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‘ग़ुलामी की छाप के घाव आज भी समाज पर स्पष्ट, प्रगति में भी बाधा’

बुर्कीना फ़ासो में, बच्चों को बदतरीन मज़दूरी करनी पड़ती है जोकि दासता का एक रूप माना जा सकता है.
© UNICEF/Christine Nesbitt
बुर्कीना फ़ासो में, बच्चों को बदतरीन मज़दूरी करनी पड़ती है जोकि दासता का एक रूप माना जा सकता है.

‘ग़ुलामी की छाप के घाव आज भी समाज पर स्पष्ट, प्रगति में भी बाधा’

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि महाद्वीप-पर दास व्यापार की छाप आज तक गूंज रही है, और साथ ही आधुनिक दौर की दासता भी बढ़ रही है.

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने, 2 दिसम्बर को मनाए जाने वाले अन्तरराष्ट्रीय दासता उन्मूलन दिवस के अवसर पर एक सन्देश में कहा है कि दास बनाए गए अफ़्रीकी लोगों की ऐतिहासिक तकलीफ़ों के घाव, समाजों पर अब भी स्पष्ट नज़र आते हैं, और वो समाज हर किसी को समान विकास अवसर मुहैया कराने में असमर्थ हैं.

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दासता का तत्काल उन्मूलन

यूएन प्रमुख ने समकालीन दासता के सभी रूपों की पहचान करने और उनका उन्मूलन करने के लिये संकल्प फिर से मज़बूत करने की ख़ातिर कार्रवाई करने का आग्रह भी किया है.

इनमें यौन शोषण के लिए लोगों की तस्करी, बाल मज़दूरी, जबरन विवाह और सशस्त्र संघर्षों में बच्चों के प्रयोग जैसे रूप शामिल हैं.

एंतोनियो गुटेरेश ने आधुनिक दौर की दासता के रूपों का सन्दर्भ देते हुए कहा कि साल 2021 में ही, पाँच करोड़ लोग किसी ना किसी रूप में दास थे.

उन्होंने बताया कि कमज़ोर परिस्थितियों वाले लोग ज़्यादा जोखिम के दायरे में हैं, जिनमें नस्लीय, धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों के साथ-साथ प्रवासीजन, बच्चे और एलजीबीटीआई लोग शामिल हैं; और इनमें भी ज़्यादातर कमज़ोर हालात वाले लोग महिलाएँ हैं.

यूएन प्रमुख ने कहा, “तमाम हितधारकों की पूर्ण भागेदारी के साथ और ज़्यादा कार्रवाई किए जाने की ज़रूरत है, जिसमें निजी क्षेत्र, मज़दूर संगठन, सिविल सोसायटी और मानवाधिकार संस्थान भी शामिल हैं.”

“मैं सभी देशों से दासता के पीड़ितों और भुक्तभोगियों को संरक्षण मुहैया कराने और उनके अधिकारों की रक्षा करने का आग्रह करता हूँ.”

दासता में बढ़ोत्तरी

अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के नवीनतम अनुमान दिखाते हैं कि जबरन मज़दूरी और जबरन विवाहों में, पिछले पाँच वर्षों के दौरान ख़ासी वृद्धि हुई है.

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, वर्ष 2016 के वैश्विक अनुमानों की तुलना में, वर्ष 2021 में, एक करोड़ ज़्यादा लोगों को दास बनाया गया, जिसके बाद दुनिया भर में दासों की संख्या पाँच करोड़ हो गई है.

वैसे तो आधुनिक दासता को क़ानून में परिभाषित नहीं किया गया है, इस शब्द का प्रयोग जबरन मज़दूरी, ऋण बन्धन, जबरन विवाह, और मानव तस्करी जैसी प्रथाओं के लिए किया जाता है.

अब भी बरक़रार

इसमें शोषण की वो तमाम परिस्थितियाँ शामिल हैं जिनमें कोई व्यक्ति धमकियों, हिंसा, उत्पीड़न, धोखा, या फिर शक्ति के दुरुपयोग के आगे, ना तो इनकार कर सकते हैं और ना ही उस स्थान को छोड़ सकते हैं.

आधुनिक दासता दुनिया के लगभग हर देश में होती है, इससे कोई भी जातीय, सांस्कृतिक और धार्मिक दायरे अछूते नहीं हैं.

नवीन वैश्विक डेटा भंडार

अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने एक नई ‘जबरन मज़दूरी बेधशाला’ (FLO) शुरू की है जो, इस यूएन श्रम एजेंसी के गवर्नरों के, जबरन मज़दूरी और तस्करी पर वैश्विक डेटा भंडार विकसित किए जाने के अनुरोध को पूरा करेगी.

इस बेधशाला (FLO) के डेटा भंडार में जबरन मज़दूरी पर वैश्विक और देशों के स्तर की जानकारी एकत्र की जाएगी, और यहाँ इस अभिशाप के बारे में सम्पूर्ण जानकारी हासिल की जा सकेगी.

आईएलओ के सभी 187 सदस्य देशों के निजी प्रोफ़ाइल तैयार किए जा चुके हैं जिनके लिए विश्वसनीय स्रोतों से प्राप्त जनकारी का सहारा लिया गया है. इसके ज़रिए इस अपराध का मुक़ाबला करने के लिये देशों के स्तर की कार्रवाइयों का विवरण प्रस्तुत किया गया है.