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'आतंकवाद निरोधक समिति के दिल्ली घोषणा-पत्र के अनुरूप सिफ़ारिशें जल्द'

संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि रुचिरा काम्बोज ने दिसम्बर महीने के लिये सुरक्षा परिषद के एजेंडे पर न्यूयॉर्क में पत्रकारों को जानकारी दी.
UN Photo/Manuel Elias
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि रुचिरा काम्बोज ने दिसम्बर महीने के लिये सुरक्षा परिषद के एजेंडे पर न्यूयॉर्क में पत्रकारों को जानकारी दी.

'आतंकवाद निरोधक समिति के दिल्ली घोषणा-पत्र के अनुरूप सिफ़ारिशें जल्द'

क़ानून और अपराध रोकथाम

सुरक्षा परिषद की आतंकवाद निरोधक समिति ने अक्टूबर 2022 में भारत में हुई विशेष बैठक में अपनाए गए दिल्ली घोषणा-पत्र के अनुरूप आगे के क़दमों पर, हाल ही में एक खुली चर्चा का आयोजन किया है, जिसमें बताया गया कि अगले तीन सप्ताह के दौरान महत्वपूर्ण सिफ़ारिशें तैयार की जाएंगी.

भारत के मुम्बई और नई दिल्ली शहरों में हुई उस विशेष बैठक में, आतंकवादी उद्देश्यों के लिए नवीन और उभरती प्रौद्योगिकियों का मुक़ाबला करने के मुद्दे पर चर्चा की गई थी.

आतंकवाद निरोधक समिति की अध्यक्षता, इस समय भारत के पास है और इस समय संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि राजदूत रुचिरा काम्बोज इस ज़िम्मेदारी को संभाल रही हैं.

उन्होंने गुरूवार, दो दिसम्बर को न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में इस मुक्त बैठक में कहा कि दिल्ली घोषणा-पत्र में शामिल कार्रवाई बिन्दुओं में, उस विशेष बैठक के तीन प्रमुख विषयों पर सिफ़ारिशें तैयार किए जाने का निर्णय भी शामिल है.

उन्होंने कहा, “हम ये सिफ़ारिशें अगले तीन सप्ताहों में तैयार करने का इरादा रखते हैं.”

समिति अध्यक्ष ने बताया कि भारत में हुई उस विशेष बैठक के तीन प्रमुख विषय - मानव रहित वायु प्रणालियाँ, आतंकवादी वित्त और सूचना व संचार प्रौद्योगियाँ थे, और दिल्ली घोषणा-पत्र में इन पर मुख्य ध्यान दिया गया, जोकि सदस्य देशों व नवीन व उभरती प्रौद्योगिकियों का प्रयोग, आतंकवादी उद्देश्यों के लिए होने से रोकने के प्रयासों में हितधारकों तक पहुँचा दिए गए हैं.

समिति अध्यक्ष ने कहा, “वैसे तो नवीनतम परिस्थितियों की समीक्षा करने के लिये बहुत सी बैठकें आयोजित की जाती हैं, मगर भारत में हुई विशेष बैठक, भविष्य की कार्रवाई पर ध्यान केन्द्रित करने के लिये आयोजित की गई.”

आतंकवाद निरोधक समिति के सदस्यों ने 'दिल्ली घोषणापत्र' सर्वसम्मति से पारित किया.
CTED
आतंकवाद निरोधक समिति के सदस्यों ने 'दिल्ली घोषणापत्र' सर्वसम्मति से पारित किया.

“हमारी चर्चा में हमने ना केवल ये मुद्दा शामिल किया कि आतंकवादी, इस समय नवीन प्रौद्योगिकियों का किस तरह दुरुपयोग करते हैं, बल्कि, हमने इस मुद्दे पर भी विचार किया कि सम्बन्धित आतंकवादी ख़तरे किस तरह विकसित हो रहे हैं, क्योंकि सभी तरह के प्रयोगकर्ता लगातार नवीन प्रौद्योगिकियाँ विकसित कर रहे हैं, चाहे वो समाज की भलाई के लिए हों, या फिर हानिकारक उद्देश्यों के लिए.”

राजदूत रुचिरा काम्बोज ने कहा, “समिति ने दिल्ली घोषणा-पत्र अपनाते हुए, नवीन व उभरती प्रौद्योगिकियों का प्रयोग आतंकवादी उद्देश्यों के लिये होने से रोकने की ख़ातिर, इसके काम के लिए लगातार प्रतिबद्धता और समर्पण जारी रखने का संकल्प भी लिया. ”

“दिल्ली घोषणा-पत्र, इस ख़तरे से एक वृहद और एकजुट तरीक़ से निपटने में सुरक्षा परिषद के रुख़ व दृष्टिकोण पर केन्द्रित एक ऐतिहासिक दस्तावेज़ है.”

मार्ग दर्शन व सहयोग

उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि ये घोषणा-पत्र, समिति के इस कार्य में मार्ग-दर्शन करेगा और आने वाले वर्षों के दौरान, सुरक्षा परिषद व वृहत्तर यूएन सदस्यता को, महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए जानकारी मुहैया कराएगा.

संयुक्त राष्ट्र के आतंकवाद निरोधक कार्यालय के अवर महासचिव व्लादिमीर वोरोन्कोव ने, नवीन और उभरती प्रौद्योगिकियों द्वारा आतंकवाद के सन्दर्भ में, चुनौतियों और ख़तरों पर विशेष ध्यान आकर्षित करने के लिए, आतंकवाद निरोधक समिति के नेतृत्व की सराहना की.

उन्होंने कहा, “मैं विशेष रूप से, दिल्ली घोषणा-पत्र पर देखी गई सर्वसम्मति से बहुत प्रोत्साहित हूँ.”

“नवीन प्रौद्योगिकियों के प्रभाव एक रणनैतिक मामला है जिसे, बहुपक्षीय आतंकवाद निरोधक एजेंडा के शीर्ष पर रखे जाने की आवश्यकता है.”

“हमें ये सुनिश्चित करने के लिये एकजुट होकर काम करना होगा कि देश कार्रवाई करें और उन्हें सहयोग मुहैया कराया जाए, डिजिटल युग में उद्देश्य के लिये उपयुक्त व मुस्तैद रहें और अन्तरराष्ट्रीय क़ानून से बंधे रहें.”

उन्होंने कहा कि आतंकवाद निरोधक प्रयासों और नवीन प्रौद्योगिकियों की सक्रियता वाले बहुपक्षीय रास्तों को समझने और उनसे निपटने के लिए समाज के कल्याण वाला रुख़ अपनाया जाना बहुत ज़रूरी है, जिसमें मानवाधिकार और लैंगिक समानता की नज़र अपनाया जाना बेहद ज़रूरी है.