म्याँमार: गोपनीय सैन्य अदालतों ने 130 लोगों को सुनाई मौत की सज़ा

म्याँमार में सैन्य अदालतों ने, फ़रवरी 2021 में सैन्य तख़्तापलट के बाद से अब तक, बन्द दरवाज़ों के भीतर हुई सुनवाई में 130 से अधिक लोगों को मौत की सज़ा सुनाई है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने इस सप्ताह इन अदालतों द्वारा सुनाए गए नवीनतम फ़ैसलों की पृष्ठभूमि में यह जानकारी दी है.
मानवाधिकार उच्चायुक्त ने कहा कि सेना ने गोपनीय अदालतों में मुक़दमों की प्रक्रिया जारी रखी है, जोकि निष्पक्ष कार्रवाई के बुनियादी सिद्धान्तों का उल्लंघन है, और स्वतंत्रता व निष्पक्षता की न्यायिक गारंटी के विपरीत भी.
यूएन कार्यालय प्रमुख ने मौत की सज़ा के सभी मामलों को टाले जाने और मृत्युदंड पर स्वैच्छिक रोक फिर से बहाल किए जाने का आग्रह किया है.
🇲🇲 #Myanmar: UN Human Rights Chief @volker_turk is shocked that more than 130 people have been sentenced to death, including at least seven this week, by closed-door courts since the military launched a coup last year. Trials were not conducted fairly: https://t.co/NdbsZ4Aqbm https://t.co/XzMkChw19g
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प्राप्त समाचारों के अनुसार, सैन्य अदालत ने बुधवार को युनिवर्सिटी के कम से कम सात छात्रों को मौत की सज़ा सुनाई है.
वहीं, ख़बरों के अनुसार गुरूवार को, युवा कार्यकर्ताओं को मृत्युदंड सुनाए जाने के कम से कम चार मामले सामने आए हैं.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने इन मामलों पर स्पष्टीकरण का अनुरोध किया है.
इस वर्ष जुलाई महीने में, सेना ने चार मामलों में मृत्युदंड दिया था, और पिछले लगभग तीन दशकों में ऐसा पहली बार हुआ था.
मौत की सज़ा को रोकेने के लिए, दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन (ASEAN) और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की अपीलों के बावजूद, एक पूर्व सांसद, एक लोकतांत्रिक कार्यकर्ता, और दो अन्य लोगों को मृत्युदंड दे दिया गया.
फ़रवरी 2021 में सैन्य तख़्तापलट के बाद, विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा लेने के लिये क़रीब साढ़े 16 हज़ार लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.
इनमें से एक हज़ार 700 लोगों पर सैन्य ट्राइब्यूनल में गोपनीय ढंग से मुक़दमा चलाया गया और दोषी क़रार दिया गया. कुछ मामलों में तो मुक़दमे की कार्रवाई केवल कुछ मिनट ही चली.
जिन लोगों पर मुक़दमा चलाया गया, बहुत से मामलों में उन्हें ना तो वकील उपलब्ध कराया गया और ना ही परिवार से मिलने की अनुमति दी गई.
1 फ़रवरी 2021 को सैन्य तख़्तापलट के बाद से अब तक मृत्युदंड पाने वाले लोगों की संख्या 139 तक पहुँच गई है.
मानवाधिकार उच्चायुक्त ने ध्यान दिलाया कि सैन्य अदालतों की यह कार्रवाई आसियान की शान्ति योजना के अनुरूप नहीं है, जोकि पाँच-सूत्री सहमति पर आधारित है, जिसके प्रति आसियान देशों ने पिछले महीने शिखर बैठक के दौरान प्रतिबद्धता फिर से व्यक्त की थी.
इस योजना के तहत म्याँमार में सभी प्रकार की हिंसा को तत्काल रोका जाना भी है.
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने शिखर बैठक में आगाह किया था कि म्याँमार में राजनैतिक, सुरक्षा, मानवाधिकार व मानव कल्याण हालात, विनाश की ओर बढ़ रहे हैं.
इस क्रम में, उन्होंने बढ़ती हिंसा, ग़ैर-आनुपातिक बल प्रयोग, मानवाधिकारों की बदतर स्थिति पर गहरा क्षोभ प्रकट किया था.
इस बीच, म्याँमार के सैन्य नेतृत्व ने लगभग 50 हज़ार लोगों को अनौपचारिक बस्तियों से जबरन बाहर निकाला है, और व्यवस्थागत ढंग से घर ढहाए गए हैं.
संयुक्त राष्ट्र के दो स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने इन मामलों को बुनियादी मानवाधिकार दायित्वों का हनन क़रार दिया है.
समाचारों के अनुसार, उत्तरी यंगून के मिंगालाडॉन टाउनशिप में अनौपचारिक बस्तियों में रहने वाले 40 हज़ार से अधिक निवासियों को बिना वैकल्पिक आवास या भूमि के ही बेदख़ल कर दिया गया है.
दशकों से वहाँ रहने वाले लोगों को जगह ख़ाली करने के लिये कुछ ही दिनों का समय दिया गया.
इसके अलावा, देश में अनेक इलाक़ों में घरों को व्यवस्थागत ढंग से ध्वस्त किया जाना, उन पर बम गिराया जाना और म्याँमार सुरक्षा बलों के हमलों में जलाया जाना भी जारी है.
पिछले वर्ष सैन्य तख़्तापलट क बाद से अब तक 38 घर ध्वस्त किए गए हैं, जिससे 11 लाख लोग विस्थापन के लिये मजबूर हुए हैं.