दीर्घकालीन देखभाल की आवश्यकता वाले लोगों को समर्थन देने के लिये ठोस उपाय किए गए हैं.
विशेषज्ञों के अनुसार, पुनर्वास सेवाओं को प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल, अस्पतालों, विशेषीकृत स्वास्थ्य स्थलों पर उपलब्ध कराया जाना चाहिए, जहाँ लम्बी अवधि की बीमारियों का अक्सर उपचार किया जाता है. साथ ही, घरों व स्कूलों समेत अन्य सामुदायिक स्थल भी एक विकल्प हो सकता है.