अंडमान सागर: जानलेवा यात्रा करने वाले लोगों की संख्या में नाटकीय वृद्धि

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) ने बांग्लादेश और म्याँमार से, अंडमान सागर पार करने की कोशिश करने वाले लोगों की संख्या में नाटकीय वृद्धि होने पर एक चेतावनी जारी की है.
दक्षिण पूर्व एशिया के इस जलमार्ग को विश्व में सर्वाधिक जानलेवा मार्गों में गिना जाता है, और इस वर्ष जनवरी महीने से अब तक एक हज़ार 900 से अधिक लोग यह सफ़र तय कर चुके हैं.
यह संख्या, वर्ष 2020 की तुलना में छह गुना अधिक है.
We are observing a dramatic increase in the number of people attempting perilous crossings over the Andaman Sea this year, mostly Rohingya travelling from Myanmar and Bangladesh to Indonesia. Many with fatal consequences.
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Refugees
यूएन शरणार्थी एजेंसी की प्रवक्ता शाबिया मंटू ने चेतावनी जारी करते हुए कहा, “इन यात्राओं की कोशिश करने वाले लोग गम्भीर जोखिमों और घातक नतीजों की चपेट में आ रहे हैं.”
“यह त्रासदीपूर्ण है कि केवल इसी वर्ष, अब तक 119 लोगों की मौत होने या फिर इन यात्राओं के दौरान लापता होने का समाचार है.”
अपने जीवन को जोखिम में डालने वाले लोगों में अधिकांश रोहिंज्या शरणार्थी हैं, जोकि म्याँमार में सैन्य उत्पीड़न से बचने के लिये 2017 में लाखों की संख्या में विस्थापित होने के लिये मजबूर हुए थे.
यूएन शरणार्थी एजेंसी ने इस क्षेत्र में स्थित देशों की सरकारों से सहायता का आग्रह किया है.
संगठन ने हाल ही में इंडोनेशिया द्वारा उत्तरी आचे में 200 से अधिक लोगों को जहाज़ से उतरने और शरण पाने की अनुमति दिए जाने का स्वागत किया है.
इंडोनेशिया के तट पर 15 दिन पहले सुरक्षित उतरने वाले ये शरणार्थी दो नावों में सवार थे, और वे फ़िलहाल एक स्थानीय आप्रवासन कार्यालय में रह रहे हैं.
यूएन प्रवासन एजेंसी और यूएन शरणार्थी एजेंसी के अलावा साझेदार संगठन ज़मीनी स्तर पर शरणार्थियों की सहायता के लिये हरसम्भव प्रयास कर रहे हैं.
“हम स्थानीय प्रशासन के साथ नज़दीकी सहयोग कर रहे हैं, ताकि शरणार्थियों को मदद प्रदान की जा सके. इसमें पंजीकरण करना, उनकी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करना, और दोनों समूहों के लिये सुरक्षित व पर्याप्त रहने की व्यवस्था करना है.”
यूएन एजेंसी ने आगाह किया है कि हताश व्यक्तियों से भरी अनेक अन्य नावें समुद्री मार्ग पर फँसी हैं, और यात्रियों के जीवन की रक्षा के लिये प्रयासो किए जाने की आवश्यकता है.
शरणार्थी कार्यालय ने ध्यान दिलाया कि हताशा बढ़ने के कारण, निर्बल हालात में जीवन गुज़ार रहे लोगों को इन जानलेवा यात्राओं को करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.
इसके मद्देनज़र, यूएन एजेंसी और मानवीय राहत संगठनों ने जिन्दगियाँ बचाने और दायित्व को बाँटने के लिये क्षेत्रीय व अन्तरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने की अपील की है.
इंडोनेशिया में फ़िलहाल 13 हज़ार से अधिक शरणार्थी और शरण तलाश रहे लोग रह रहे हैं, जिनमें से अधिकतर अफ़ग़ानिस्तान, सोमालिया, म्याँमार से हैं.
वर्ष 2016 में मानव तस्करों ने पाँच हज़ार से अधिक महिलाओं, पुरुषों व बच्चों को अंडमान सागर में समुद्री मार्ग में अधर में छोड़ दिया था.
इसके बाद, एशिया-प्रशान्त क्षेत्र की सरकारों ने इन जानलेवा यात्राओं में लोगों की मौत टालने के लिए और अधिक प्रयास करने का संकल्प लिया था